जे.पी. सिंह (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली : एक साधारण प्रतिभा का व्यक्ति भी बहुत कुछ कर सकता है बशर्ते वह निरंतर कठिन परिश्रम करता रहे| ऐसा ही कुछ कर दिखाया है राजस्थान के छोटे से गांव झींगर की महिला किसान संतोष पचार ने जिन्होंने गाजर की उन्नत किस्म की खोज कर और जैविक खेती से राजस्थान का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है। संतोष पचार की यह कहानी जितनी रोचक देश के किसानों के लिए है, उतनी ही उन पढ़े-लिखे बेरोजगारों के लिए भी है जो सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर कुछ भी नहीं करना चाहते। इस तरह के युवाओं को भी यह महिला किसान नया रास्ता दिखा रही है|
घरेलू महिला से सफल किसान बनने का सफर
संतोष पचार एक घरेलू महिला थी और यही थी इनकी पहचान। उनकी जिंदगी में नया मोड़ साल 2002 में आया जब पारिवारिक बंटवारे में संतोष और उनके पति के हिस्से में केवल पांच एकड़ जमीन आई जिस पर खेती कर उनके परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल था। बंटवारे में मिली यह जमीन राजस्थान के कम पानी वाले इलाके में आती है। लेकिन उसी दौरान संतोष को एक निजी संस्था द्वारा चलाए जाने वाले जैविक कृषि कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली। वे अपने पति के साथ जैविक कृषि से संबंधित बैठक में शामिल हुई। संतोष इस जैविक कृषि से संबंधित बैठक में शामिल होने वाली पहली महिला किसान थी। वे पर्दा प्रथा के कारण खुलकर अपनी बातें बैठक में सबके सामने तो नहीं रख पाई लेकिन इस कृषि कार्यक्रम में शामिल होने के बाद उन्हें जैविक कृषि का तरीका समझ मे आ गया था और उन्होंने जैविक खेती को अपनाने की ठानी।
संतोष ने साल 2002 में 2 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत की जब उनकी खेती अच्छी हुई तो उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को बताया। इसके बाद उस समय के तत्कालीन जिला कलेक्टर ने गांव में कृषि चौपाल रखकर संतोष पचार की खेती में किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें 11 हजार रुपए का ईनाम दिया था। संतोष पचार ने सीकर शहर में पहुंचकर अपनी उपज के लिए स्वयं ग्राहक तैयार किए। इसके बाद संतोष पचार का हौसला बढ़ता गया और वे जैविक खेती में नए-नए प्रयोग करने लगीं।
दो फीट के गाजर – स्वाद लाजवाब
संतोष पचार ने गाजर के बीज में सुधार के लिए अच्छी गाजरों को छांटकर उनका बीज तैयार किया। इन बीजों से तैयार गाजर से फिर सबसे अच्छी गाजरें छांटकर अगले साल के लिए बीज तैयार किए। ये क्रम दस साल तक चलता रहा। इसके बाद गाजर की अच्छी किस्में तैयार हो गईं। गाजरों की लम्बाई बड़ी हो सके इसके लिए संतोष पचार ने खेतों की गहरी जुताई करवाई और जैविक खाद के साथ जब गाजर की बुवाई की तब उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली उपज मिली और उस गाजर की लम्बाई डेढ़ से दो फीट थी और खाने में स्वादिष्ट, नरम और मीठी थी। उनके इस बीज से 99 प्रतिशत अच्छी किस्म की गाजर तैयार होती है। संतोष पचार ने अपनी मेहनत से 8-10 साल में गाजर के उत्कृष्ट श्रेणी के जैविक गाजर बीज तैयार किए हैं।
लाखों की कमाई से सन्तोष का जीवन खुशहाल
एक तरफ जहां आज के पढ़े-लिखे युवाओं को उनका भविष्य नजर नहीं आ रहा, वहीं संतोष पचार ने एक साल में ही जैविक तरीके से खेती कर 10 से 11 लाख की आमदनी कर रही हैं । संतोष जैविक तरीके से गाजर का बीज और प्याज का बीज तैयार करने के साथ ही सब्जियों और गेहूं की खेती भी करती है और उस जैविक गेहूं को 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचती हैं। जैविक गेहूं की खेती वे एडवांस आर्डर पर ही करती है। वे कहती हैं कि जैविक खेती करें क्योंकि जैविक खेती करने से फसल को कम से कम पानी देने की जरूरत होती है।
राष्ट्रपति से मिला सम्मान
संतोष को गाजर का उत्कृष्ट श्रेणी का जैविक बीज तैयार करने पर वर्ष 2013 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नई दिल्ली में पुरस्कृत किया गया था। गाजर का जैविक बीज तैयार करने के मामले में वे देश में दूसरे नंबर पर रही थीं । वे 20 बीघा जमीन में जैविक खेती कर रही हैं एवं जयपुर, जोधपुर, दिल्ली मुंबई सहित देशभर में होने वाले किसान सम्मेलनों में जाकर किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित भी करती हैं। उनकी इस कामयाबी के लिए सरकार द्वारा उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। अगर मन में कुछ कर गुजरने का हौंसला हो तो विपरीत हालात भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकते। कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी संतोष आज अपनी जड़ें नहीं भूली हैं। वे अपनी खेती की हर गतिविधि पर खुद नजर रखती हैं। ये उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि मुश्किलों का सामना करते हुए भी घरेलू महिला किसान आज खुद को एक आदर्श के तौर पर स्थापित करने में सफल रही हैं और देश की महिलाओं के लिए एक उदाहरण बनके सामने आई हैं।