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दिग्गज टेक कंपनियों में ताबड़तोड़ छंटनी, जानिए, भारत के लिए क्यों है बुरी खबर ?

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनियों में काम करने वाले भारतीयों के लिए मुश्किल घड़ी पैदा हो गई है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी कंपनियां ताबड़तोड़ छंटनी कर रही है और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय पेशेवर हो रहे हैं। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के अनुसार, पिछले साल नवंबर से लेकर अब तक 2 लाख से ज्यादा आईटी पेशेवरों को नौकरी से निकाला गया है और ये प्रक्रिया आने वाले समय में और ज्यादा जोर पकड़ सकती है। अनुमान है कि निकाले गए पेशेवरों में अकेले भारत से आने वाले 30-40 प्रतिशत पेशेवर हैं।

भारतीय पेशेवरों पर असर

द वशिंगटन पोस्ट अखबार के अनुसार, आईटी सेक्टर में इस तरह की छंटनी से भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। अखबार लिखता है कि, इस पेशे में काफी ज्यादा संख्या में भारतीय काम करते हैं इसलिए प्रभाव भी उन पर ज्यादा पड़ेगा। अखबार लिखता है कि, हजारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की नौकरी चली गई है। नौकरी जाने के बाद उनके लिए अब अमेरिका में टिके रहना भी मुश्किल हो रहा है। वर्क वीजा के तहत निर्धारित अवधि के अंदर नया रोजगार पाने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

अखबार लिखता है कि, जिन लोगों को नौकरी मिल भी रही है उन्हें पहले से कम पैकेज और सुविधाओं का प्रस्ताव दिया जा रहा है। अखबार के अनुसार, पिछले साल नवंबर से आईटी सेक्टर के करीब 2,00,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है।

आपको बता दें कि अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवर बड़ी तादाद में एच-1 बी और एल 1 वीजा पर हैं। एच-1 B वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को खास व्यवसायों में रखने की इजाजत देता है। टेक कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को जॉब पर रखने के लिए इन वीजा पर निर्भर रहते हैं।

एल-1A और एल-1B वीजा अस्थायी इंट्राकंपनी ट्रांसफर के लिए होते हैं जो मैनेजेरियल पोस्ट पर काम करते हैं या खास ज्ञान रखते हैं।

एच-1बी वीजा धारकों के लिए स्थिति ज्यादा खराब है क्योंकि उन्हें 60 दिनों के अंदर नई नौकरी ढूंढनी होगी, नहीं को उनके पास भारत लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

टेक कंपनियों में छंटनी की वजह से भारतीय आईटी पेशेवर अमेरिका में बने रहने के लिए विकल्प की खोज में हैं और नौकरी जाने के बाद विदेशी कामकाजी वीजा के तहत मिलने वाले कुछ महीनों की निर्धारित अवधि में नया रोजगार तलाशने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है। अखबार के मुताबिक, अमेजन में काम करने के लिए गीता (बदला हुआ नाम) महज तीन महीने पहले अमेरिका गई थी। इस हफ्ते उन्हें बताया गया कि 20 मार्च को उनके कार्यकाल का आखिरी दिन होगा। एच-1बी वीजा पर अमेरिका आई एक और आईटी पेशेवर को माइक्रोसॉफ्ट ने 18 जनवरी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। वे कहती हैं, ‘‘स्थिति बहुत खराब है।’’

अखबार में सिलिकॉन वैली स्थित उद्यमी और कम्युनिटी लीडर अजय जैन का एक बयान भी छपा है जिसमे उन्होंने कहा है कि, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हजारों टेक कर्मचारियों को छंटनी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर, एच -1 बी वीजा पर जो आए हैं वो अतिरिक्त चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें एक नई नौकरी ढूंढनी होगी और 60 दिनों के अंदर अपना वीजा स्थानांतरित करना होगा, या देश छोड़ने का जोखिम उठाना होगा।

ताबड़तोड़ छंटनी की क्या है वजह?

दुनिया भर की कई दिग्गज टेक कंपनियों में छंटनी से हाहाकार मचा हुआ है। एक के बाद एक बड़ी कंपनियां लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं। टेक और ई-कॉमर्स कंपनियों में सबसे ज्यादा छंटनी देखने को मिल रही है।

गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक अपने 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है। वहीं गूगल की प्रतिस्पर्धी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भी कहा है कि वो 10,000 कर्मचारियों की छंटनी करेगी। इसके अलावा अमेजन ने इस महीने की शुरुआत में कहा कि वह वैश्विक स्तर पर 18,000 कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है। भारत में लगभग 1,000 कर्मचारियों पर इसका असर पड़ेगा। इससे पहले फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने 11,000 से ज्यादा कर्मचारियों को यानी 13 प्रतिशत कर्मचारियों को निकाल दिया था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर में भी एलन मस्क के आने के बाद भारी पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की गई है।

मानव संसाधन विशेषज्ञ अतनु डे के अनुसार, ये कुछ तो कोविड और कुछ मंदी का आशंका के कारण हो रहा है। कोविड के दौरान आई टी और सप्लाई चेन से जुड़ी कंपनियों काम और मुनाफा काफी बढ़ गया था। खूब नौकरियां आईं और मिलीं। अब हालात बदल गए हैं तो गाज तो गिरनी ही है। मंदी की आशंका अलग है। टेक कंपनियां घबराई हुई हैं। देखने की बात तो ये है कि, इसका असर घरेलू आईटी कंरपनियों पर कैसा पड़ता है। जोमैटो और स्वीगी जैसी सप्लाई चेन से जुड़ी कंपनियों को रोजाना करोड़ों का घाटा हो रहा है। कब तक वो चल पाएंगी। ये दौर तो काफी खराब होने वाला है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया  

 

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