नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए सुहासिनी ) : अनुमान है कि भारत में 6 लाख करोड़ रपए क्रिप्टो करेंसी यानी कूट मुद्रा के बाजार में निवेश किए गए है। ये देश के कुल जीडीपी का तीन प्रतिशत है। पिछले दिनों जैसे ही ऐसी खबरें आनी शुरू हुई कि सरकार इस करेंसी यानी मुद्रा पर कोई कानून बनाने जा रही है उसके बाद से ही लगातार आर्थिक मोर्चे पर हलचल बनी हुई है। शेयर बाजार धड़ाम से गिर पड़ा और पैनिक सेलिंग का दौर चल पड़ा। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ये कहके मामले को और गंभीर बना दिया कि क्रिप्टो करेंसी, चिटफंड का दूसरा रूप है। लोग ज्य़ादा पैसों के लालच मे कहीं इसमें सब कुछ न गवां बैठें।
क्रिप्टो करेंसी को लेकर हालात कितने संजीदा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक से ज्यादा बार क्रिप्टो करेंसी की चर्चा कर चुके हैं। संसद की वित्तीय मामलों की स्थाई समिति ने बाकायदा इस कारोबार से जुड़े लोगों को बुलाकर उनसे और आर्थिक जानकारों से लंबी बातचीत की।
सरकार से मिले संकेत
सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो करेंसी पर एक विधेयक पेश करने की तैयारी में है। संसद की विषय सूची में जितना ब्यौरा दिया गया है उससे स्पष्ट है कि दो काम होने हैं। एक तो प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगनी है और दूसरा भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से सरकारी डिजिटल करेंसी कैसे आएगी और कैसे चलेगी इसके नियम तय होने हैं। एक तरह से क्रिप्टो करेंसी को लेकर नियमन का काम ही ज्यादा होना है।
लेकिन फिर भी कई सवालों के जवाब ढूढ़ने होंगे। जैसे कि, प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगाने का काम कैसे होगा ? प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी किसे माना जाएगा ? और जिन कुछ क्रिप्टो करेंसियों को अपवाद के रूप में काम करने की छूट मिलेगी वो कौन-सी होंगी और उन्हें ये छूट दिए जाने का आधार क्या होगा?
क्या है क्रिप्टो करेंसी
क्रिप्टो करेंसी, क्रिप्टोग्राफी शब्द का ही रूपांतरण है। आसान शब्दों में कहा जाए तो इसे जानकारी छिपाने की कला कहा जा सकता है। क्रिप्टो करेंसी एक वर्चुअल करेंसी है। इसके साथ कुछ वैल्यू भी जुड़ी होती है। ये एक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है। ये किसी बैंक में मिलने के बजाय कंप्यूटर्स द्वारा माइन होती है। हालांकि इनके ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया जा सकता है लेकिन सीमित जानकारियों के साथ। अब भारत समेत दुनिया के कई देश में न तो इसको लेकर कोई कानून है न ही इसे सरकार मान्यता देती है। सरकार का मानना है कि इसका बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो सकता है। हवाला फंडिंग और टेरर फंडिंग जैसे कामों में इसका इस्तेमाल हो सकता है।
इस कारोबार को थोड़ा और समझने की ज़रूरत है। क्रिप्टो करेंसी का लेन देन बैंकों की तरह नहीं चलता जहां आपके खाते का ब्योरा आपके ही बैंक के लेजर या बही में दर्ज होता है। ये कारोबार तो इंटरनेट पर एक-दूसरे से जुड़े बहुत सारे अलग-अलग लेजरों पर चलता है जिनमें आपस में तालमेल बनाने का काम ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी करती है। जैसे ही किसी एक खाते में लेनदेन हुआ, वो अपने आप पूरे नेटवर्क के हर लेजर तक जाता है और वहां उसकी क्रॉस चेकिंग होती है। इसका मतलब ये हुआ कि वहां किसी गलत एंट्री, गलत हिसाब जोड़ने, या फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश नहीं बचती। किसी लेजर का कोई सौदा अगर बाकी पूरे नेटवर्क के सभी लेजरों से मैच नहीं होता तो वो अपने आप कैंसल कर दिया जाता है।
प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी क्या है
प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी, प्राइवेट ब्लॉकचेन के सहारे ट्रांजेक्ट होती है। इसको ट्रेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। आमतौर पर इसकी परिभाषा भी यही है। जीकैश, मोनेरो, डैश प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण है। वहीं बिटकॉइन, डॉजकॉइन, ईथीरियम ये सब पब्लिक क्रिप्टो करेंसी हैं जिनके ट्रांजेक्शन को ट्रेस किया जा सकता है।
क्रिप्टो करेंसी की वैश्विक स्थिति
क्रिप्टो करेंसी को लेकर दुनिया के देशों में स्पष्ट नीति नहीं है। अल सल्वाडोर दुनिया का एकलौता ऐसा देश है जहां बिटकॉइन को विधिक मुद्रा के तौर पर स्वीकार किए जाने की अनुमति है। चीन वो देश है जहां क्रिप्टो करेंसी और उससे जुड़ी सेवाओं पर पूरी तरह से निषेध है। कनाडा, इस्रायल और जर्मनी में क्रिप्टो करेंसी को कर दायरे के अधीन रखते हुए कुछ हद तक स्वीकार किया जाता है। ब्रिटेन में क्रिप्टो करेंसी को मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता। अमेरिका में विभिन्न राज्यों में इस बारे में अलग- अलग नियम हैं लेकिन संघीय सरकार क्रिप्टो करेंसी को विधिक मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं करती है।
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