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कांग्रेस ने लिया जमीनी राजनीति का संकल्प, लेकिन असल सवालों से परहेज क्यों ?

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उदय़पुर ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) :  कांग्रेस ने अपनी दशा और दिशा पर मंथन के लिए दक्षिण राजस्थान के सिटी ऑफ लेक्स उदयपुर में तीन दिनों तक चिंतन किया। देश भर के करीब 400 डेलीगेट्स ने इस चिंतन शिविर जिसका नाम बदल कर नवसंकल्प शिविर कर दिया था, में हिस्सा लिया। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिविर में बार-बार इस वाक्य को दोहराया कि पार्टी बुरे दौर में है, हमें उसके कर्ज को चुकाना है। उन्होंने कहा कि ‘वी विल ओवरकम  दिस, इट इज़ ऑवर डिटरमिनेशन ’। पार्टी में जान फूंकने के लिए गांधी जयंती से कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत जोड़ो यात्रा शुरू की जाएगी। 15 जून से कांग्रेस जनजागरण अभियान शुरू करने जा रही है। सवाल ये कि कांग्रेस के इस नवसंकल्प शिविर में पार्टी के नए संकल्प क्या रहे औऱ वे क्य़ा वास्तव में पार्टी अपनी कमियों को पहचान और स्वीकार कर पाई है ?

नवसंकल्प शिविर में हुआ क्या ?      

नवसंकल्प शिविर 13 से 15 मई के बीच हुआ। 400 से ज्यादा डेलीगेट्स इस शिविर में शामिल हुए। शिविर के आयोजन का उद्देश्य पार्टी की मौजूदा स्थिति पर विचार करने के साथ उन उपायों पर भी चर्चा करने की थी जो पार्टी को सही रास्ते पर लाते हुए उसके खोए जनाधार को वापस दिला सके।

तीन दिनों तक विचार-विमर्श हुआ। आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रस्ताव भी पास किए गए। शिविर में तय किया गया कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए पार्टी को गंभीर वैचारिक और राजनीतिक लड़ाई लड़ने के साथ जनता से टूट चुके अपने संवाद को फिर से कायम करना होगा। शिविर में ये भी तय हुआ कि पार्टी के नेतृत्व में युवाओं को भी बराबर की हिस्सेदारी दी जाएगी। सबसे महत्वपूर्ण बात, पार्टी में एक परिवार एक टिकट के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया।  हालांकि इसमें कुछ शर्तो के पालन के साथ ढील देने की बात भी कही गई। पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला किया साथ ही समान विचार वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करने की दिशा में पहल करने का निर्णय भी किया।

क्या कहा राहुल और सोनिया ने ?

पार्टी की अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि अब पार्टी का कर्ज उतारने का समय है। पार्टी को फिर से मजबूत बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि, हम बहुत जल्दी इस दौर से बाहर आएंगे।

पार्टी  नेता राहुल गांधी ने नवसंकल्पों की चर्चा करते हुए चार खास बातें सामने रखीं। सबसे पहले, पार्टी को लंबी वैचारिक लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा। दूसरा, कांग्रेस को अपने खोए जनाधार का पाने के लिए जनता के बीच जाना होगा। तीसरा, पार्टी को अनुभवी नेतृत्व के साश युवा नेतृत्व की जरूरत है इसलिए युवाओं को नेतृत्व में बराबर की भागीदारी दी जाएगी और चौथा, पार्टी में अब एक परिवार एक टिकट के नियम पर चला जाएगा।

अनुत्तरित रहे असली सवाल और रहा साफ दृष्टि का अभाव

वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने एक टीवी चैनल पर परिच्रर्चा में कहा कि, नवसंकल्प शिविर में कांग्रेस के कई मूल सवाल अनुत्तरित रहे। बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस से जिस रोडमैप की अपेक्षा थी उस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। पार्टी की दिशा को लेकर जिस तरह की वैचारिक स्पष्टता की जरूरत है वो नजर नहीं आई। विनोद शर्मा ने कहा कि, कांग्रेस में पहले जयपाल रेड्डी जैसे नेता थे जो लगातार पत्रकारों के संपर्क में रहते हुए उन्हें काफी कुछ पार्टी की रणनीति और नीतियों से अवगत कराते रहते थे। आज ऐसा कुछ भी नहीं है। पार्टी क्या कर रही है, क्यों कर रही है, कुछ पता नहीं रहता। ये बड़ी कमजेरी है।

दूसरा बड़ा सवाल, पार्टी नेतृत्व का है। राहुल गांधी अभी भी पार्टी को फ्रंट से लीड करने से बचते नजर आ रहे हैं। ये स्थिति पार्टी के लिए घातक हैं। वैचारिक मोर्चे पर पार्टी कभी सॉफ्ट हिंदुत्व की बात करती है तो कभी बीजेपी की पिच पर खेलते नजर आती है। विनोद शर्मा मानते हैं कि, पार्टी के लिए ये स्थिति घातक है। आज देश जैसे वैचारिक ध्रुवीकरण के दौर से गुजर रहा है वैसे में पार्टी को वैचारिक मोर्चे पर बहुत स्पष्ट होना चाहिए। इसमें किसी भी तरह का झोल बीजेपी को ही फायदा पहुंचाएगा। विनोद शर्मा मानते हैं कि आज विपक्ष अगर मजबूत होता तो उसके पास मुद्दे ही मुद्दे होते लेकिन ये बीजेपी की खुशनसीबी है कि उसके सामने एक कमजोर विपक्ष है जिसे करना क्या है यही पता नहीं।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया   

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