Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीगहलोत 'द मास्टर प्लेयर'...एकै साधे-सब सधै...क्या वसुंधरा, क्या पायलट...?

गहलोत ‘द मास्टर प्लेयर’…एकै साधे-सब सधै…क्या वसुंधरा, क्या पायलट…?

spot_img

नई दिल्ली / जयपुर (गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : अशोक गहलोत को यूं ही जादूगर नहीं कहा जाता। देखा जाए तो, राजनीति में उनके मास्टर स्ट्रोक सचमुच इतने दमदार साबित हो रहे हैं जो राजनीति के धुरंधरों को पानी पिला रहे हैं। उन्होंने संकट के समय अपनी सरकार बचाने वालों में वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम लेकर राज्य की राजनीति में जबरदस्त हलचल पैदा कर दी है। उनके बयान के बाद वसुंधरा राजे के साथ-साथ राजनीति में उनके धुर विरोधी सचिन पायलट को भी पलटवार के लिए सामने आना पड़ा।

सचिव पायलट ने गहलोत के बयान के जवाब में कहा कि, ऐसा लगता है कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे सिंधिया है। वहीं, वसुंधरा राजे ने गहलोत के बयान का खंडन किया है लेकिन पहले से शक के दायरे में चल रही वसुंधरा राजे के लिए अशोक गहलोत के इस बयान ने बीजेपी आलाकमान से उनके फासले को और बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री 10 मई को राजस्थान आ रहे हैं और ये देखना दिलचस्प होगा बीजेपी में उठे इस राजनीतिक झंझावात को शांत करने के लिए वे इसे कौन सा मोड़ देते हैं?

अशोक गहलोत ने क्या कहा ?

अशोक गहलोत ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित धौलपुर जिले के राजाखेड़ा में एक सभा में ये बयान देकर सबको चौंका दिया कि उनकी सरकार पर संकट के समय पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और शोभा रानी ने मदद की। गहलोत ने अपने बयान की शुरुवात शोभारानी के नाम के साथ की। उन्होंने कहा कि, ये बोल्ड लेडी हैं। जब शोभारानी ने हमारा साथ दिया तो भाजपा वालों की हवाइयां उड़ गईं। शोभारानी ने, दूसरी वसुंधरा राजे सिंधिया ने और तीसरे कैलाश मेघवाल ने।’ उन्होंने कहा कि, ‘कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे सिंधिया का मानना था कि राजस्थान में कभी भी पैसे के बल पर चुनी हुई सरकार गिराने की परंपरा नहीं रही है। आख़िर उन्होंने क्या ग़लत कहा? मैं इसे कभी भूल नहीं सकता।’

इस दौरान अशोक गहलोत ने देश के गृह मंत्री अमित शाह पर विधायकों की ख़रीद फरोख़्त के आरोप भी लगाए। उन्होंने दावा किया कि, ‘अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत इन सबने मिलकर साज़िश की। पैसे बांटे दिए राजस्थान में, पैसे वापस नहीं ले रहे हैं वो लोग, वापस क्यों नहीं मांग रहे हैं पैसा? उन्होंने कहा कि, मैंने तो यहां तक कह दिया अपने एमएलए को दस करोड़ या पंद्रह करोड़ जो भी लिया है, कुछ खर्च कर दिया हो तो मैं दे दूंगा या एआईसीसी से दिलवा दूंगा। वापस अमित शाह को 10 करोड़ दो, पंद्रह करोड़ लिए तो पंद्रह करोड़ दो वापस उनको। उनका पैसा मत रखो।’

क्या ये गहलोत का मास्टर स्ट्रोक था ?  

अशोक गहलोत के इस बयान के बाद राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ गय़ा। अशोक गहलोत के खिलाफ कभी मुंह न खोलने वाली वसुंधरा राजे को मुंह खोलना पड़ा। उन्होंने कहा कि, ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 2023 में होने वाली हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री का मेरी तारीफ़ करना मेरे ख़िलाफ़ उनकी एक बड़ी साज़िश है। जीवन में मेरा जितना अपमान गहलोत ने किया, कोई कर ही नहीं सकता।’ उन्होंने अपने साथ गृहमंत्री अमित शाह के बारे में भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि, ‘उन्होंने उन गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया है, जिनकी ईमानदारी और सत्य निष्ठा सर्वविदित है। रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं। अगर उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो एफ़आईआर दर्ज करवाएं।’

वसुंधरा राजे ने वो कहा को कहना दरअसल उनकी राजनीतिक मजबूरी थी। वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र भारद्वाज के अनुसार, ‘राजनीतिक गलियारे में हर कोई जानता है कि वसुंधरा राजे और प्रधानमंत्री मोदी एवं अमित शाह के रिश्ते छत्तीस के ही रहे हैं। इस मौके पर भी अगर वे गहलोत के खिलाफ मुंह न खोलतीं तो और मुश्किल होती। वे क्या कहतीं कि, हां मैंने सरकार बचाई. ऐसा कहतीं तो पार्टी में उन पर कार्रवाई होती।’ भारद्वाज बताते हैं कि, ‘2020 में जब विधायकों को पैसे देने और ख़रीद-फ़रोख़्त के आरोप लगे थे, उस दौरान ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सामने आई थी और सचिन पायलट समेत कई पर एफ़आईआर दर्ज हुई थी। लेकिन, वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसी तरह से, जब सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक बग़ावत कर मानेसर गए थे, उस दौरान बीजेपी के कई नेताओं ने अशोक गहलोत सरकार को अल्पमत की सरकार बताते हुए जमकर घेरा था, लेकिन, तब भी वसुंधरा का एक भी बयान सामने नहीं आया था।’

देवेंद्र भारद्वाज याद दिलाते हैं कि, ‘सचिन पायलय की बगावत के समय अशोक गहलोत की सरकार ने जब विश्वास मत हासिल करने के लिए प्रस्ताव पेश किया उस समय भी बीजेपी के चार विधायकों ने गैरहाजिर रह कर वोट नहीं दिया था। ऐसे बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से शक की सुई वसुंधरा राजे की तरफ इशारा करते है।’

राजनीतिक विश्लेषक राजेश के प्रसाद अशोक गहलोत के इस कदम को उनकी राजनीतिक जादूगरी का मास्टर स्ट्रोक मानते हैं। वे कहते हैं कि, ‘गहलोत के इस एक बयान से निकले तीर ने कई निशानों को एक साथ साध लिया। बीजेपी में हाशिए पर चल रही वसुंधरा राजे की स्थिति पार्टी में और खराब हो गई। पायलट खेमे के विधायकों के बारे में जो कुछ सुना जा रहा था अब वो सार्वजनिक चर्चा का विषय बन गया। पैसे की बात करके बीजेपी आलाकमान को तो घेरा ही गया साथ ही सचिन पायलट के पीछे की असली ताकत को भी गहलोत ने लोगों के सामने पेश कर दिया।’

प्रसाद के अनुसार, ‘राजनीति में परसेप्शन का बड़ा रोल होता है। गहलोत इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं। देखिए न, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गांधी परिवार से दूरी की खबरों के बाद भी गहलोत आज भी गांधी परिवार के निकटतम नेताओं में बने हुए हैं।’

क्या सचिन पायलट के खिलाफ कोई एक्शन होगा ?

कोई 15 दिनों पहले कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन ने एक टीवी चैनल पर बयान दिया था कि अगले 15 दिनों में राजस्थान में एक बड़ा राजनीतिक धमाका होने वाला है। प्रमोद कृष्णन कांग्रेस में प्रियंका गांधी के नेतृत्व के पैरोकार औप सचिन पायलट के समर्थक माने जाते हैं। कुछ दिनों पहले जब अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पाय़लट अनशन पर बैठे थे तब भी प्रमोद कृष्णन ने उनके समर्थन में आवाज उठाई थी हालांकि आलाकमान ने इसे सचिन पाय़लट की अनुशासनहीनता माना था। दीगर बात ये है कि, सचिन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब एक बार फिर सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ मुंह खोला है। निश्चित रूप से कर्नाटक चुनावों से निपट चुके पार्टी नेता अब इस मसले का हल निकालना चाहेंगे। संभव है कि सचिन पायलट के खिलाफ पार्टी कोई बड़ा कदम उठाए। सचिन पायलट को कर्नाटक चुनावों में पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से पहले ही बाहर रखा गया था और आज राहुल गांधी ने तेलंगाना में दिए गए एक बयान में बागी नेताओं के प्रति पार्टी का रुख साफ करते हुए कह दिया है कि, जिसे पार्टी में रहना हो रहे, जिसे बाहर जाना है वो एकदम जा सकता है।

बीजेपी में कहानी अभी बाकी है

अशोक गहलोत के बयान ने बीजेपी में अंदरखाने जो कुछ चल रहा है उसे और गति दे दी है। दरअसल, राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व को लेकर बीजेपी के भीतर ही काफी असहज स्थिति है। पार्टी आलाकमान उन्हें अपनी राजनीतिक मजबूरियों के चलते ही झेलता रहा है। और ये बात भी सही है कि राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा के टक्कर का कोई नेता है भी नहीं। जानकारों की माने तो पिछले दिनों केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत को वसुंधरा के विकल्प के तौर पर राज्य में प्रमोट करने की कोशिश की गई लेकिन कई तरह के भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी और उनके परिवार की कथित संलिप्तता के कारण आलाकमान को अपने पांव वापस खींचने पड़े।

वसुंधरा का विकल्प अश्विनी वैष्णव ?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी अगले चुनाव में राज्य की राजनीति में एक नया चेहरा उतारने की कोशिश में है। ये चेहरा है रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव का। जोधपुर के रहने वाले वैष्णव आईआईटियन हैं और गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी थे। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी भी माना जाता है। मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल हुए वैष्णव की काबिलियत पर भरोसा करते हुए ही प्रधानमंत्री ने उन्हें रेल और आईटी जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा सौंपा।

बीजेपी चाहे जो भी राजनीतिक प्रयोग आजमाए, फिलहाल तो अशोक गहलोत के राजनीतिक दांव से निपटना ही उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। राज्य में इसी साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव हैं और इस लिहाज से पार्टी के लिए ये चुनौती और ज्यादा गंभीर नजर आती है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया    

 

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments