नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र) : अमेरिका में डोनॉल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभाल लिया है। पदभार ग्रहण करने के साथ उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जो भारत के हितों को देखते हुए सकारात्मक नहीं कहे जा सकते हैं।
अमेरिका में 2024 तक भारतीयों की तादाद 54 लाख से ज्यादा हो चुकी थी। अमेरिका में भारतीय दुनिया के तीसरी सबसे बड़ी आबादी हैं और वे अमेरिका की कुल जनसंख्या का तकरीबन 1.5 प्रतिशत हैं। इसके अलावा 20 हजार से ज्यादा भारतीय़ मूल के लोग वहां अवैध रूप से भी रह रहे हैं।
सत्ता संभालते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने जो भाषण दिया और मोटामोटी अपनी नीति को स्पष्ट किया उससे जाहिर तौर पर भारत के लिए दो मोर्चों पर कठिनाई के संकेत मिलते हैं। पहला, माइग्रेशन और दूसरा ट्रेड यानी व्यापार। ट्रंप ने यह भी स्प्ष्ट किया कि, उनके नीतिगत निर्णयों में अमेरिका फर्स्ट की नीति ही मूल आधार होगी।
माइग्रेशन का सवाल और भारत
भारत के 54 लाख से ज्यादा लोग है अमेरिका में हैं। लाखों छात्र हर साल अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। बहुत से छात्र वहीं नौकरी तलाशते हैं और कालांतर में वे अमेरिका के नागरिक भी बन जाते हैं। कनाडा के रास्ते भी भारी संख्या में भारतीय अवैध रूप से अमेरिका में घुसते हैं। बहुत से पकड़े भी जाते हैं और जेल भेजे जाते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में अमेरिका में बेरोजगारी के लिए भारतीयों को दोषी ठहराया था।
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने शुरुवाती भाषण में हालांकि किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि अब अमेरिका में सिर्फ प्रतिभाशाली छात्रों के लिए ही जगह होगी। सिर्फ पैसों के दम पर दाखिला लेने को हतोत्साहित किया जाएगा।
अमेरिका में चीन के बाद भारतीय छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा है और चीन को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप जिस तरह की नरमी दिखा रहे हैं उससे मुश्किल भारतीयों के लिए ही सबसे ज्यादा पैदा होने का अंदेश है।
अवैध रूप से अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की संख्या भी काफी ज्यादा है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार ही 20 हजार से ज्य़ादा भारतीय वहां अवैध रूप से रह रहे हैं। कुछ तो जेल में हैं। देखना यह होगा कि ट्रंप उनको लेकर किस तरह का रुख अख्तियार करते हैं।
ट्रेड का सवाल और भारत – अमेरिका
2022 में भारत और अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार 191.8 अरब डॉलर का था। भारत ने 118 अरब डॉलर का निर्यात किया था और आयात 73 अरब डॉलर का था। यानी भारत का 2022 में 45.7 अरब डॉलर सरप्लस व्यापार था। लेकिन ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी के तहत भारत के ख़िलाफ़ टैरिफ लगाया तो चीज़ें बदलेंगी। ट्रंप चाहते हैं कि ट्रेड सरप्लस अमेरिका के पक्ष में रहे न कि भारत के पक्ष में।
इसके अलावा, भारत ब्रिक्स का सदस्य देश है। राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रिक्स को लेकर जिस तरह की तल्खी जाहिर की है उससे भारत के लिए भी मुश्किलें बढ़ेंगी। ट्रंप ने साफ किया है कि ब्रिक्स देशों के साथ किसी तरह के व्यापार पर वे भारी टैरिफ लगाएंगे।
अलजजीरा टेलीविजन के साथ परिचर्चा में अल्बनी युनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ क्रिस्टोफर क्लैरी भी मानते हैं कि, अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप प्रशासन की नीति भारत को लेकर काफी आक्रामक रहने वाली है। निवेश, व्यापार और माइग्रेशन के सवाल काफी अहम रहने वाले हैं।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में औपचारिक रूप से शामिल होने का कोई न्यौता नहीं दिया गया लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उम्मीद है ट्रंप क्वाड सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस साल भारत का दौरा करेंगे और दोनों देशों के संबंधों को और मजबूती मिलेगी।
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