नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए लेखराज) : कांग्रेस के लिए संगठन और नेतृत्व को लेकर लगातार संकट पहले से ही बना हुआ है। लेकिन, पार्टी के लिए एक और संकट है जो समय-समय पर पैदा होता रहा है। कांग्रेस नेताओ की किताबों ने पार्टी को हमेशा किसी न किसी संकट में डाला है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की किताब द प्रेसिडेंशियल ईयर्स, सलमान खुर्शीद की किताब सनराइज़ ओवर अयोध्या- नेशनहुड इन ऑवर टाइम्स या फिर मनीष तिवारी की हालिया किताब 10 फ्लैश पॉइंट्स : 20 ईयर्स- नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन दैट इंपैक्टेड इंडिया ने कांग्रेस पर बतौर पार्टी, यूपीए सरकार, पार्टी नेतृत्व एवं विचारधारा को लेकर सवाल पैदा किए हैं। कांग्रेस नेताओं के इन किताबी बमों ने पार्टी का खुद तो नुकसान किया ही साथ ही विपक्ष को भी हमला बोलने का मौका दे दिया।
मनीष तिवारी की किताब 10 फ्लैश पॉइंट्स : 20 ईयर्स- नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन दैट इंपैक्टेड इंडिया
मनीष तिवारी ने अपनी किताब में लिखा है कि कई बार संयम कमजोरी की निशानी होती है और भारत को 26/ 11 हमले के बाद कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी। मनीष तिवारी ने अपनी किताब के कुछ अंश ट्विटर पर साझा किए। किताब में उन्होंने लिखा कि, अगर किसी देश (पाकिस्तान) को निर्दोष लोगों के कत्लेआम का कोई खेद नहीं है तो संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है। ऐसे मौके आते हैं जब शब्दों से ज्यादा कार्रवाई दिखनी चाहिए और 26/11 एक वैसा ही मौका था। मेरा विचार है कि भारत सरकार को भारत के इस घटना के बाद के दिनों में जबरदस्त प्रतिक्रिया के साथ जवाब देना चाहिए था।
मनीष तिवारी की इस किताब में यूपीए सरकार और मनमोहन सिंह के नेतृत्व और निर्णय क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं। आपको बता दें कि मनीष तिवारी कांग्रेस के उन जी-23 नेताओं में शामिल हैं जो पार्टी नेतृत्व और संगठन को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। उनकी किताब ने विपक्षी दलों को कांग्रेस पर हमला बोलने का एक नया मौका दे दिया है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस का मजाक उड़ाते हुए ट्वीट किया कि, सलमान खुर्शीद के बाद एक और कांग्रेस नेता ने अपनी किताब बेचने के लिए यूपीए को बस के नीचे फेंक दिया है।
सलमान खुर्शीद की किताब सनराइज़ ओवर अयोध्या
मनीष तिवारी की किताब आने से कुछ दिनों पूर्व ही कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब, सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन ऑवर टाइम्स को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। इसमें उन्होंने कथित तौर पर हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हरम जैसे आतंकी संगठनों के साथ की थी। विवाद खड़ा होने के बाद सलमान खुर्शीद ने कहा था कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में फर्क है और उन्होंने किसी को आतंकवादी नहीं कहा है।
प्रणव मुखर्जी की किताब द प्रेसिडेंशियल ईयर्स
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की किताब द प्रेसीडेंशियल ईयर्स उनके निधन के बाद प्रकाशित हुई। ये किताब बतौर राष्ट्रपति प्रणब दा के अनुभवों का संस्मरण है। किताब में लिखी कई बातें कांग्रेस के लिए शर्मिंदगी की वजह बनी। प्रणब मुखर्जी ने किताब में लिखा कि, उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक गई। उन्होंने लिखा कि, कुछ पार्टी सदस्यों का ये मानना था कि अगर 2004 में वे प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए करारी हार वाली नौबत शायद नहीं आती। मैं इससे सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि जब मैं राष्ट्रपति बना तो कांग्रेस नेतृत्व ने अपना राजनीतिक फोकस खो दिया। सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभालने में सक्षम नहीं थीं और सदन में डॉक्टर मनमोहन सिंह की लंबी गैर-मौजूदगी ने बाकी सांसदों के साथ उनके व्यक्तिगत संपर्को को खत्म कर दिया। यही वो वजह थी कि पार्टी में बिखराव पैदा हुआ।
प्रणब दा ने अपनी किताब में डॉक्टर मनमोहन सिंह पर गठबंधन दलों के जबाव का जिक्र करते हुए लिखा कि, मेरा मानना है कि, शासन करने का नैतिक अधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है। राष्ट्र की समग्र स्थिति प्रधानमंत्री और उनके प्रशासन के कामकाज को प्रतिबिंबित करती है। डॉक्टर सिंह को सरकार चलाने के लिए गठबंधन को बचाने की सलाह दी गई थी। ऐसा करना उनके शासन पर भारी पड़ा।
राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर पी कुमार का इस बारे में एक अलग नजरिया है। उनका कहना है कि, कांग्रेस में भी देश के दूसरे दलों की तरह से ही आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है। पार्टी में नेहरू-गांधी परिवार को लेकर भी प्रतिरोध है लेकिन ये कभी भी सतह पर या सामने से वार नहीं करता। किताबों के जरिए सवाल उठाने या अपनी बात रखने में गलत कुछ नहीं है लेकिन ऐसे सवाल कमजोर होती पार्टी को और भी कमजेर करते हैं।
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