नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : पिछले कुछ समय से बीजेपी सांसद वरुण गांधी किसानों, बेरोजोगारी और महंगाई को लेकर जिस तरह से लगातार अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं उससे बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा हो रही हैं। ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं वरुण गांधी कांग्रेस में जा सकते हैं, लेकिन वरुण गांधी ने कभी भी खुल कर कांग्रेस की नीतियों या विचारों का समर्थन नहीं किया।
इसी बीच, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के पंजाब से गुजरने के दौरान पत्रकारों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से वरुण गांधी के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों पर सवाल पूछ लिया। सवाल पारिवारिक होने के साथ वैचारिक भी था लिहाजा राहुल के लिए थोड़ी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। राहुल गांधी ने कहा कि, वरुण को आज भी गले सकता हूं लेकिन यहां लड़ाई रिश्तों की नहीं, बल्कि विचारधार की है।
राहुल ने पत्रकारों से इस सवाल का जवाब दो तरह से लेने को कहा। उन्होंने कहा कि, पारिवारिक लिहाज से मैं जरूर वरुण से मिल सकता हूं। उन्हें गले लगा सकता हूं। इसमें मुझे किसी तरह की कोई झिझक नहीं है।
लेकिन, राहुल गांधी ने कहा, रिश्ते अलग होते हैं। मेरा मानना है कि विचारधारा की लड़ाई चल रही है। सालों पहले वरुण ने मुझसे कहा था कि आरएसएस देश में बहुत अच्छा काम कर रही है तो मैंने कहा कि आप अपने परिवार का इतिहास पढ़िए और समझिए क्योंकि अगर आप अपने परिवार की विचारधारा समझ लेंगे तो आप ये कभी नही बोलेंगे, जो आपने मुझसे बोला है। राहुल गांधी ने कहा कि वरुण बीजेपी में हैं। अगर वे यहां चलेंगे तो शायद उनको समस्या हो जाएगी। लेकिन मेरी विचारधारा उनकी विचारधारा से नही मिलती। कोई नफरत या ऐसी कोई बात नहीं है।
मैं आरएसएस के ऑफिस में कभी नहीं जा सकता। आपको मेरा गला काटना पड़ेगा। मेरा जो परिवार है उसकी एक विचारधारा और थिंकिंग सिस्टम है। वरुण ने एक समय और शायद आज भी उस विचारधारा को अपनाया और अपना बनाया। मैं उस बात को स्वीकार नहीं कर सकता।
वरुण के लिए क्या है मुश्किलें
वरिष्ठ पत्रकार, मैथ्यू जॉर्ज के अनुसार, वरुण के लिए मुश्किलें क्या हैं? वे गांधी पकिवार से आते हैं लिहाजा बीजेपी के लिए वे लाख समर्पित रहें लेकिन बीजेपी उन्हें हमेशा शक की निगाह से ही देखेगी। यही वजह है कि वरुण को आज तक पार्टी ने कोई मंत्री पद नहीं दिया। ये भरोसे की कमी ही दिखाता है। हां, उनकी मां मेनका गांधी मंत्री को मंत्री जरूर बनाया। इसकी वजह है, मेनका ने कई मौकों पर अपनी सास पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अपनी जेठानी सोनिया गांधी को सार्वजनिक रूप से जम कर कोसा। ये बीजेपी की रणनीति के हिसाब से उपयुक्त है लेकिन वरुण गांधी ने आज तक अपने खानदान के बारे में किसी भी तरह के हल्के शब्दों का इ्सतेमाल नहीं किया।
दूसरा, बीजेपी के लिए नेहरू-गांधी परिवार हमेशा से राजनीतिक दुशमन नंबर एक रहा है। वरुण भले बीजेपी में हों लेकिन हैं तो नेहरू-गांधी खानदान से ही। वरुण को अहमियत देने का मतलब बीजेपी को नेहरू-गांधी खानदान को गरियाने के अपने लहजे को बदलना पड़ेगा या नरम करना पड़ेगा। उससे बीजेपी को मुश्किल होगी।
मैथ्यू आगे कहते हैं कि, यही समस्या वरुण गांधी के साथ भी है। वे लाख चाह लें लेकिन वे अपनी ब्रांडिंग शाखाधारी राजनेता के रूप में नहीं कर सकते हैं। यही वजह है कि समय-समय पर तमाम मसलों पर वे पार्टी से अलग लाइन लेते दिखते हैं।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया