लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार किसानों की महापंचायत हुई। महापंचायत का आय़ोजन 40 से ज्यादा किसान संगठनों की अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चे ने किया। महापंचायत में किसानों ने एक बार फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी वाले कानून के अलावा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 750 किसानों को शहीद का दर्जा देने की मांग की। किसानों का कहना है कि वे संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी समेत किसानों की लंबित मांगों पर फैसले के बाद ही अपना आंदोलन वापस लेंगे।
किसान महापंचायत लखनऊ के इको गार्डेन पार्क में हुई और इसमें भारतीय किसन यूनियन के नेता राकेश टिकैत समेत संयुक्त किसान मोर्चे के किसान नेता शामिल हुए।
महापंचायत एकसुर से किसानों ने कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी आंदोलन को तब तक जारी रखने का फैसला किया जब तक किसानों की बाकी बची मांगों पर सरकार कदम नहीं उठाती। महापंचायत ने लखीमपुर खीरी कांड में आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने की मांग की। किसान नेताओं ने कहा कि अजय मिश्रा टेनी को मंत्री पद से नहीं हटाने से जाहिर होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को लेकर क्या सोच रखते हैं। उन्होंने कृषि कानूनों को भी दबाव के चलते ही वापस लिया है।
किसान महापंचायत में आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का मुद्दा भी उठा। किसान नेताओं ने सरकार से मांग की इस दौरान जान गंवाने वाले करीब 750 किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए। महापंचायत में जानकारी दी गई कि सरकार दूध और बीज के बारे में भी कानून लेकर आ रही है। किसानों ने कहा कि ऐसा कोई भी कानून लाने से पहले सरकार को किसानों से बातचीत करनी चाहिए ताकि बाद में कोई समस्या न पैदा हो।
किसान महापंचायत में सबसे ज्यादा जोर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाले कानून की मांग को लेकर रही। किसान नेताओं ने कहा कि किसान आंदोलन की सबसे प्रमुख मांगों में से एक एमएसपी पर गारंटी देने वाले कानून की मांग रही है। सरकार ने कृषि कानूनों को तो वापस लेने का फैसला किया है लेकिन एमएसपी के लिए कमेटी गठित करने की बात कही है। किसान नेताओं ने कहा कि जब तक इस बारे में हालात साफ नहीं होते किसान आंदोलन यथावत जारी रहेगा और भविष्य में और भी जोर पकड़ेगा। महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से बताया गया कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के मामले में केंद्र सरकार लगातार किसानों को गुमराह कर रही है कि एमएसपी लागू थी, लागू है और लागू रहेगी, जबकि हकीकत ये है कि किसानों की उपज औने-पौने दामों पर खरीदी जा रही है और किसानों को उनकी लागत के पैसे भी नहीं मिल पा रहे हैं।
महापंचायत में किसानों पर दायर मुकदमों का मसला भी उठा और सरकार ससे फौरन इन मुकदमों को वापस लेने की मांग की गई।
महापंचायत और राजनीतिक रंग
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत रैली में राजनीति तंज कसने में नहीं चूके। उन्होंने इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान पर भी निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि सीएए कानून वापस लिया जाए वरना यूपी को शाहीन बाग बना दिया जाएगा। राकेश टिकैत ने कहा कि ओवैसी और बीजेपी के बीच चाचा-भतीजा वाली बॉन्डिग है। उन्हें इस बारे में टीवी पर बात नहीं करनी चाहिए, वे एक- दूसरे से सीधे पूछ सकते हैं।
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