देहरादून, 27 सितंबर(गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय ) : अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में रोजाना ऐसे तथ्य़ सामने आ रहे हैं जो इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि कहानी बहुत उलझी हुई है। राजनीतिक रसूख से लेकर प्रशासनिक निकम्मापन जैसे कई पहलू तो हैं ही लेकिन, कुछ ऐसे सवाल भी हैं जो मामले को बेहद संदिग्ध बनाते नजर आ रहे हैं। मामले की जांच SIT यानी विशेष जांच दल को सौंप दी गई है और उसने जांच शुरू कर दी है। एडीजी वी मुर्गेश के नेतृत्व में जांच दल ने आज दो बार रिज़ॉर्ट का दौरा किया और जांच पड़ताल की है।
अनुत्तरित सवाल
अंकिता की हत्या से जुड़ी जांच में कई पेंच हैं। सबसे पहला, रिजॉर्ट यानी अंकिता जहां नौकरी करती थी उसे क्यों और किसके आदेश पर ढहाया गया। दूसरा, मुख्य आरोपी पुलकित का फोन कहां है, तीसरा पुलिस ने इस मामले में शुरुवात में रिमांड क्यों नहीं मांगी। यही नहीं ऐसी भी खबरें हैं कि स्थानीय स्तर पर इस मामले की पड़ताल में जुटे पत्रकारों को फोन पर लगातार धमकी दी जा रही है। इसके पीछे कौन लोग सक्रिय हैं और क्या अभी भी उनकी सक्रियता बनी हुई है ?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 24 सितंबर को अंकिता का शव बरामद होने के बाद एक प्रेस कॉंफ्रेंस में कहा था कि, सभी अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है। उन्होंने ये भी कहा था कि रिज़ॉर्ट सरकारी वन भूमि पर है और उसके ध्वस्तीकरण (ढहाने) की कार्रवाई भी चल रही है। लेकिन क्या इस कार्रवाई के बारे में स्थानीय प्रशासन को कोई जानकारी न हो ऐसा संभव है। लेकिन जिला प्रशास कुछ ऐसा ही दावा कर रहा है। अभी तक ज़िला प्रशासन को ठीक-ठीक पता ही नहीं है कि ये कार्रवाई की किसने?
ये बात कितनी शर्मानक है कि इतने संजीदा मामले में पौड़ी के ज़िलाधिकारी जोगदंड कह रहे हैं कि पता लगाया जा रहा है कि आख़िर किसके आदेश पर रिज़ॉर्ट ढहाने के लिए बुलडोज़र भेजा गया। उन्होंने कहा कि पुलिस, राजस्व विभाग, स्थानीय निकाय या विकास प्राधिकरण ऐसा आदेश दे सकते है। उन्होंने कहा कि, कई एजेंसियां हैं जो ये कार्रवाई कर सकती हैं। हम पता लगा रहे हैं कि किसके आदेश पर ये कार्रवाई हुई। हत्याकांड की जांच में शामिल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शेखर सुयाल ने स्पष्ट किया कि पुलिस विभाग ने रिज़ॉर्ट को गिराने के आदेश नहीं दिए थे।
सवाल ये है कि इतना बड़ा कांड होने के बाद पुलिस ने क्राइम सीन की मुख्य क़ड़ी यानी रिजॉर्ट को सील क्यों नहीं किया और उसे कैसे बिना उसकी जानकारी के ढहा दिया गया। कहीं रिज़ॉर्ट ढहाने के पीछे कांड से जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्यों को मिटाने की साजिश तो काम नहीं कर रही थी।
रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चलाए जाने को लेकर अंकिता के परिवार ने भी सवाल उठाए थे। परिवार वालों का कहना था कि अंकिता जिस कमरे में रहती थी, वहां से कई सबूत मिल सकते थे, लेकिन उसे ढहा दिया गया।
कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी आरोप लगाया, है कि, अंकिता हत्याकांड मामले में पुलिस प्रशासन की शुरू से लापरवाही दिख रही है। अंकिता का शव खोजने में देरी की गई, रिज़ॉर्ट पर भी बुलडोज़र तुरंत चलवा दिया गया जबकि वहां से कई सबूत जुटाए जा सकते थे।
दूसरा सवाल, मुख्य अभियुक्त पुलकित के फोन को लेकर है। पुलकित का फोन कहां है। पुलिस ने कहा है कि अभी तक पुलकित का फोन वो बरामद नहीं कर सकी है। पुलिस इसकी तलाश में जुटी है। हालांकि, अंकिता के गुम होने के अगले दिन अंकिता के दोस्त और पुलकित के बीच बातचीत की ऑडियो रिक़र्डिंग कई टेलीविजन चैनलों पर चली लेकिन पुलिस फिलहाल अपने हाथ खाली होने की बात कर रही है। अंकिता ने अपने दोस्त को फोन पर बताया था कि कोई वीआईपी रिजॉर्ट पर आने वाला है और उस पर उसे अपनी सेवाएं देने का दबाव है। जाहिर है कि, पुलकित के फोन से ऐसे कई राज से पर्दाफाश होता।
एक और प्रशन इस हाईप्रोफ़ाइल केस में पुलिस ने अभियुक्तों के कथित कबूलनामे पर इतनी जल्दी कैसे एतबार कर लिया। पुलिस ने मजिस्ट्रेट से पूछताछ के लिए रिमांड भी नहीं मांगी और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में पौड़ी जेल भेज दिया गया। पुलिस का दावा है कि, सब कुछ प्रक्रिया के मुताबिक़ ही हुआ है। पुलिस ने उनसे तक़रीबन 15 घंटे तक पूछताछ की। प्रथम दृष्टया लगा कि हमें सारी जानकारी मिल गई है तो उन्हें जेल भेज दिया गया। और, अगर सब कुछ ठीकठाक था तो पुलिस ने आज अभियुक्तों की रिमांड क्यों मांगी है।
अंकिता के मामले में राजस्व पुलिस और पटवारी की भूमिका भी संदिग्ध है। अंकिता के पिता ने साफ़-साफ़ कहा था कि अगर राजस्व पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया होता तो शायद उनकी बेटी ज़िंदा होती। 19 सितंबर को पटवारी चौकी उदयपुर तल्ला में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। परिजनों का आरोप है कि जब वो पटवारी चौकी पहुँचे तो पटवारी ने उन्हें क़रीब ढाई घंटे बाहर बिठाए रखा। आरोप है कि चार दिन तक राजस्व पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और परिवार वालों को टालती रही। बाद में 22 सितंबर को इस मामले को नियमित पुलिस के हवाले किया गया।
आपको बता दें कि, 19 वर्षीय अंकिता की हत्या रिज़ॉर्ट संचालक और बीजेपी नेता और पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य, रिज़ॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और एक अन्य कर्मी अंकित ने कर दी थी। जानकारी के अनुसार, अंकिता को अनैतिक कार्य के लिए दबाव बनाया जा रहा था लेकिन जब उसने इस बारे में दूसरों को बताने की धमकी दी तो उसकी हत्या कर दी गई। शनिवार को अंकिता का शव ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग पर चीला शक्ति नहर के पावर हाउस के पास बरामद किया गया। अंकिता पौड़ी गढ़वाल के डोम श्रीकोट की रहने वाली थी। वो ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र और चीला के बीच मौजूद वंतरा रिज़ॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम कर रही थी। वंतरा रिज़ॉर्ट लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र और चीला के बीच स्थित है। ये राजस्व पुलिस का क्षेत्र पड़ता है। अंकिता की गुमशुदगी की जानकारी पहले क्षेत्र के पटवारी यानी लेखपाल को दी गई। 22 सितंबर को विवेचना रेग्युलर पुलिस को दी गई।
पत्रकारों को धमकी
अंकिता हत्य़ाकांड की जांच में जुटे कई स्थानीय पत्रकारों को फोन पर धमकियां दी जा रही हैं। धमकी मुंबई और बाहर के नंबरों से मिल रही है और धमकी देने वाला कह रहा है कि पुलकित भय्या तो कुछ दिनो में बाहर आ जाएंगे पर तू अपना देख ले। सवाल ये है कि, इस मामले में अभियुक्तों का दुस्साहस क्या इस हद तक बढ़ गया है कि वे जेल में बैठ कर लोगों को धमका रहे हैं। अगर ऐसा है तो उनको किसकी शह मिली हुई है ?
फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया