चंडीगढ़ (गणतंत्र भारत के लिए मनप्रीत) : पंजाब की राजनीति में गरमागरमी का दौर जारी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी बनाने की घोषणा करके अपनी राजनीतिक हैसियत को समझाने का प्रयास किया है। बीजेपी राजनीति की इस बिसात पर अपनी चाल के लिए इंतजार में है। किसानों के मसले पर पहले ही उसकी अपने पुराने साथी अकाली दल से अनबन हो चुकी है। लेकिन कांग्रेस ने अरूसा आलम के बहाने जो दांव खेला है उससे संदेश तो यही मिल रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में अरूसा आलम के इर्दगिर्द पंजाब की राजनीति में हलचल बनी रहेगी।
अरूसा पर आरोप
अरूसा आलम एक पाकिस्तानी पत्रकार हैं। उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह का नजदीकी माना जाता है और वे पिछले करीब दो दशकों से भारत आती-जाती रही हैं। पंजाब में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने आरोप लगाया था कि अरूसा आलम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की एजेंट है और वे कैप्टन अमरिंदर सिंह के जरिए पंजाब की राजनीति को प्रभावित करती रही हैं।
अरूसा का क्या कहना है
अरूसा ने इन दिनों दुबई में हैं। उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अपने रिश्तों को लेकर एक बयान जारी किय़ा है। उन्होंने कहा कि, पंजाब कांग्रेस के नेताओं की हरकतों और बयानों से मैं बहुत दुखी और आहत हूं। मुझे नहीं लगता कि अब कभी भी मैं भारत आऊंगी। उन्होंने कहा कि, भारतीय राजनीति और सामाजिक जीवन में उनके बहुत से दोस्त और शुभ चिंतक हैं। उन्होंने कहा कि पिछले करीब 16 सालों से भारत आती जाती रही हूं चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या गैर कांग्रेसी। पंजाब की राजनीति और प्रशासन को प्रभावित करने में मेरा कभी भी कोई रोल नहीं रहा। मुझे तो पंजाब के मंत्रियों के नाम तक नहीं पता थे।
अरूसा ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा पर आरोप लगाया कि वे साजिशन ऊटपटांग बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस अपनी जमीन खो चुकी है। कैंप्टेन अमरिंदर सिंह मेरे बहुत ही अजीज दोस्त हैं। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे उनके जैसा मित्र और शुभचिंतक मिला। अरूसा ने कहा कि मैं कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की बहुत इज्जत करती हूं और कांग्रेस को शुभकामनाएं देती हूं।
अरूसा के इर्दगिर्द पंजाब की राजनीति क्यों ?
कैप्टन अमरिंदर सिंह को जब मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो उन्होंने पंजाब की सुरक्षा के मसले को बहुत जोशशोर से उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब की राजनीति में ऐसे तत्व भरे पड़े हैं जो पाकिस्तान के साथ मिल कर देश की सुरक्षा में सेंध लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्व मुझे पद से हटाना चाहते थे और उन्होंने कर दिखाया।
कैप्टन के इस बयान को बीजेपी ने काफी जोर शोर से प्रचारित किया और कैप्टन को राष्ट्रवादी बताया। बीजेपी ने उनके लिए पार्टी के दरवाजे भी खोल रखे थे। लेकिन पेंच फंसा किसान आंदोलन को लेकर। कैप्टन ने साफ कर दिया था कि किसानों की मांग पर वे उनके साथ हैं और उनकी मांगे जायज हैं।
पंजाब की सुरक्षा पर सवाल खड़े करके और कांग्रेस के नेताओं की शह वाले बयान से कांग्रेस मुसीबत में आ गई। सिद्धू पहले ही पाकिस्तानी सेना के प्रमुख बाजवा को गले लगा कर एक विवाद खड़ा कर चुके थे। नतीजतन, कांग्रेस को भी एक ऐसे काट की तलाश थी जो कैप्टन पर ही वापस शक की सुई घुमा दे। अरूसा आलम कांग्रेस के लिए वही काट है। अरूसा के कैप्टन से संबंधों और उसे आईएसआई का एजेंट बता कर कांग्रेस ने कैप्टन का दांव वापस उन्हीं पर चल दिया।
ऐसे में मुश्किल बीजेपी के लिए हो गई। बीजेपी को उम्मीद थी कि कांग्रेस से नाराज कैप्टन का राजनीतिक लाभ उसे मिलेगा लेकिन अब तो कैप्टन खुद ही सफाई के मोड में आ गए। उल्टा उन्होंने किसानों का साथ देने की घोषणा करके पार्टी के लिए एक और मुसीबत खड़ी कर दी। बीजेपी इन दोनों ही मसलों पर खुद को घिरा देखने से बचने के लिए अब कैप्टन से दूरी बनाने में लग गई है।
कैप्टन की नई पार्टी और कांग्रेस का पलटवार
कैप्टन अमरिंदर सिह ने नई पार्टी बनाने के एलान कर दिया है। उन्होंने प्रेस मीट में कहा कि चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलने के बाद अपनी पार्टी के नाम का एलान कर देंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू जहां से भी चुनाव लडेंगे उनकी पार्टी अपना उम्मीदवार उनके खिलाफ उतारेगी।
नई पार्टी बनाने के एलान के बाद नवजोत सिंह सिद्दू ने एक ट्वीट में कैप्टन पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि, पिछली बार आपने पार्टी बनाई थी तो आपको 856 वोट मिले थे। पंजाब के लोग एक बार फिर पंजाब के हितों से समझौता करने के लिए सजा देने का इंतजार कर रहे हैं।
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