नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो इस बार कोई चूक नहीं होने देना चाहता। मामला देश और इसरो की साख का है। इसरो की पूरी कोशिश है कि चंद्रयान-3 मिशन पूरी तरह कामयाब रहे। लिहाजा उसके वैज्ञानिक दिन-रात इस मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।
चंद्रयान-3 को इस महीने की 14 तारीख को दिन में दो बजकर 25 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-2 मिशन को भी 2019 में जुलाई के महीने में ही लॉन्च किया गया था, मगर ये मिशन कामयाब नहीं रहा। जब इसका लैंडर चंद्रमा की सतह से करीब 21 किलोमीटर दूर था तो इसका संपर्क टूट गया था। इसरो ने इस बार ऐसा न हो, इसके लिए लैंडर में अतिरिक्त सेंसर लगाए हैं।
सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 की 23 या 24 अगस्त को चांद पर लैंडिंग हो सकती है।
भारत ने चंद्रमा के राज जानने के लिए 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था, लेकिन ईंधन की कमी के कारण ये मिशन 29 अगस्त 2009 को ही खत्म हो गया था। इसरो ने इस मिशन की अवधि दो साल रहने का अंदाजा लगाया था। इस मिशन से चांद की सतह पर पानी होने के संकेत मिले थे। इसके बाद चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था। इसके ऑर्बिटर के साथ ही लैंडर और रोवर का विकास भारत ने अपने दम पर किया था। इसरो ने पहले इसके ऑर्बिटर को खुद बनाने और लैंडर और रोवर को रूस से लेने का मन बनाया था, लेकिन बाद में उसने ये जिम्मा भी खुद उठाने का फैसला किया, लेकिन इस मिशन के सफल न रहने के बाद इसरो ने इसके बारे में गहराई से पड़ताल की।
इसरो के पूर्व चेयरमैन और चंद्रयान-3 का काम देख रहे के. शिवन का कहना है कि हमने चंद्रयान-2 से मिले डेटा का गहनता से अध्ययन किया और समझा कि कहां गलती हुई। उनका कहना है कि चंद्रयान-3 में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए तमाम जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं। गौरतलब है इसरो अब तक कई सफल मिशन्स को अंजाम दे चुका है। उसने एक साथ 104 सैटलाइट्स को स्पेस में भेजकर कीर्तिमान बनाया था। इसरो अब अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ी ताकत है।
बहरहाल, चंद्रयान-3 चंद्रमा के वायुमंडल के साथ ही उसकी सतह का भी अध्ययन करेगा। इसके लिए उसमें कई शक्तिशाली कैमरे भी लगाए गए हैं। इसमें ईंधन की कमी न हो, इसके लिए भी जरूरी उपाय किए गए हैं।
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