नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र):
आजकल हर गली-मोहल्ले में कोचिंग सेंटरों की बाढ़ सी आई हुई है। हाईस्कूल पास कराने से लेकर आईएएस तक बनाने के लिए कोचिंग सेंटर खुले हुए हैं। देश के कोचिंग कैपिटल के नाम से विख्यात राजस्थान के कोटा शहर में अकेले हजारों कोचिंग सेंटर हैं जहां देश के अलग –अलग इलाकों से आकर लाखों बच्चे आईआईटी और मेडिकल में दाखिले के लिए कोचिंग लेते हैं। अधिकांश असंगठित क्षेत्र में चलने वाला यह उद्योग हजारों करोड़ रुपए का है। असंगठित क्षेत्र में होने के कारण इस क्षेत्र में छात्र के साथ धोखाधड़ी भी बहुत आम है। तकलीफदेह बात यह है कि इस कारोबार की छाया में पल बढ़ रहे दूसरे कारोबारों में भी दोहन इन्हीं छात्रों का होता है। सुप्रीम कोर्ट की नजर इस क्षेत्र पर बनी हुई है और उसने सरकार से आग्रह किया है कि इन कोचिंग सेंटरों के लिए रेगुलेटर का बंदोबस्त किया जाए और इनके लिए नियम व्यवस्था तैयार की जाए।
बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके यह हर मां- बाप के लिए चिंता का विषय होता है। स्कूल – कॉलेज की शिक्षा के अलावा बहुत से बच्चे निजी तौर पर शिक्षकों से या कोचिंग संस्थानों से भी पढ़ाई में मदद लेते हैं। यहां पढ़ाई करने का सीधा सा मतलब होता है छात्र के लिए कक्षा की पढ़ाई पर्याप्त नहीं है और उसे पढ़ाई में अव्वल रहने के लिए कोचिंग या टीचर से ट्यूशन लेना पड़ेगा।
इन कोचिंगों या ट्टूशन संस्थानों के लिए भी नियम बने हैं लेकिन विशेष तौर पर इनके बारे में अभी नियम नहीं बनाए गए हैं। अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी इन कोचिंग संस्थानों के बारे में नियामक या रेगूलेटर बनाने का सुझाव दिया है।
हम आपको अब यह बताने जा रहे हैं कि अगर आप अपने बच्चे को कोचिंग या ट्यूशन पढ़ाने जा रहे हैं तो बतौर उपभोक्ता उसके क्या अधिकार हैं और आपको कौन- कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए।
चाहे कोई टयूशन-सेवा ऊपर से कितनी भी अच्छी क्यों न लगे उसकी सेवा लेने का फैसला करने और पैसा जमा करने से पहले अभिभावकों को कुछ सवालों के जवाब जरूर ढूंढ़ लेने चाहिए। शायद तभी आपको यह समझ में आ पाएगा कि ये सेवा आपके बच्चे के लिए उपयुक्त हैं नहीं। ये जानना बेहद जरूरी है कि –
- टयूशन-सेवा कितने समय से काम कर रही है ?
- क्या यह सेवा किसी उचित उद्योग संगठन से संबन्धित है और क्या यह किसी आचरण-संहिता का पालन करती है ?
- क्या यह सेवा आपको किसी अन्य अभिभावक का नाम-पता दे सकती है, जिससे आप इस टयूशन-सेवा की गुणवत्ता के बारे में पूछ-ताछ कर सकें ?
- क्या आपने टयूशन-सेवा देने वाले शिक्षकों से आमने-सामने साक्षात्कार किया है ?
- आपके बच्चे को पढाने वाले शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता और अनुभव क्या हैं ?
- क्या शिक्षक पढ़ाए जाने वाले विषयों में प्रशिक्षित हैं ?
- क्या प्रस्तावित टयूशन-सेवा शैक्षिक पाठयक्रमों की आवश्यकताओं के अनुरूप है ?
- क्या शिक्षकों की पृष्ठभूमि की जांच की गई है ?
- क्या शिक्षकों के आचरण के बारे में जानकारी ले ली गई है ?
- अगर टयूशन-सेवा किसी विशेष स्थान पर प्रदान की जा रही है, तो क्या वहां जाकर स्थान देखना संभव होगा?
ये सावधानियां जरूरी हैं
- यदि कोई टयूशन-सेवा बहुत ही अच्छी प्रतीत हो, तो भी उसके बारे में छान-बीन अवश्य करें क्योंकि यह जाली हो सकती है।
- इंटरनेट पर अपनी सेवाओं का विज्ञापन देने वाली अन्तर्राष्ट्रीय या अन्तर्राज्यीय सेवाओं के प्रति सावधान रहें ।
- फोन नंबर या कार्यालय का पता न देने वाली और मात्र इंटरनेट से संचार करने वाली संस्थाओं से व्यवहार करने में सतर्क रहें।
- किसी भी करार पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे ध्यानपूर्वक पढें व रद्द करने के नियमों से खुद को अवगत करें।
- सफलता के आश्वासनों को पूरा किए जाने के विषय में सवाल जरूर पूछें।
करार के नियम व फ़ीस
जब आप किसी करार पर हस्ताक्षर करते हैं तो आप इसके नियमों का पालन करने के लिए बाध्य होते हैं। एक बार हस्ताक्षर करने के बाद आप आमतौर पर मुकर नहीं सकते हैं। जब भी आपको किसी करार पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जाए तो उसे ध्यानपूर्वक पढें। यदि आपको कुछ समझ न आए, तो हस्ताक्षर न करें।
करार करने से पहले इन सब बातों के बारे में पता करें–
- क्या टयूशन-सेवा प्रदान करने वाली संस्था की पैसा वापस करने की कोई नीति है ?
- आपको कुल कितना पैसा देना पडेग़ा ?
- यदि आपके बच्चे को टयूशन-सेवा पसंद न आए और आप इसे रद्द करना चाहें, तो कितनी फ़ीस या शुल्क देना पडेग़ा ?
- यदि आप किसी टयूशन-कक्षा को रद्द करना चाहें, तो आपको कितने समय पहले इसकी सूचना देनी होगी ?
- क्या आपको किसी सहायक पठन-सामग्री या किताबों के लिए शुल्क देना होगा ?
- भुगतान करने का सुलभ तरीका क्या है?
- क्या आपको भुगतान की रसीद दी जाएगी?
टयूशन–सेवाओं के प्रकार
घर पर या किसी संस्था में टयूशन पढ़ना सबसे सामान्य और परंपरागत तरीका है। लेकिन अब कंप्यूटर-आधारित और ऑनलाइन टयूशन-सेवा भी अब काफ़ी प्रचलित हो रही है। सतर्क इसी तरह की ट्यूशन प्रणाली से रहने की है।
कंप्यूटर–आधारित टयूशन–सेवा
यदि आप अपने बच्चे के लिए कंप्यूटर-आधारित टयूशन-सेवा लेना चाहें, तो यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पास उचित कंप्यूटर हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर हो। कई कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण पैकेज विदेशों में बनाए जाते हैं और ऐसा हो सकता है कि भारत के स्कूलों के लिए अनुकूल न हों। इस बात की भी जानकारी रखें कि पाठयक्रम में क्या-क्या है और यह आपके बच्चे की सहायता कैसे करेगा। इस बात की जांच करें कि क्या इस पाठ्यक्रम के लिए तकनीकी या शैक्षिक सहायता उपलब्ध है और यह कैसे और कब प्राप्त की जा सकती है।
ऑनलाइन टयूशन–सेवा
ऑनलाइन ट्यूशन-सेवा लेने से पहले इन कुछ सवालों पर जरूर ध्यान दें –
- आपका कंप्यूटर बहुत पुराना तो नहीं है?
- आपके इंटरनेट-कनेक्शन की गति उपयुक्त है?
- आपको कब-कब डाउनलोड करना होगा ?
- क्या ऑनलाइन पठन-सामग्री के लिए आवश्यक कंप्यूटर-तंत्र इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर से सुसंगत हैं ?
- भारत में बिजली भी बहुत बड़ी समस्या है। ध्यान रखें कि ट्यूशन सेवा के वक्त आपके यहां बिजली का बंदोबस्त हो।
गलत और बहकाने वाले विज्ञापन
विज्ञापन सूचना के उपयोगी स्रोत तो होते हैं परंतु सीधे- सादे लोगों को बहका भी सकते हैं।
आप जिस टयूशन सेवा की सहायता लेना चाहते हैं तो उसके बारे में आपको यथार्थ जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। किसी भी टयूशन सेवा के लिए निम्नलिखित बिन्दु गैर कानूनी माने जाते हैं –
- अपनी सेवाओं के बारे में बहकाने वाले या धोखा देने वाले दावे करना
- अनुपयुक्त अनुमोदन वाले उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन करना
- ऐसे लाभों का दावा करना जो उनके पास हों ही नहीं
- सेवा के स्तर, गुणवत्ता या मूल्य के विषय में गलत प्रस्ताव रखना
पैसे की वापसी
यदि आपके बच्चे की टयूशन सेवा के विषय में आपको कोई गलत जानकारी दी गई हो या आपको बहकाया गया हो तो नियम के अनुसार आपको पैसा वापस पाने का पूरा अधिकार है।
अगर कोई सेवा उपभोक्ता को दी गई गारंटी के अनुसार ज़रूरतों को पूरा न कर पाए, तो उपभोक्ता संरक्षण कानून के नियमों के तहत आपको पैसे के साथ हर्जाना पाने का भी अधिकार है। सेवा के आशानुरूप न होने की परिस्थिति में आप अपने समय और पैसे के नुकसान की भरपाई के लिए शिकायत दर्ज करा सकते है।
अगर आप संतुष्ट नहीं हैं ?
यदि आप प्रदान की गई सेवा से या अपने प्रति दिखाए गए व्यवहार से संतुष्ट नहीं हैं तो पहला कदम यह होगा कि आप शिक्षक व टयूशन सेवा के साथ अपनी परेशानियों के समाधान के लिए प्रयास करें।
स्पष्ट रूप से शिष्टता और दृढ़ता के साथ समस्या और इसके संगत समाधान के बारे में बात करें। यह ध्यान रखें कि आप अपनी समस्या लिखित रूप में सामने रखें और करार और रसीदें जैसे कागज़ात सुरक्षित रखें।
कहां सहायता प्राप्त करें ?
अगर आपको अपनी समस्या को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता तो आपको उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत कई तरह के अधिकार प्राप्त हैं और आप उनके नियमों के तहत उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। भारत में दरअसल इस तरह की सेवाएं आमतौर हर गली कूचे में चल रही हैं और लोग इनके काम करने के तरीके और वायदों के मायाजाल में आसानी से फंस जाते हैं और फिर उन्हें यह भी नहीं पता कि इनके झूठे वादों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। आमतौर पर छोटे मोटे ट्यूशन और कोचिंग सेंटर में न तो छात्रों को कोई रसीद दी जाती है और न ही कोई करार। फिर भी घबराइए मत जो कुछ भी प्रमाण आपको पास हो उसे लेकर उपभोक्ता फोरम जाएं और धोखाधड़ी की स्थिति में मामला जरूर दर्ज कराएं।
10 खास बातें – बॉक्स
- कोचिंग सेंटरों के खिलाफ भारी तादाद में शिकायतें
- बच्चों को बरगला कर पैसा ऐंठ रहे हैं कोचिंग संस्थान
- सुप्रीम कोर्ट ने रेगूलेटर बनाने को कहा
- सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कोचिंग सेंटर कर रहे हैं मनमानी
- अभिभावकों को रहना होगा सावधान
- बच्चे का दाखिला कराने से पहले सारी शर्तों को पढ़ें
- कोचिंग में ठीक न लगने पर पैसे वापसी के नियम जानें
- कोचिंग सेंटर से मिली रसीदों को संभाल कर रखें
- कोचिंग सेंटर की परेशानियों पर पहले सेंटर में ही बात करें
- कोचिंग सेंटरों के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत संभव
ताकि दूसरा सूरत न हो राष्ट्रीय राजधानी के तमाम इलाकों में मशरूम की तरह फैले कोचिंग सेंटरों और स्कूलों को एक बार फिर से ‘अग्नि परीक्षा’ से गुजरना होगा। जांच में फेल होने पर उन्हें बंद तक किया जा सकता है। ये निर्देश हाई कोर्ट ने फायर डिपार्टमेंट, बिजली कंपनी, एमसीडी और दिल्ली जल बोर्ड को निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने इन संस्थानों में आग से बचाव के उपायों और संचालन के लिए जरूरी मंजूरियों की फिर से जांच करने के लिए कहा है। आदेश के मुताबिक, दोषी पाए जाने वाले संस्थानों को सुधरने का का सिर्फ एक मौका दिया जाए, वरना उन्हें बंद कर दिया जाए।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया। बेंच ने मुखर्जी नगर इलाके में फायर सेफ्टी की क्लीयरेंस के बिना चलने वाले ऐसे संस्थानों को बिजली उपलब्ध कराने के लिए टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीपीडीएल) की जमकर खिंचाई की। बेंच ने कहा कि आपके अधिकारियों का हाल ऐसा है जैसे …मेरा बच्चा थोड़े ही वहां पढ़ रहा है। बेंच ने आगे कहा कि इन सबमें एक साथ इतनी सारी एयर कंडीशनिंग इकाइयां लगी हैं। लोड बढ़ते ही स्पार्किंग या शॉर्ट सर्किट होने का खतरा बना रहता है और ऐसा कभी हुआ तो यहां भी वही हाल होगा जो पिछले दिनों सूरत में हुआ। बेंच ने निर्देश दिया कि निगम की मंजूरी या फायर क्लीयरेंस के बिना ऐसे जो भी संस्थान चल रहे हैं, उनकी बिजली के कनेक्शन तुरंत काट दिए जाएं।