लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र ) : उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ समय से लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिनसे मुख्यमंत्री य़ोगी आदित्यनाथ के उन दावों पर सवाल उठ खड़ा हुआ है जिसकी चर्चा वे बढ़ चढ़ कर किया करते हैं। सवाल, उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था का है। उत्तर प्रदेश में अभी दो दिनों पहले ही टीईटी परीक्षा रद्द कर दी गई। इस परीक्षा में करीब 21 लाख परीक्षार्थी बैठे थे। परीक्षा रद्द होने की वजह थी प्रशनपत्र का लीक हो जाना। इस मामले में कई गिरफ्तारियां की गई हैं लेकिन फिर भी सवाल तो अपनी जगह कायम है ही। दूसरी घटना, प्रयागराज में एक दलित परिवार के चार सदस्यों की जघन्य हत्या का मामला जिसमें परिवार की मां-बेटी भी शामिल थीं। हत्या से पहले उनके साथ रेप भी किया गया। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अगले कुछ दिनों में प्रयागराज आने वाले हैं इसलिए पुलिस बहुत तेजी के साथ मामले को किसी नतीजे पर पहुंचाने में जुटी जरूर है लेकिन अब तक उसकी कोई भी दलील गले उतरने वाली नहीं रही है।
क्य़ों है सवाल, कानून-व्यवस्था का ?
उत्तर प्रदेश की राजनीति और कानून-व्यवस्था का इन दोनों सवालों से गहराई से ताल्लुक है। पहला सवाल राज्य के बेरोजगार नौजवानों से जुड़ा है तो दूसरा राज्य में दलितों की स्थिति और उनके उत्पीड़न से ताल्लुक रखता है।
उत्तर प्रदेश में टीईटी परीक्षा के पर्चे लीक होने के बाद उसे रद्द कर दिया गया। इन परीक्षाओं के लिए 21 लाख से ज्यादा नौजवानों ने आवेदन दिया था। इसी तरह, मंडी परिषद में कर्मचारियों की भर्ती के लिए परीक्षा ढाई साल पहले हुई थी लेकिन अभी तक उसके नतीजे नहीं घोषित हुए। राज्य के बेरोजगार नौजवानों को एक लंबे अर्से से इन परीक्षाओं का इंतजार था। परीक्षाओं में काफी संख्या में छात्र शामिल होते हैं लिहाजा पुलिस बंदोबस्त भी बहुत तगड़ा रखा जाता है। बताया जा रहा है कि टीईटी परीक्षा के प्रश्नपत्र एक दिन पहले ही व्हाट्सअप पर वायरल थे। ऐसे में आखिर पुलिस और खुफियातंत्र को इसकी जानकारी कैसे नहीं थी ये सोचने का विषय है। ये राज्य में कानून व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
प्रयागराज की घटना तो राज्य में लगातार दलितों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न में एक और बानगी हैं। उसके अगले दिन ही आजमगढ़ में भी एक दलित दंपति की हत्या कर दी गई। दोनों ही घटनाओं में परिजनों ने आरोप दबंगों पर लगाया है और मामला संपत्ति के विवाद का बताया जा रहा है। प्रयागराज में हाल- फिलहाल दलितों के खिलाफ ऐसी घटनाएं होती रही है। अभी कुछ दिनों पहले ही जिले में एक ही परिवार के पांच दलितो की हत्या कर दी गई थी। इसके पहले भी तीन दलितों की हत्या हुई थी।
पुलिल की हर मामले में एक अलग ही थ्योरी रही है। फाफामऊ की घटना में भी ऐसा ही हुआ। मामले की छानबीन कर रहे स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने दलित समुदाय के एक कथित आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। अभी एक दिन पहले ही, यूपी पुलिस ने इस मामले में दर्ज एफआईआर में उच्च जाति के परिवार के 11 लोगों को नामजद किया था। पुलिस ने उनमें से आठ लोगों को गिरफ्तार करने की बात भी कही थी। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद पीड़ित परिवार ने सवाल खड़े किए हैं। पुलिस ने अपने ताजा बयान में कहा है कि, आरोपी पवन कुमार सरोज ने परिवार की बेटी द्वारा दोस्ती को ठुकराए जाने पर निमर्म हत्या को अंजाम दिया है। युवक ने हत्या करने से पहले उसके साथ कथित तौर पर दुष्कर्म भी किया था।
एडीजी (प्रयागराज जोन) प्रेम प्रकाश के अनुसार, मामले को सुलझाने के लिए टीम ने मृत युवती के मोबाइल फोन की जांच की जिसमें कथित आरोपी द्वारा किए गए व्हाट्सएप के मैसेज मिले हैं जिसके बाद आरोपी की खोजबीन शुरू हुई तो उसकी पहचान थरवई निवासी पवन के रूप में की गई। पीडित परिवार के सदस्यों ने इस मामले में उच्च जाति के लोगों पर आरोप लगाया था और वारदात के पीछे संपत्ति विवाद की वजह बताई थी। पुलिस के अनुसार, छानबीन के बाद ये आरोप पुष्ट नहीं हो पाए।
प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार उमेश मिश्र के अनुसार, इस पूरे मामले के कई पहलू हैं। एक पक्ष तो पुलिस की थ्योरी है जिसमें लड़की के फोन और चैट को आधार बनाते हुए एक लड़के को गिरफ्तार किया गया है। दूसरा पक्ष, घटना की परिस्थितों का है, जिसे देख कर ऐसा लगता है कि ये काम किसी एक लड़के का नहीं हो सकता। परिवार के चार –चार लोगों की हत्या, बलात्कार एक या दो लोगों का काम नहीं हो सकता। एक और थ्योरी पीड़ित परिवार के सदस्यों की है।
उमेश मिश्र बताते हैं कि, इसी तरह की एक घटना कुछ महीने पूर्व पास के ही एक गांव में भी हुई थी। उसमें भी एक ही दलित परिवार 5 सदस्यों की हत्या हुई थी। उससे कुछ समय पूर्व भी तीन दलितों की हत्या की वारदात यहां हो चुकी है। हर वारदात के पीछे पुलिस की अपनी थ्योरी होती है और केस बंद होने की तरफ बढ़ जाता है। इन मामलों की गहरी तफ्तीश की जरूरत है।
आजमगढ़ में दलित दंपति की हत्या
बहुजन समाज पार्टी की नेता और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक ट्वीट में जानकारी दी है कि रविवार रात आजमगढ़ में दलित परिवार के पति-पत्नी की गला काट कर हत्या कर दी गई। माय़ावती ने अपने ट्वीट मे लिखा कि, यूपी के प्रयागराज के बाद अब आजमगढ़ में भी दलित पति पत्नी की कल रात गला काट कर हत्या कर देने की घटना भी अति दुखद, दर्दनाक व अति निंदनीय है। दलितों पर आए दिन हो रहे ऐसे अत्याचारों को सरकार तुरंत सख्ती से रोके तथा दोषियों के विरुद्ध सही व सख्त कार्रवाई भी करे। बीएसपी के ये मांग।
आंकड़बाजी बनाम जमीनी हकीकत
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव बस कुछ ही महीनों के फासले पर है। राज्य में कानून-व्यवस्था के नाम पर सब कुछ दुरुस्त है ऐसा प्रचार- प्रसार भी किया जा रहा है। लेकिन, आएदिन होने वाली ऐसी घटनाओं ने जमीनी हकीकत के दूसरे ही पहलू को उजागर किया है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के हवाले से अगर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में रोजाना करीब 12 बलात्कार के मामले दर्ज किए जाते हैं। अपहरण और हत्या के मामलों में उत्तर प्रदेश देश में पहले नंबर पर है। 2020 में यूपी में अपहरण के 12913 मामले दर्ज हुए जबकि हत्या के 3779 मामले दर्ज किए गए। पिछले 8 सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो 2016 में यूपी में रेप के सबसे ज्यादा 4816 मामले दर्ज किए गए थे। 2013 में ये आंकड़ा 3050 था जो कि 2020 के आंकड़ों से कम था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार दावे करते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के दिन अब लद गए। अपराध के ग्राफ में कमी भी आई। लेकिन एक बात गौर करने लायक है कि प्रदेश में इस दौरान महिलाओं और विशेषकर दलित महिलाओं के खिलाफ अपराध के वीभत्स और बड़े मामले सामने आए। प्रयागराज, आजमगढ़, उन्नाव, शाहजहांपुर, हाथरस, भदोही में हुए रेप के मामले इसके उदाहरण है।
चुनाव, दलित और बेरोजगार
उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत में नौजवानों और दलित वोटों में सेंधमारी का बड़ा योगदान था। लेकिन इस बार हालात अलग है। बेरोजगार खुद को छला महसूस कर रहा है और दलित उत्पीड़न की एक लंबी फेहरिस्त सामने हैं। सरकार इन मुद्दों को लेकर कैसे उनके बीच जाएगी ये उसके लिए एक बड़ी मुश्किल है। ये सवाल मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की व्यक्तिग प्रतिष्ठा का भी है जहां वे अपने काजकाज को लेकर बेहतर कानून-व्यवस्था का दावा करते हैं और उसी कानून –व्यवस्था से जुड़े प्रश्नों का जवाब देना उनके लिए एक चुनौकी बन जाता है।
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