Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीजानिए, पर्यटन के नाम पर पहाड़ कैसे बन रहा है अय्याशी का...

जानिए, पर्यटन के नाम पर पहाड़ कैसे बन रहा है अय्याशी का अड्डा…?

spot_img

नई दिल्ली, 01 अक्टूबर (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : अंकिता की निर्मम हत्या ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया है। सरकार और सिस्टम पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य के नेता और खासकर बीजेपी निशाने पर है। सरकार और राज्य की पुलिस अंकिता की हत्या और इस मामले में की जा रही जांच के तौर तरीकों और सबूतों को मिटाए जाने के तमाम आरोपों के कारण सवालों के घेरे में है। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि राज्य में कुछ सालों के भीतर ही पर्यटन के नाम पर हजारों की तादाद में होटल और रिजॉर्ट कैसे खड़े हो गए। कैसे राज्य की एक-एक इंच जमीन को कब्जाने और यहां की जनसंख्या का संतुलन बिगाड़ने की कोशिशें लगातार जारी हैं।

हाल में ही उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट से चितई की ओर जाना हुआ। बग्वालीपोखर से आगे बढ़ने पर एक जगह पहाड़ी पर कई शानदार फाइव स्टार टाइप इमारतें दिखाई दीं। स्थानीय लोगों से पूछा कि क्या ये कोई होटल है, तो उन्होंने कहा कि नहीं, ये एक स्कूल है। कौन है इसका मालिक, तो बताया गया कि कोई बाहर का आदमी है। मतलब उत्तराखंड से बाहर का। इस स्कूल में क्या स्थानीय लोगों के बच्चे पढ़ते हैं- जवाब मिला कि उनकी इतनी हैसियत नहीं है कि इस स्कूल के खर्चे उठा सकें। कुछ स्थानीय लोग यहां छोटी-मोटी नौकरी जरूर कर रहे हैं। यानी संसाधन स्थानीय और उसका फायदा स्थानीय लोगों को ही नहीं।

ये एक छोटी सी बानगी है जो ये बताती है कि उत्तराखंड में चल क्या रहा है। यहां हाल के सालों में हजारों होटल, रिजॉर्ट, बंगले और विला बन गए हैं। भीमताल से रानीखेत की ओर बढ़ते हैं तो बायीं ओर जो कभी पेड़ों से भरे जंगल थे, वहां अब मकान ही मकान नजर आते हैं। बताते हैं ये तकरीबन सारे बंगले और विला भी बाहर के लोगों के हैं। बताते ये भी हैं कि नैनीताल, मुक्तेश्वर और आसपास के इलाके में ही एक हजार से ज्यादा रिजॉर्ट और होटल हाल के सालों में बन गए हैं। यही हाल पहाड़ के तकरीबन हर जिले का है। जंगलों के बीच तक में रिजॉर्ट और होटल दिख रहे हैं और इन्हीं जंगलों से स्थानीय लोगों को लकड़ी और घास नहीं लेने दी जाती। वन विभाग और पुलिस उन पर केस कर देते हैं।

अंकिता के मामले में चल रही जांच से पता चल रहा है कि बहुत से रिजॉर्ट, होटल, बंगले और विला वगैरह या तो खेती की जमीन पर बने हैं या जंगल और बेनाप जमीन पर कब्जा करके बनाए गए हैं, वो भी लैंड यूज बदले बगैर। जाहिर है ये काम बिना स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत के नहीं हो सकता। कांग्रेस के जमाने में भी ये हो रहा था और अब बीजेपी के राज में भी।

एक सवाल और उठ रहा है कि इस तरह की आलीशान प्रॉपर्टी को बनाने के लिए पैसा कहां से आया। जानकार कहते हैं कि इस तरह की जमीन पर बैंक लोन नहीं देते। ऐसे में ज्यादातर प्रॉपर्टी में काली कमाई लगने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। स्थानीय जनता सवाल करती है कि इन प्रॉपर्टी और इनके मालिकों पर आखिर ईडी और इनकम टैक्स विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता। क्यों इन पर उनकी नजर नहीं जाती। कहा जाता है कि ये ज्यादातर संपत्तियां नेताओं और अफसरों की हैं, इसलिए इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इन होटल और रिजॉर्ट में नियमों के उल्लंघन की खबरें भी आ रही हैं। इनमें ज्यादातर स्थानीय लोग काम करते हैं, उनके शोषण के भी आरोप हैं।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया (फोटो प्रतीकात्मक)

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments