मुंबई, (गणतंत्र भारत के लिए सुहासिनी) : दुनिया के तमाम देशों में जंगलों में लगने वाली आग और अमेरिका के लॉस एंजिलिस में लगी भीषण आग ने वैश्विक वातावरण के गणित को गड़बड़ा दिया है। पूर्वानुमानों के अनुसार, आने वाली गर्मी अपने साथ मौसम के लिहाज से एक खतरनाक स्थिति की तरफ इशारा कर रही है। पू्र्वानुमानों के अनुसार, वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर इस बिगड़ सकता है कि वो 20 लाख सालों का रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
साल 23- 24 में सबसे तेज वृद्धि
इस बारे में हवाई स्थित मौना लोआ ऑबजरवेटरी के पूर्वानुमानों की माने तो वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 2025 में खतरनाक रूप से बढ़ सकता है। इसमें 2023 से 2024 के बीच सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई थी। ब्रिटेन के मौसम कार्यालय ने पिछली 17 जनवरी को एक जानकारी साझा की जिससके अनुसार 2025 में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 429.6 पीपीएम तक पहुंच सकता है। 20 लाख वर्षों में यह पहला मौका है, जब कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर इतना अधिक होगा।
पेरिस समझौते के लक्ष्यों से बहुत पीछे
आंकड़ों के अनुसार, 2024 से 2025 के बीच इसमें 2.26 पीपीएम की वृद्धि होने की आशंका है जो पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज के लक्ष्यों के अनुरूप नहीं है।
1958 में हवाई के मौना लोआ में तापमान की माप शुरू होने के बाद से 2024 में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में सबसे तेज दर से वृद्धि दर्ज की गई। आंकड़ों के अनुसार 2023-2024 के बीच कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में 3.58 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2.84 पीपीएम के पूर्वानुमान से कहीं ज्यादा है। उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों ने भी दुनिया भर में अच्छी-खासी वृद्धि की पुष्टि की है।
जंगली आग और जीवाश्म ईंधन बड़ी वजह
मौसम विभाग द्वारा किए अध्ययन के मुताबिक, कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि जीवाश्म ईंधन के रिकॉर्ड उत्सर्जन, वनों द्वारा कार्बन अवशोषण में आती कमी, और जंगलों में धधकती आग से होते उत्सर्जन की वजह से हुई है। इसके साथ ही प्राकृतिक स्रोतों द्वारा कार्बन अवशोषण में आती कमी ने भी इसमें भूमिका निभाई थी।
जब जंगल जलते हैं, तो वे बड़ी मात्रा में जमा कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, यूरोपीय यूनियन की कोपरनिकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस (सीएएमएस) के अनुसार, 2023 में दुनिया भर के जंगलों में लगी आग से 750 करोड़ टन के आसपास कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुई थी।
कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने से क्या होगा
वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड एक ऐसे जाल की तरह से काम करती है जो जमीन पर गर्मी को रोक कर रखती है। इससे वैश्विक तापमान में इजाफा होता है। इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं, जिसमें समुद्र के जलस्तर का बढ़ना, भयंकर सूखा, तूफान और बाढ़ की घटनाओं का होना शामिल है। 2024 में रिकॉर्ड तापमान ने भीषण गर्मी, सूखा, लू, जंगल की आग, तूफान और बाढ़ जैसी घटनाओं को बढ़ावा दिया। इसकी वजह से हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और लाखों लोगों को अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
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