वाराणसी (गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा के घाटों पर विचित्र किस्म के पोस्टर देखने के मिल रहे हैं। इन पोस्टरो को दो दक्षिणपंथी हिंदू संगठन- विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल की तरफ से लगाया गया है। पोस्टरों में चेतावनी दी गई है कि, गैर-हिंदू और सनातन परंपरा में विश्वास नहीं करने वाले लोग इन घाटों पर न आएं। इन पोस्टरों पर बड़े अक्षरों में लिखा है, ‘प्रवेश प्रतिबंधित- ग़ैर हिंदू’।
इन पोस्टरों पर ये भी लिखा है कि, ‘मां गंगा, काशी के घाट और मंदिर सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति, श्रद्धा और आस्था के प्रतीक हैं, जिनकी आस्था सनातन धर्म में हो, उनका स्वागत है, अन्यथा ये क्षेत्र पिकनिक स्पॉट नहीं है। पोस्टरों में ये भी लिखा है, ये निवेदन नहीं, चेतावनी है। पोस्टरों पर इस लाइन के नीचे विश्व हिंदू परिषद-बजरंग दल काशी भी लिखा हुआ है। इन संगठनों के नेताओं ने सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्टरों को लगाते हुए अपनी तस्वीरें साझा कीं हैं।
ऐसे पोस्टरों को वाराणसी के तमाम घाटों पर देखा जा सकता है। इन घाटो में पंचगंगा घाट, राम घाट, दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट और मणिकर्णिका घाट आदि शामिल हैं।
विश्व हिंदू परिषद का क्या कहना है
विश्व हिंदू परिषद की वाराणसी इकाई के सचिव राजन गुप्ता ने कहा है कि, ये पोस्टर अपील नहीं हैं बल्कि उन लोगों के लिए एक चेतावनी हैं, जो सनातन धर्म के अनुयायी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि, गंगा नदी के घाट और काशी के मंदिर हिंदू धर्म और संस्कृति के प्रतीक हैं और दूसरों को इनसे दूर रहना चाहिए। गुप्ता ने ये भी कहा कि यदि इन स्थानों पर आने वाले लोगों की हिंदू धर्म में आस्था है, तो उनका स्वागत है और यदि नहीं, तो हम उन्हें अपने पवित्र स्थानों से दूर भेज देंगे।
ध्रुवीकरण की राजनीति
बनारस उत्तर प्रदेश का वो शहर है जो आध्यात्म, धर्म, समावेशी संस्कृति और ज्ञान का प्रतीक रहा है। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जब गंगा की आरती करते थे तो वे भले ही वे सनातनी न हों लेकिन वे उस बनारसी संस्कृति का हिस्सा होते थे जो बनारस की पहचान रही है। कबीर की नगरी बनारस ने हमेशा सादगी, सरलता और अपनेपन का एहसास हर किसी को कराया है चाहे वो किसी भी मजहब और संस्कृति को मानने वाला हो।
बनारस की विश्वनाथ गली के निवासी राधेश्याम चौबे मानते हैं कि, ये सब बनारस की परंपरा नहीं है। चुनाव सर पर हैं तो ये सब शुरू कर दिया। बनारस में सुबह गंगा मइया में तो हिंदू हों या मुसलमान सब नहाते हैं। कितनों का तो दिन ही गंगा मइया में नहाने के बाद ही शुरू होता है। ये सब फालतू की बातें हैं। माहौल बिगाड़ने की कोशिश है।
राधेश्याम की तरह ही बनारस के तमाम लोगों का मानना है जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे इस तरह की गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर ऐसे अभियानों को लेकर न केवल आंखें मूंद लेने, बल्कि सक्रिय रूप से इसका समर्थन करने का आरोप लगाया गया है।
ऐसे आरोप बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी की बातों से भी सही साबित हो रहे हैं। उन्होंने पहले कहा कि, ये विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की हरकत नहीं बल्कि किसी शरारती तत्व का कारनामा है। जब उनको बताया गया कि, इन संगठनों ने खुद ही कहा है कि पोस्टर उन्होंने ने ही लगवाया है तो वे बात से पलट गए। फिर उनकी नई दलील सामने आई कि हां गंगा और वाराणसी के मंदिर पवित्र स्थान हैं कोई पिकनिक स्पॉट नहीं। बात को संभालने के लिए उन्होंने अंत में ये भी कहा कि कुछ भी हो किसी को यहां कौन आएगा कौन नही ये तय करने का अधिकार नहीं है।
पहले भी हो चुकी है ऐसी हरकतें
आपको बता दें कि, ये पहला मौका नहीं है जब बनारस में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की ओर से इस तरह का काम किया गया है। पिछले साल 25 दिसंबर को चर्च के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ और 31 दिसंबर को वाराणसी के मॉल और रेस्टोरेंट के बाहर न्यू ईयर पार्टी को सेलिब्रेट न करने की चेतावनी वाले पोस्टर भी वाराणसी में पहले लगाए जा चुके हैं।
बनारस की आत्मा पर चोट
जाने माने पत्रकार मार्क टुली ने बनारस की यात्रा के दौरान एक रिपोर्ट फाइल करते हुए लिखा कि बनारस अनोखा शहर है। सबको साथ लेकर चलने वाला ये शहर गंगा की तरह ही अविरल है। बिंदासपन और साफगोई यहां के लोगों में है। गंगा के घाटों पर बनारस बसता है। वो बनारस जो न हिंदू देखता है, न मुसलमान। बस सबको अपना लेता है। ईश्वर इस बनारस को आबाद रखे।
लेकिन, पत्रकार गांगेय राघव के अनुसार, बनारस के इस मर्म को समझने वाले लोग कम होते जा रहे हैं। चुनावों में मंदिर से लेकर गंगा और अब तो घाट भी दांव पर लग गए हैं। बनारस के लोगों को ही इसका जवाब देना होगा। ये कबीर और नजीर बनारसी की जमीन है। गंगा और उसके घाट किसी की बपौती नहीं हैं।
पुलिस ने क्या कहा
अपर पुलिस उपायुक्त वाराणससी जोन राजेश पांडेय ने कहा है कि मामला हमारे संज्ञान में है। पुलिस सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में लगी है। पोस्टर चिपकाने वालों और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वालों की पहचान की जा रही है। वे चाहे किसी भी दल से जुड़े हों उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया