Homeहमारी धऱतीकृषिअन्नदाता की मुश्किलों में सहारा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

अन्नदाता की मुश्किलों में सहारा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

spot_img

नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए जे.पी. सिंह):

नई दिल्ली : देश में ज्यादातर खेती आज भी मौसम के मिज़ाज पर ही टिकी है। जैसे रबी फ़सलों में ओला और पाला से किसानों की मुसीबत बढ़ती है, वहीं खरीफ़ में बाढ़ या फिर सूखे के हालात से किसानों को जूझना पड़ता है। फसल तैयार करने में जहां हाड़तोड़ मेहनत लगती है, वहीं लागत के तौर पर किसानों को अपनी जमा-पूंजी लगानी पड़ती है। ऐसे में अगर मौसम की मार से या कीट रोगों के प्रकोप से फसल खराब हो जाए तो किसान कहीं का नहीं रहता। आगे फिर खेती करने की हिम्मत वो कहां से जुटा पाएगा जब उसे खाने के लाले पड़ जाएं। ऐसे में कई बार उसके खेत बंधक हो जाते हैं और वो भारी क़र्ज़ में डूब जाता है। कर्ज चुकाना भी मुश्किल हो जाता है तो उसके बढ़ते ब्याज से कर्ज की राशि लगातार बढ़ती जाती ह। ,इन सबका दुखद अंजाम कई बार किसानों की आत्महत्या के रूप में भी सामने आता है। देश ने खूब तरक्की की लेकिन कई कारणों से हमारे अन्नदाता, आम किसानों की हालत पतली होती गई। कई प्रयास हुए, कई आंदोलन भी हुए। नीतियां तो बनीं लेकिन वे पूरी तरह से कभी ज़मीन पर नहीं उतर सकीं। कुछ नीतियों की कमी रही तो कुछ प्रयास जागरूकता के अभाव में अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाए। ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाई गई।

क्या है प्रधान मंत्री फ़सल बीमा योजना?

दरअसल, फसल बीमा एक ऐसी योजना है जिसमें किसानों को उनके नियंत्रण से बाहर के कारणों के कारण पैदावार में होने वाले नुकसान की भरपाई की जाती है। केन्द्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रीमियम राशि कम होने के कारण किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।

रबी फ़सल बीमा योजना

रबी सीजन में अक्सर फ़सलों की बुआई में देरी हो जाती है या फिर प्राकृतिक आपदा की वजह से उपज में नुकसान होता है। इससे किसानों को बचाने के लिए अलग अलग क्षेत्रों के अनुसार अलग अलग फ़सलों को योजना के तहत कवर किया जाता है। जैसे उत्तर प्रदेश में 4 प्रमुख फ़सलें गेहूं, चना, मटर और आलू इस योजना के तहत आती हैं। इनमें आलू पर 4.7 फीसदी जबकि बाक़ी फ़सलों पर मात्र डेढ़ फीसदी प्रति एकड़ का प्रीमियम किसानों को देना होता है। 

क्रम. सख्य़ाफसलकिसान द्वारा देय बीमा राशि का प्रतिशत
1खरीफ 2.0%
2रबी 1.5%
3वार्षिक वाणिज्य फसले और बागवानी5%

कब से शुरू है नई योजना?

दरअसल, 1985 से ही भारत में फ़सलों के लिए बीमा योजना को लेकर प्रयोग हो रहे हैं पर  13 जनवरी 2016 को केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के रूप में एक बड़ा तोहफा दिया। किसानों के लिए बीमा योजनाएं समय-समय पर बनती रहीं हैं। इसके बावजूद पहले बीमा योजना में मुश्किल से पांच प्रतिशत किसान शामिल होते थे

लेकिन आज इसके तहत 25 प्रतिशत से ज्यादा किसान  य़ानि 15.7 करोड़ किसान इस योजना का लाभ ले रहे  हैं।

फसल बीमा के फायदे

नई प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना में किसानों पर प्रीमियम का बोझ और कम किया गया है ताकि किसान इसकी किस्तें आसानी से भर सकें। साथ ही रिस्क का दायरा बढ़ाया गया है। जैसे

बीमित किसान अगर प्राकृतिक आपदा के कारण मुसीबत में फंस जाता है तो यह जोखिम भी बीमित राशि में शामिल है और उसे दावा राशि मिल सकेगी।

इस योजना में सभी खाद्य फसलें जैसे तिलहन, वार्षिक व्यावसायिक या साग सब्जी का बीमा होता है। पहले की योजनाओं में कुछ फसलें और तिलहन का ही बीमा होता था।

पहले किसानों को 50 फीसदी फसल नष्ट होने पर मुआवजा मिलता था अब महज 33 फीसदी फसल नष्ट होने पर ही फसल का बीमा मिलता है।

ओला, जलभराव और भू स्खलन जैसी आपदाओं को स्थानीय आपदा माना जाएगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इसे स्थानीय हानि मानकर केवल प्रभावित किसानों का सर्वे कर उन्हें दावा राशि दी जाएगी। इस योजना में पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान भी शामिल किया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक यदि फ़सल खेत में है और उस दौरान कोई आपदा आ जाती है तो किसानों को दावा राशि मिल सकेगी।

दूसरे की जमीन पर खेती कर रहे किसानों को भी मिलेगा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ।

इस योजना में टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है और फसल कटाई/नुकसान का आंकलन जल्द और सही हो सके और किसानों को दावा राशि जल्द मिल सके इसके लिए रिमोट सेंसिंग माध्यम का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। 

कैसे करें आवेदन?

जिन किसानों ने लोन नहीं लिया है उनको रबी बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए जनसेवा केन्द्र या जिस बैंक में उनका खाता है वहां आवेदन करना होगा। आवेदन में अपनी ज़मीन का खाता-खेसरा, आधार कार्ड, बैंक पासबुक के साथ ही फ़सल की डिटेल देनी होती है। इसी आधार पर बैंक में रबी फ़सल का बीमा हो जाएगा। तो अब जबकि रबी फ़सलों की बुआई शुरू हो चुकी है तो इस योजना का लाभ उठाएं। किसान सीएससी, बैक एजेन्ट की सहायात से या बीमा पोर्टल पर बीमा स्वयं भी कर सकते है।

बीमा का लाभ किसे?

जिन किसानों ने कृषि ऋण लिया है उनकी फ़सलों का बीमा बैंक अपने-आप कर देता है। मगर बैक से कर्ज लेने वाला किसान अगर फसल बीमा का लाभ नहीं लेना चाहता है तो बीमा कराने की अन्तिम तिथि के 7 दिन के अन्दर उसे बैक को सूचना देनी पड़ती कि वो बीमा का लाभ नही चाहता है। ऐसी स्थिति में ही बैक बीमा का प्रीमियम खाते से नहीं काटता। जिन किसानों ने बैंक से लोन नहीं लिया है उन्हें इसका प्रीमियम अलग से देना होता है। इसमें सही समय पर प्रीमियम का भुगतान कर देना ज़रूरी है। वैसे रबी सीजन के लिए 31 दिसंबर तक बीमा कराने की अंतिम तिथि है

प्रधानमंत्री फसल बीमा में हुए बदलाव

इस साल से किसानो के लिए लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा  योजना स्वैच्छिक कर दी गई है। पहले जिन किसानों ने बैक से कर्ज लिया हुआ था उनके लिए फसल बीमा योजना अनिवार्य थी।  लेकिन इस साल से स्वैच्छिक कर दिया गया है । सभी किसानों को फसल बीमा के लिए बैंक में आवेदन करना होगा औऱ जो किसान बीमा कराने का विकल्प देगा उसके बीमा की किश्त ही खाते से काटी जाएगी।   

कृषि मंत्री का दावा

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि पिछले तीन सालों में 13000 करोड़ रुपए का प्रीमियम किसानों से जमा हुआ है लेकिन किसानों को प्रीमियम भुगतान से साढ़े 4 गुना अधिक यानी करीव 64000 करोड़ रुपए बतौर मुआवजा दिया गया। फसल को अगर कोई नुकसान होता है तो 72 घंटे में शिकायत स्थानीय कृषि कार्यालय किसान हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज करानी होगी। इसके आलावा ये शिकायत क्राप इंश्योरेंश ऐप पर भी दर्ज कराई जा सकती है। इस बारे में विस्तार से जानकारी लेने के लिए हेल्पलाईन नंबर 18001801551 पर संपर्क किया जा सकता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments