जम्मू (गणतंत्र भारत के लिए सादिक) : क्या कश्मीर घाटी में 19990 का दौर वापस लौट रहा है? एक हफ्ते में करीब 100 हिंदू परिवार कश्मीर घाटी से पलायन कर गए हैं। खबरों के मुताबिक जल्दी ही और करीब 150 परिवार कश्मीर घाटी से सुरक्षित स्थानों पर जाने की तैयारी में हैं। हालांकि, कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने हिंदुओं को सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाया है और हिंदू रिहायशी इलाकों की सुरक्षा को बढ़ाने का निर्देश दिया है।
गुरूवार सुबह कुलगाम में विजय कुमार नाम के एक कश्मीरी हिंदू की हत्या आतंकवादियों ने कर दी। मंगलवार को उग्रवादियों ने 36 वर्षीय शिक्षिका रजनी बाला की कुलगाम जिले के ही सरकारी स्कूल के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी थी। विजय कुमार की शादी अभी दो महीने पहले ही हुई थी और स्थानीय स्तर पर उसे लोगों का बहुत मददगार बताया जाता है।
उत्तरी कश्मीर के बारामूला में हिंदू कश्मीरी पंडित कॉलोनी के अध्यक्ष अवतार कृष्ण बट कहते हैं कि मंगलवार की घटना के बाद से कॉलोनी में रहने वाले 300 परिवारों में से लगभग आधे जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि, लोग डरे हुए हैं। हम भी कल तक चले जाएंगे। फिलहाल हम सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। हमने सरकार से आग्रह किया था कि हमें कश्मीर के बाहर कहीं बसा दिया जाए।
इस्लामी उग्रवादियों के निशाने पर हिंदू
इस्लामी उग्रवादी कश्मीरी पंडितों और दूसरे समुदाय के लोगों को चुन-चुन कर निशाना बना रहे हैं। पिछले महीने ही स्थानीय सरकारी दफ्तर में काम करने वाले एक कश्मीरी पंडित को उनके कार्यालय में घुसकर गोली मार दी गई थी। उस हत्या के बाद स्थानीय लोग और पीड़ित के सहकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और हिंदुओं को कश्मीर घाटी के बाहर कहीं बसाने की मांग की थी। हालांकि, कश्मीर घाटी के पुलिस प्रमुख विजय कुमार ने मीडिया को बताया कि उस हत्या के लिए जिम्मेदार उग्रवादियों को मौत के घाट उतार दिया गया है।
आपको बता दें कि, 1989 में कश्मीर में उग्रवाद की शुरुआत से ही कश्मीरी पंडित मारे जाने या भाग जाने को मजबूर हैं। मुस्लिम बहुल कश्मीर में रहने वाले करीब ढाई लाख पंडित 1989 के बाद से घाटी छोड़कर जा चुके हैं। बीजेपी के लिए कश्मीरी पंडित बड़ा मुद्दा रहे हैं और नरेंद्र मोदी सरकार चाहती है कि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी हो। इसी कोशिश के तहत हाल के सालों में 3,400 से ज्यादा हिंदुओं को कश्मीर में सरकारी नौकरियां दी गईं लेकिन अब वे कश्मीर घाटी से बाहर कहीं बसाए जाने की मांग कर रहे हैं।
हिंदुओ के साथ मुसलमान भी निशाने पर
उग्रवादियों ने सिर्फ हिंदुओं को ही निशाना नहीं बनाया है बल्कि पिछले कुछ महीनों में कई मुस्लिम भी निशाना बनाकर की गई हत्याओं का शिकार हुए हैं। पिछले हफ्ते ही श्रीनगर में रहने वाली एक टीवी कलाकार को गोली मार दी गई थी। 35 वर्षीय अमरीन बट को उग्रवादियों ने नजदीक से गोली मारी। घटना में उस कलाकार का 10 वर्षीय भतीजा भी घायल हो गया था। बट सोशल मीडिया पर भी खासी सक्रिय थीं।
पिछले महीने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को अदालत से उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के बाद कश्मीर घाटी में लगातार हिंसक प्रदर्शन जारी हैं। हालात को देखते हुए सुरक्षा बलों ने भी दबाव बढ़ा दिया है। सुरक्षा बल अब सिर्फ उग्रवादियों को नहीं बल्कि उनके मुखबिरों को भी निशाना बना रहे हैं। इस साल 78 उग्रवादियों को अब तक मारा जा चुका है। पिछले साल 193 उग्रवादियों को मारा गया था जबकि 2020 में सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए संदिग्ध उग्रवादियों की संख्या 232 थी।
श्रीनगर में वरिष्ठ पत्रकार इरशाद लोन मानते हैं कि हालात गंभीर हैं और सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
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