न्यूज़ डेस्क : नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए जे.पी. सिंह):
ये प्रकृति का करिश्मा ही है कि इसमें ऐसी विविध चीज़े पाई जाती हैं जो हैरान कर दें। अब एक मिर्च की वेरायटी को लीजिए, ये इतनी तीखी होती है कि इसका इस्तेमाल इलाज में होने के अलावा सुरक्षा उपाय और उपद्रवियों को शांत करने तक में होता है। यही कारण है कि इस मिर्च को घोस्ट चिली कहा जाता है। इतनी उपयोगी होने के कारण ये काफी महंगी होती है। इसकी खेती देश के पूर्वोत्तर से लेकर उत्तर- पश्चिमी इलाक़े तक में होती है।
दुनिया की सबसे तीखी मिर्च -घोस्ट चिली
घोस्ट चिली को भारत में भूत झोलकिया के नाम से भी जाना जाता है। इस फ़सल के नाम से ही आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है। इसे सबसे तीखी और तेज़ मिर्च के रूप में वर्ष 2007 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉडर्स में भी दर्ज किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि सामान्य मिर्च की तुलना में भूत झोलकिया मिर्च में 400 गुना ज्यादा तीखापन होता है। भारत में भूत झोलकिया मिर्च की खेती असम, नागालैंड और मणिपुर में होती है। ये मिर्च इतनी तीखी होती है, कि जीभ पर इसका स्वाद लगते ही, व्यक्ति का दम घुटने लगता है और आंखों में तेज़ जलन होती है।
स्वाद से लेकर सुरक्षा तक घोस्ट चिली
भूत झोलकिया मिर्च का इस्तेमाल सिर्फ़ खान-पान के लिए ही नहीं होता बल्कि देश के सुरक्षा बल उपद्रवियों के खिलाफ भी इसे इस्तेमाल करते हैं। सीमा सुरक्षा बल यानि बीएसएफ की कुछ टियर स्मोक यूनिट इस मिर्च के इस्तेमाल से आंसू गैस के गोले बनाती है। ये आंसू गैस के गोले उपद्रवियों को अलग-थलग करने के काम आते हैं।
महिलाओं की सुरक्षा की ढाल
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते शारीरिक हमलों की घटनाओं से बचाव के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने भूत झोलकिया का इस्तेमाल किया। इस संगठन ने भूत झोलिकया मिर्च से मिर्च स्प्रे विकसित किया। डीआरडीओ की तेजपुर यूनिट ने इस मिर्च स्प्रे को तैयार किया जिसे महिलाएं आत्मरक्षा के लिए उपयोग कर सकती है।
भूत झोलकिया’ से रोगों का इलाज
भूत झोलकिया मिर्च में मौजूद एक प्रमुख घटक कैप्साइसिन को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद पाया गया है। इससे कैंसर का इलाज भी ढूंढ़ा जा रहा है। कुछ रिसर्च में ये प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओ और फेफड़ों के कैंसर की कोशिकाओ को मारने में सक्षम पाया गया है। साथ ही यह ल्यूकेमिया सेल्स के विकास को भी रोकती है। ये अस्थमा के इलाज में भी कारगर पाई गई है। यहां तक कि देश के कई हिस्सों में इस मिर्च से बने पाउडर से पेट की कई बीमारियो का इलाज भी किया जाता है। इसके अलावा कैप्साइसिन गठिया में होने वाले दर्द, ब्लड प्रेशर, मांसपेशियों के दर्द, तनाव और मोच में भी फायदेमंद पाया गया है।
75-90 दिन में तैयार
भूत झोलकिया मिर्च के पौधे की ऊंचाई 45 से 120 सेंटीमीटर तक होती है। इस पौधे में लगने वाली मिर्च की चौड़ाई 1 से 1.2 इंच होती है और लंबाई 3 इंच से भी ज्यादा हो सकती है। यह रोपाई के बाद मात्र 75 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। मसाले के रूप में इस मिर्च की पूरी दुनिया में ज़बर्दस्त मांग है।
भूत झोलकिया की खेती
भूत झोलकिया मिर्च, हर तरह की मिट्टी और जलवायु में उगाई जा सकती है हालांकि, अच्छी क्वालिटी के लिए सूखी-रेतीली मिट्टी या लेटेरा मिट्टी की ज़रूरत होती है। भूत झोलकिया का पौधा स्व-परागित पौधा होता है। इसकी पत्तियां अंडाकार होती हैं और इसकी ऊपरी सतह झुर्रीदार होती है। ये हल्के लाल, गहरे लाल और नारंगी जैसी कम से कम तीन अलग-अलग रंगों में मिलती हैं। पूरी तरह से परिपक्व फल और सूखे फल से ही बीज निकाला जाना चाहिए। हाथों से बीज निकालने के दौरान दस्ताने ज़रूर पहनें। सुखाने के बाद, बीज तुरंत अंकुरित किया जा सकता है। बीज का अंकुरण लगभग 15 से 20 दिन तक का समय लेता है। इसलिए अंकुरण अवधि के दौरान फंगल या कीट के हमले के कारण बीज को नुक़सान से बचाने के लिए फंजीसाइड और कीटनाशकों के साथ ही बीजोपचार की सलाह दी जाती है। देश के कुछ केवीके सेंटर्स पर भूत झोलकिया की नर्सरी तैयार की जा रही है जिसमें राजस्थान का चितौड़गढ़ आगे है।
घोस्ट चिली की रोपाई
घोस्ट चिली की खेती धूप वाले इलाक़ों में करें। इसके लिए खेत तैयारी के साथ ही रोपाई के लिए बेड बनाएं। पूर्वोत्तर में रोपाई के लिए दो सीजन उपयुक्त हैं खरीफ और रबी। खरीफ की खेती फरवरी-मार्च में शुरू होती है और मई-जून के बाद फसल की कटाई होती है। मैदानों में ये सितंबर-अक्टूबर के दौरान रबी फ़सलों के रूप में उगाई जाती है। रबी की पैदावार खरीफ फ़सल की तुलना में ज्यादा है। केवल सुबह के दौरान ही पौधों को पानी डालें। सामान्य मिर्च में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों का प्रयोग करें।
‘बम’ बनाने वाली फ़सल को रोगों से परेशानी
आपको जानकर भले हैरानी हो लेकिन घोस्ट चिली से हथगोले और बम भी बनाए जाते हैं, लेकिन ऐसी फ़सल भी अपने विकास क्रम में कीट रोगों का शिकार हो सकती है। इसमें सबसे आम रोग ‘मर-बैक’, ‘एन्थ्रेक्नोज’ और ‘लीफ कर्ल’ पाए गए हैं।
उपज में राजा ‘भूत झोलकिया’
एक सीजन में एक पौधे से लगभग 15-20 पूर्ण आकार के फल और 10-14 छोटे फल की उपज मिलती है। इस मिर्च के ताजा फल की औसत उपज 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आसपास है जबकि इसे सुखाने पर औसत उपज 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है। पूर्वोत्तर के ज्यादातर इलाक़े में इसका कारोबार ताजा मिर्च के रूप में होता है। कुछ सीमित इलाक़ों में ही सूखी उपज का कारोबार होता है। अच्छी क्वालिटी की सूखी झोलकिया मिर्च काफी ऊंची क़ीमत पर बिकती है। इसकी औसत क़ीमत 2000 रुपए प्रति किलो तक है। ऐसे में आप भी इस बहुउपयोगी मिर्च की खेती कर इससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।