नई दिल्ली, 16 सितंबर (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : देश और प्रकृति प्रेमियों के लिए 17 सितंबर का दिन खास होने जा रहा है। 1947 में जिसे भारत में आखिरी बार देखा गया और 1952 में जिसे सरकार ने विलुप्त घोषित कर दिया, उसे फिर से देश में लाया जा रहा है। यानी चीतों की देश में फिर से वापसी हो रही है। अत्यधिक शिकार के कारण चीतों का वजूद देश से समाप्त हो गया था। अब नामीबिया सरकार की मदद से मिले आठ चीतों को 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर नैशनल पार्क में छोड़ा जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे। इसी दिन उनका जन्मदिन भी है।
इन आठ चीतों में से तीन नर और पांच मादा हैं। इन्हें लेने के लिए भारत सरकार ने एक खास कार्गो विमान नामीबिया भेजा। इस विमान पर चीते का चित्र बनाया गया है। यह 17 सितंबर को ग्वालियर में उतरेगा और फिर चीतों को वहां से हेलीकॉप्टर की मदद से कूनो नैशनल पार्क लाया जाएगा। कूनो के बाद देश के और जंगलों में भी चीतों को बसाने की सरकार की योजना है। चीतों को वापस भारत लाने की योजना 2009 में बनाई गई थी। जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट से इस योजना को मंजूरी मिली।
एक जमाना था जब दुनिया में सबसे तेज गति से दौड़ने वाले इस जीव की दहाड़ भारत के बहुत से इलाकों में सुनाई देती थी। अकबर के शासनकाल में भारत में इनकी संख्या करीब एक हजार होती थी। पर्यावरण से जुड़े कारणों और अत्यधिक शिकार के कारण देश से इसका अस्तित्व ही खत्म हो गया। कूनो नेशनल पार्क में भारत आ रहे चीतों के लिए काफी बड़ा क्षेत्र संरक्षित किया गया है, ताकि अन्य हिंसक जीवों से उनका संघर्ष न हो। उनके शिकार के लिए हिरण, चीतल और अन्य प्राणी पार्क में छोड़े गए हैं। पार्क पर ड्रोन से भी निगरानी रखी जाएगी, ताकि चीते महफूज रहें। चीतों की वापसी को सुरक्षित बनाने के लिए कूनो और आसपास के इलाकों में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।
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