नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र )
क्या कांग्रेस किसी बड़े विभाजन की तरफ बढ़ रही है? बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद लगातार पार्टी के शीर्ष नेताओं की तरफ से ऐसे बयान आ रहे हैं जो पार्टी नेतृत्व से लेकर उसकी कार्यशैली तक पर सवाल उठा रहे हैं। कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद सरीखे नेता कभी चिठ्ठी लिखकर तो कभी प्रेस के माध्यम से अपनी बात को सार्वजनिक पटल पर जाहिर कर चुके हैं। दूसरी तरफ, पार्टी नेतृत्व के प्रति निष्ठावान तबका भी समय-समय पर मोर्चा संभालता रहता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा अधीर रंजन चौधरी इन बागी सुरों का जवाब देने के लिए सामने आए हैं। बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के दयनीय प्रदर्शन ने पार्टी में बागी सुरों को एक बार फिर से मुखऱ होने का मौका दे दिया है।
इससे पहले, पार्टी के 23 बड़े नेताओं ने पार्टी के हालात पर विचार करने और उसमें सुधार करने के मकसद से एक चिठ्ठी पार्टी अध्यक्ष सोनियया गांधी को लिखी थी। इन नेताओँ में भी गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और सलमान खुर्शीद जैसे नेता शामिल थे।
कांग्रेस के मौजूदा हालात लगातार इस बात के संकेत दे रहे हैं कि पार्टी नेतृत्व ने अगर फौरन कोई कोई कदम नहीं उठाया तो पार्टी एक बड़े विभाजन की तरफ बढ़ सकती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ-कुछ ऐसी ही दलीलें देते हुए पार्टी छोड़ दी तो सचिन पायलट जैसे-तैसे पार्टी में बने हुए हैं।
गुलाम नबी के तेवर
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि सवाल उठा कर वे लोग एक मैकेनिक की भूमिका निभा रहे थे जो ये बताता है कि गाड़ी में क्या ख़राबी है ताकि ड्राइवर जंग लगे उस पुर्जे को हटा सके। आज़ाद ने कहा कि, उन्होंने चिट्ठी कांग्रेस के भीतर पार्टी की कमज़ोर पड़ती विचारधारा के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए लिखी थी। उन्होंने कहा कि, इस विशाल और विविधताओं से भरे देश में कांग्रेस की विचारधारा जो गांधी, नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आज़ाद की विचारधारा है, वही इस देश में एकता बनाए रखेगी। कांग्रेस धर्म, जाति और वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं करती है। उन्होंने चिट्ठी क्यों लिखी इस सवाल के जवाब में गुलाम नबी कहते हैं कि, हम कांग्रेस के भीतर ये बात लिखते हैं तो हम उन्हें ये बताते हैं कि विचारधारा कमज़ोर पड़ रही है।
इस चिट्ठी में कांग्रेस के 23 नेताओं ने पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व की मांग की थी। साथ ही इसमें कांग्रेस कार्यसमिति के लिए चुनाव का भी मुद्दा उठाया गया था।
अधीर रंजन का पलटवार
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक समचार चैनल से बात करते हुए पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले नेताओं पर सख़्त नाराज़गी जताई और कहा कि ऐसे नेताओं को पार्टी छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, हमें नाराज़गी तो ज़रूर जताना पड़ेगा, क्या करें हम लोग बैठे-बैठे इन नेताओं का ज्ञान सुनें? हम बंगाल में मैदान में उतरे हुए हैं, हमारे कार्यकर्ता पूछते हैं कि हम तो यहां लड़ रहे हैं, मगर ऊपर के जिन नेताओं को कांग्रेस की मेहरबानी से नुमाइंदगी का मौक़ा मिला, अगर वो लोग कांग्रेस में रहते हुए हमारे नेता के ख़िलाफ़ या पार्टी के ख़िलाफ़ या राहुल जी के ख़िलाफ़ या आलाकमान के ख़िलाफ़ इस तरीक़े से विरोध करते रहे तो हम लोगों को क्या जवाब देंगे? अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मैं उन लोगों को सलाह दूंगा कि ज्ञान देना बंद करिए। कुछ करके दिखाइए, या चुप रहिए।
उन्होंने कहा कि पार्टी पर सवाल उठाने वाले नेताओं को पार्टी से अलग हो जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि, हर बात में कांग्रेस की आलोचना करना ही अगर इनकी आदत बनती जा रही है। अगर उन्हें लगता है कि यही सियासत है तो मतलब उन्हें कांग्रेस अच्छी नहीं लग रही। अगर ऐसा है तो ये लोग अलग से पार्टी बना सकते हैं।
सिब्बल का हमला
इससे पहले, कपिल सिब्बल ने पिछले सप्ताह इंडियन एक्सप्रेस अख़बार को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि ना केवल बिहार के लोग बल्कि देश भर में जहां कहीं भी उपचुनाव हुए, वहां लोगों ने कांग्रेस को एक सशक्त विकल्प के तौर अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि पार्टी को ये स्वीकार करना चाहिए कि वो कमज़ोर होती जा रही है और इसे दोबारा दुरूस्त करने के लिए तज़ुर्बेकार दिमाग़, तज़ुर्बेकार हाथों और ऐसे लोगों की ज़रूरत है जो राजनीतिक वास्तविकताओं को समझते हैं। सिब्बल के इन आरोपों के बादद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक के एक कई ट्वीट करके सिब्बल को जवाद दिय़ा। उन्होंने कहा ककि कि, चुनावी हार की कई वजहें होती हैं लेकिन हर बार कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने पार्टी नेतृत्व के प्रति दृढ़ विश्वास बनाए रखा है। यही वजह है कि हम बार ज़्यादा मजबूत और एक होकर संकट से उबर पाने में सक्षम हुए हैं।
फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया