काबुल. 02 अगस्त (गणतंत्र भारत के लिए एजेंसियां ) : अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को अमेरिका ने मार गिराया गया है। काबुल स्थित उसके घर को टारगेट करती हुई दो मिसाइलों से उसको खत्म कर दिया गया। अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि इस धमाके से किसी और को नुकसान नहीं हुआ। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने इस हमले की निंदा की है और इसे दोहा समझौते का उल्लंघन बताया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने टेलीविजन पर एक राष्ट्रव्यापी प्रसारण में कहा कि, 9 /11 की घटना में अब जाकर न्याय हो पाया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके लोगों को नुकसान पहुंचाने वालों को हम बख्शेंगे नहीं चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न बैठे हों।
इस बीच, ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि अमेरिका ने इस हमले से जुड़ी जानकारियों और तैयारियों को भारत से साझा किया था और भारत को इसके बारे में पूरी जानकारी थी।
हमला कब और कैसे हुआ ?
एजेंसी की खबरों में एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से जानकारी दी गई है कि 31 जुलाई की सुबह जवाहिरी अपने काबुल स्थित आवास की बालकनी पर अकेले खड़ा था तभी एक अमेरिकी ड्रोन ने दो हेलफायर दागे। इमारत की स्पष्ट तस्वीरों में एक मंजिल पर खिड़कियां उड़ती हुई दिखाई दे रही हैं लेकिन अन्य मंजिलों पर खिड़कियों सहित शेष इमारत अभी भी वैसी ही दिख रही है।
जानकारी के मुताबिक, जवाहिरी के परिवार के सदस्य घर में मौजूद थे लेकिन जानबूझकर उन्हें निशाना नहीं बनाया गया और नुकसान नहीं पहुंचाया गया। अधिकारी का कहना है कि, हमारे पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस हमले में नागरिकों को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचा है।
अमेरिका पहले से कर रहा था प्लान
अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडेन अल जवाहिरी को मारने का आदेश देने से पहले ये जानना चाहते थे कि वो कहां छिपा है ? अमेरिका ने भले ही एक ही ड्रोन हमले में जवाहिरी को मार गिराया हो, लेकिन इसके लिए जो बाइडेन और उनके सलाहकारों को कई महीनों तक गुप्त बैठक करके प्लानिंग करनी पड़ी।
सीएनएन की रिपोर्ट में बताया गया कि, राष्ट्रपति बाइडेन को सबसे पहले अप्रैल में जवाहिरी के काबुल में छिपे होने की जानकारी मिली थी। अमेरिकी अधिकारियों को जवाहिरी को काबुल में नेटवर्क से मिलने वाली मदद के बारे में भी जानकारी थी। इसके अलावा अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के जरिए उसकी पत्नी, बेटी और परिवार की पहचान की गई। ये भी कहा जा रहा है कि जवाहिरी के घर में मौजूद महिलाएं ट्रेडक्राफ्ट का इस्तेमाल करती थीं जिसको इस तरह से डिजाइन किया गया था कि काबुल में जवाहिरी की लोकेशन की जानकारी सामने न आए।
निंजा बम का इस्तेमाल
बताया जा रहा है कि, अमेरिका ने इस हमले में मैकाब्रे हेलफायर आर 9 एक्स का इस्तेमाल किया है। इसे निंजा बम भी कहा जाता है। हेलफायर मिसाइलें टारगेट अटैक पर ड्रोन से दागी गईं। ये मिसाइल नागरिकों को बचाते हुए आतंकवादी समूहों के नेताओं को मारने के लिए अमेरिका का पसंदीदा हथियार है। इसे पहली बार 2017 तब देखा गया था जब अल-कायदा के सीनियर लीडर अबू अल-खैर अल-मसरी को ड्रोन हमले में मारा गया था।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया