नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए जे.पी. सिंह):
नई दिल्ली : रबी सीजन की शुरुआत हो गई है और खरीफ़ सीजन समाप्ति की ओर है यानी एक फ़सल जहां कट रही है वहीं दूसरी तरफ़ आगे रबी की कई फ़सलों के लिए खेत तैयारी, जुताई और बुआई का काम चल रहा है। इसे आप किसानों के लिए सबसे संवेदनशील समय कह सकते हैं। इसलिए अभी इतने सारे कार्यों का निपटारा तेज़ी से और सही से समय पर करना एक बड़ी चुनौती है जिसे आप यंत्रों के सहारे बेहद आसान बना सकते हैं। आज के दौर में खेती को उन्नत बनाने में खास अहमियत आधुनिक कृषि यंत्रों की है। किसान के लिए रबी सीजन जुताई, बुआई, आधुनिक यंत्रों का प्रयोग कर आसान बनाया जा सकता है। साथ ही पैदावार में इजाफा करने के साथ लागत में कमी भी लाई जा सकती है। तमाम ऐसे कृषि यंत्र होते हैं जो सस्ते होते हैं ऐर किसान उन्हें खरीद सकता है जबकि बहुत से यंत्र ऐसे होते हैं जिनकी क़ीमत किसान के पहुंच में नहीं होती उन्हें किराए पर भी लिया जा सकता है।
किसानों का दोस्त ‘रोटावेटर’
रोटावेटर 35 हार्सपावर या इससे ऊपर के हार्सपावर के ट्रैक्टर से संचालित होने वाला उपकरण है जो बीज की बुआई के लिए की जाने वाली प्रक्रिया जैसे जुताई से लेकर बीज बुआई तक के सभी काम को ज़रूरत के मुताबिक कर सकता है। यह मशीन खेत की जुताई और खेत को समतल करने से लेकर बीज बोने तक का पूरा काम करने में सक्षम है। प्लेन रोटावेटर खरीफ़ के पिछले फ़सल अवशेषो को पूरी तरह से नष्ट करने के साथ-साथ पडलिंग और हरी खाद की फसलो को खेत में मिलाने का काम भी अच्छी तरह से करता है। य़ह मिट्टी में 6 इंच गहराई तक पहुंच कर फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाता है। इसके जरिए दबाए गए फ़सल अवशेष मिट्रटी में मिलकर धीरे -धीरे खाद में बदल जाते हैं। इससे खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है और नमी के संरक्षण में भी मदद मिलती है। इस यंत्र की क़ीमत 70-80 हज़ार रुपए तक होती है।
बुवाई-जुताई एक साथ निपटाएं
इसी रोटावेटर का एक और रूप है जिसे रोटावेटर रोटो टिल ड्रिल कहते हैं। इससे धान, मक्का और गन्ने की कटाई वाले खेतों सहित अन्य खेतों की जुताई कर बीज बोने का काम असानी से किया जा सकता है| इससे समय और ऊर्जा की बचत होती है और मिट्टी अपरदन कम करने में भी मदद मिलती है। इसके कारण पर्यावरण- संरक्षण का काम भी आसानी से संभव है। इस यंत्र में रोटावेटर और बुआई मशीन की गहराई अलग-अलग सेट करने का प्रावधान है। इस यंत्र से 30 से 35 प्रतिशत तक समय की बचत और 20 से 25 प्रतिशत तक लागत में कमी भी संभव है। इसकी अनुमानित कीमत लगभग एक लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की होती है।
आलू की तेज़ बुआई करें पोटैटो प्लांटर से
इस समय आलू की बुआई का काम चल रहा है और इसमें एक ख़ास मशीन आपकी ज़बर्दस्त मदद कर सकती है, ये है पोटैटो प्लांटर। किसानों के लिए आलू की बुआई बेहद खर्चीला काम है लेकिन आलू बोने वाले यंत्र की सहायता ये काम कम खर्च में और कम समय में बेहतर तरीके किया जा सकता है। इसके सेमी ऑटोमेटिक यंत्र से आलू की बुआई करने के लिए इसके हापर में आलू भर लिए जाते हैं। यह हापर पीछे की तरफ से खुला होता है। यंत्र की हर सीट पर एक-एक व्यक्ति बैठा दिया जाता है जो हापर में से आलू उठा कर डिस्क के होल में डालने का काम करते हैं। अब ट्रैक्टर खेत में ले जा कर बुआई की जाती है। इस मशीन से एक घंटे में लगभग एक एकड़ में आलू की बुआई संभव है। इसी यंत्र का ऑटोमेटिक वर्जन ऐसा है जिसमें बिना किसी अतिरिक्त व्यक्ति को लगाए ऑटोमेटिक तरीक़े से आलू की बुआई की जा सकती है। यह यंत्र सेमी ऑटोमेटिक की तुलना में काफी महंगा तो होता ही है साथ ही इसको चलाना, इसका समायोजन और रखरखाव केवल प्रशिक्षित ऑपरेटर ही कर सकता है।
कृषि विभाग से मिलता है अनुदान
देश में किसानों को कम दरों पर जरूरत के अनुसार कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने के उद्देश से कई योजनाएं चलाई जा रहीं है| इन योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र दिए जाते हैं| सभी राज्य कृषि विभाग अपने प्रदेश के किसानों के लिए समय–समय पर कृषि यंत्रों के लिए आवेदन मांगते हैं तथा उस आवेदन पर चयनित किसानों को कृषि यंत्रों के खरीद पर अनुदान पर दिए जाते हैं| इसका किसान लाभ ले सकते है। इसके लिए किसान अपने जिले के कृषि विभाग से सम्पर्क कर जानकारी लेकर आवेदन कर सकते हैं। कृषि उपकरण खेती को कम लागत और सरल बनाने के मकसद से तैयार किए जाते हैं ताकि खेती की लागत में कमी लाकर उत्पादन को बढ़ाया जा सके और फ़सल के नुक़सान में कमी लाई जा सके। कुल मिलाकर महंगी होती खेती और बदलते परिवेश के अनुरूप बदल रहे कृषि यंत्रों और उनकी प्रणालियों के महत्व को किसानों को समझना होगा, तभी हम खेती से लाभ लेकर विकास की ओर आगे बढ़ सकते हैं।