नई दिल्ली, 27 अगस्त 2022 (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : बहुत देरी से ही सही, पर्यावरण की बेहतरी के लिए एक अहम कदम उठाया गया है। पर्यावरण प्रेमी लंबे अरसे से इसकी मांग कर रहे थे। सरकार ने अब बैटरियों के सुरक्षित निपटारे के लिए साल 2001 के नियमों की जगह नए नियम जारी किए हैं।
अभी तक बैटरियों के सुरक्षित निपटारे के लिए कड़े नियम नहीं थे। इसके कारण जमीन और पानी के साथ ही हवा के प्रदूषित होने का खतरा बना हुआ था। नए नियमों के तहत बैटरियों का निर्माण और आयात करने वाली कंपनियों को इन्हें वापस लेने का सिस्टम विकसित करना होगा और इनका सेफ तरीके से निपटारा भी करना होगा। इन नियमों के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों के अलावा पोर्टेबल, ऑटोमेटिव और औद्योगिक बैटरियों का असुरक्षित तरीके से निपटारा नहीं किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि, हाल के सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पावर परियोजनाओं और घरों में बैटरियों की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है। इनकी मांग तो बढ़ गई है, लेकिन इनका सेफ निपटारा एक बड़ी समस्या भी बन गया है। हर साल लाखों की तादाद में बैटरियां बेकार हो जाती हैं। अभी इन ज्यादातर बैटरियों का असंगठित क्षेत्र में असुरक्षित तरीके से निपटारा किया जा रहा है। इसके कारण जमीन, पानी और हवा प्रदूषित हो रहे हैं। कई मामलों में तो ऐसा देखा गया है कि इन्हें कहीं भी फेंक दिया गया, यहां कि समुद्र तटों पर भी। बैटरियों में एसिड के साथ ही कई और खतरनाक तत्व भी होते हैं।
नए नियमों के तहत बैटरियों के निर्माताओं और आयातकों को बैटरियों को वापस लेने का सिस्टम बनाने के साथ ही इनके निपटारे के लिए ऐसे ठोस इंतजाम करने होंगे, जिससे प्रदूषण न हो और न ही इंसानी सेहत को कोई नुकसान हो। इसके साथ ही हर निर्माता और आयातक को इस मामले में बनाए गए पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सरकार की ओर से बैटरियों के निपटारे के काम पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए समय-समय पर ऑडिट किया जाएगा।
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