मुंबई (गणतंत्र भारत के लिए सुहासिनी ) : भारत में बैंकों से लोन लेना बहुत आसान हो गया है। लोन देकर बैंको की भी काफी कमाई होती है। इसीलिए बैंक भी आपको लोन देने के लिए उतावले रहते हैं। लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति लोन लेकर उसे समय से बैंक को वापस नहीं कर पाता या कर पाने की स्थिति में नहीं रहता। बैंकं के रिकवरी एजेंट उन्हें फोन करके परेशान करते हैं या फिर घर पर आ धमकते हैं। कई लोग तो बदनामी और आर्थिक तंगी के चलते खुदकुशी तक कर लेते हैं।
गणतंत्र भारत आज अपने पाठकों को बैंकों के लोन और उसके रिपेमेंट से जुड़ी परेशानियों के बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिय़ा की ताजी गाइडलाइंस के बारे में बताएगा।
हम आपको दो चीजें बताएंगे, पहला, अगर आप लोन न चुका पाए और कोई बैंक आपको परेशान कर रहा है तो आप क्या कर सकते हैं और नियम क्या कहते हैं? और दूसरा, अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं तो आपके पास क्या विकल्प हो सकते है?
बैंक परेशान करे तो क्या करें ?
रिजर्व बैंक ने लोन रिकवरी को लेकर कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं जिनका पालन हर हाल में करना होगा :
- रिकवरी एजेंट देनदार को धमकी नहीं दे सकता और हाथापाई, गाली-गलौज नहीं कर सकता।
- दोस्तों, रिश्तेदारों या सार्वजनिक रूप से देनदार की बेइज्जती नहीं कर सकता।
- यहां तक कि बैंक और रिकवरी एजेंट मनचाहे समय पर देनदार को कॉल, मैसेज, ईमेल या उनके घर नहीं पहुंच सकते। RBI ने इसके लिए सुबह 8 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक का समय तय किया है।
- रिकवरी एजेंट अगर गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो इसके लिए बैंक भी जिम्मेदार माने जाएंगे।
- अगर कोई रिकवरी एजेंट परेशान कर रहा है तो आप अपने नजदीकी थाने में इसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। रिकवरी एजेंट की बदमाशियों का कोई वीडियो, फोटो, कॉल रिकॉर्ड जमा करें इससे आपकी बात को मजबूती मिलेगी।
अगर आप पहली EMI मिस करते हैं तो बैंक आपको कॉल, मैसेज या नोटिस के जरिए याद दिलाता है, दूसरी EMI मिस करने पर भी यही होता है, लेकिन EMI फिर मिस होती है तब से बैंक कार्रवाई करना शुरू कर देता है। बैंक आपसे इसके लिए EMI बाउंस होने के चार्जेज भी वसूलता है और आपके ब्याज पर और ब्याज वसूलता है। उसके बाद आपका केस किसी रिकवरी एजेंट को ट्रांसफर कर दिया जाता है।
असमर्थ हैं, तो आपके पास क्या विकल्प हैं ?
अगर आप लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो बैंक आप पर सिविल केस कर सकती है। ऐसे मामलों में क्रिमिनल केस नहीं होता।
- अगर आप किसी भी वजह से EMI नहीं चुका पा रहे तो सबसे पहले बिना डरे या कोई और कदम उठाए आप बैंक के पास जाएं और उन्हें अपनी समस्या बताएं। बैंक का इंटेंशन आपको लोन देकर परेशान करना नहीं है, बैंक कमाने के लिए बैठा है। वो चाहता है बस पैसा डूबने की जगह किसी तरह वापस आ जाए। हो सकता है बैंक ही आपको कोई रास्ता सुझाए।
- आप बैंक से मॉरटोरियम के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं। कई बार, मेडिकल या अन्य इमरजेंसी में आप कुछ समय के लिए EMI चुकाने में असर्मथ हो जाते हैं, तो बैंक से रिक्वेस्ट करें कि कुछ समय के लिए EMI पर रोक लगा दे, हालांकि ये पूरी तरह बैंक पर निर्भर करता है कि वो आपकी बात मानता है या नहीं।
- इसके अलावा आप बैंक से रिक्वेस्ट कर लोन का टेन्यॉर बढ़ा कर अपनी EMI घटा सकते हैं।
- अगर लोन देने वाला बैंक काफी सख्त है तो आप किसी अन्य बैंक में अपना लोन ट्रांसफर करवा सकते हैं, अगर ऐसा हो जाता है तो दूसरा बैंक आपको कुछ रियायते दे सकता है।
- अगर आप एक से ज्यादा लोन ले रखा है तो आप उन दोनों या तीनों लोन को एक में क्लब कर सकते हैं, उससे भी आपको थोड़ा फायदा मिल सकता है।
- इसके अलावा आप लोन सेटलमेंट भी करवा सकते हैं, इसका मतलब कि अगर आपका लोन दो लाख रुपए का है और इस वक्त आपके पास 50-60 हजार रुपए हैं तो वो रकम दे कर आप अपना लोन सेटल करवा सकते हैं। लेकिन इसका नुकसान ये है कि फिर आपको कभी कोई बैंक लोन नहीं देगा।
- बाकी और भी नुकसान है जैसे सीबील स्कोर खराब होगा, आपके लोन गारंटर पर प्रभाव पड़ेगा।
फोटो सौजन्य़ : सोशल मीडिया