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हरिमन के हौसले ने तपती लू में भी पैदा कर दिए सेब

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए जे.पी.सिंह ) :मेहनत व सच्ची लगन हो तो ऐसा कोई मुकाम नहीं होता जहां आदमी पहुंच न सके। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बिलासपुर के रहने वाले किसान हरिमन शर्मा ने। उन्होंने केवल ठंडे इलाकों में पैदा होने वाले सेब की ऐसी वैरायटी खोज निकाली है जिसने तपती धरती को भी सेब की महक से भर दिया है। देश के हर कोने में लहलहाने के साथ ही अब इस वैरायटी ने विदेश में भी अपनी धाक जमा ली है। इस सेब की खोज करने वाले हरिमन शर्मा की कहानी भी किसी फिल्मी हीरो से कम नही है। उन्होंने गुरबत में जीते हुए भी कृषि जगत में ऐसा चमत्कार कर दिया जिससे आज देश के लाखों-करोड़ों किसान प्रेरणा ले सकते हैं। 

हरिमन-99 की पैदावार

हरिमन मजदूर से बने खेतिहर

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के गांव गलासी के रहने वाले हरिमन के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसीलिए दसवीं कक्षा में फेल होने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। उसके बाद हरिमन पंद्रह साल की उम्र में 1971 में वन विभाग में मजदूरी करने लगे। कुछ समय बाद वन विभाग की मजदूरी छोड़ परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्होंने पत्थर तोड़ने का काम शुरू किया। यह  काम वे 1990 तक परिवार का पेट पालने के लिए करते रहे लेकिन पत्थर तोड़ते हुए उनकी बाँह टूट गई। अब उनके सामने घर-परिवार चलाने के लिए कुछ नही दिख रहा था। अब उनके सामने केवल दिख रही थी पुश्तैनी पथरीली बीस-इक्कीस बीघा जमीन जो बेकार पड़ी थी। हरिमन ने खेती कर गुजर-बसर करने की ठानी। समस्या थी सिंचाई की, जिसके लिए उन्होंने एक बड़ा वॉटर टैंक बनाया। कृषि विभाग से सहयोग मिला तो हिमाचल प्रदेश में पहला पॉलीहाउस बनवाया और नर्सरी का काम शुरु कर दिया। वे घर-घर पॉलीथीन बैग में तैयार पौध बेचने लगे। 

तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से सम्मानित होते हुए हरिमन शर्मा

तपती धरती पर उगने वाले सेब की खोज

नर्सरी के काम में मास्टर हो चुके हरिमन ने अब कुछ नया करने की सोची और ठंडी जगह में उगने वाले सेब को हिमाचल प्रदेश के निचले इलाके वाले गर्म वातावरण में बिलासपुर जैसी जगह पर उगाने की ठानी। इस काम के लिए उन्होंने एक बीज से सेब का पौधा तैयार किया। उसकी पहले प्लम के पौधे पर ग्राफ्टिंग की उसके बाद सेब के पौधों पर ग्राफ्टिंग की। इसके कारण इस पौधे से मिलने वाले सेब का आकार, क्वालिटी और स्वाद पूरी तरह ठंडी जगहों पर फलने वाले सेब की तरह था। बर्फ से ढके रहने वाले इलाकों की बागवानी का राजा सेब हरिमन के प्रयास से अब 40 से 46 डिग्री तापमान वाले इलाकों में भी पनपने लगा। इस सेब का नाम रखा गया हरिमन-99 । हरिमन को अपने इस काम में सफलता के लिए सात साल खर्चने पड़े। उन्होंने इस काम को 1999 में शुरू किया और सात साल के बाद 2006 में जाकर इसे पूरा किया।

परिणाम के बाद प्रसार पर जोर

सफलता मिलने के बाद देश के हर कोने मे इस सेब की बागवानी की जा सके इसके लिए  हरिमन ने विज्ञान और तकनीक विभाग के नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की मदद से गर्म जलवायु वाले इलाकों में इस प्रजाति के सेब की पैदावार के लिए ट्रायल शुरू किया। कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर सहित देश के 29 राज्यों में ट्रायल किया गया जो सफल रहा। हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, उना, मंडी और सोलन में अभी तक 1 लाख 90 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। देश भर में इस वैरायटी के सवा दो लाख सेब के पौधे लग चुके हैं। 6 हजार किसानों ने इसे अपनाया है। 2014-15 में 50 पौधे राष्ट्रपति भवन में भी लगाए गए। कर्नाटक के बेंगलुरु और बेलग्राम, हरियाणा के सिरसा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, मणिपुर, उत्तरप्रदेश के अलावा विदेश में जर्मनी तक हरिमन-99 के पौधों की मांग बढ़ी है। 

सेबों मे ऑल राउंडर हरिमन-99

हरिमन शर्मा के अनुसार वह नए पौधे तैयार करने के लिए कश्मीर के गोल्डन डिलिशियस का रूट स्टाक लेते हैं। हिमाचल में कलम कर हरिमन-99 वैरायटी तैयार की जाती है। पहाड़ी, बर्फीले इलाकों में सेब के पौधों पर सामान्य रूप से अप्रैल में फूल आता है और सितंबर में उस पर फल पकने लगते हैं। हरिमन-99 के पौधों में फरवरी में ही फूल आता है और जून में पके फल आने लगते हैं। गरम प्रदेशों के बाजार में उन दिनों कोई फल नहीं होता जब यह उपलब्ध होता है। हरिमन-99 वैरायटी तीसरे वर्ष से फल देने लगती है लेकिन प्रति पेड़ एक क्विंटल तक की पैदावार हासिल करने के लिए दस वर्ष का समय लगता है। एक फल का वजन 250 से 300 ग्राम तक होता है। सेब की इस वैरायटी को अगर आप भी लगाना चाहते हैं तो पहले 1-2 पौधों को ट्रायल के तौर पर लगाएं जब सफल हों तो इसकी विस्तृत बागवानी करें। 

हरिमन के जज्बे को दर्जनों सम्मान

हरिमन शर्मा को इस कार्य के लिए लगातार कई सम्मान भी मिले। उन्हें राष्ट्रपति अवार्ड से लेकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई अवार्डों से नवाजा गया। उन्हें हिमाचल प्रदेश में 2008 में स्वतंत्रता दिवस के दिन ‘राजस्तरीय उत्कृष्ट पुरस्कार’, 2009 में ‘प्रेरणास्त्रोत सम्मान’ और ‘कृषि पंडित’ सम्मान मिला। 2011 में उन्हें उना में सफल सेब उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया।  साल 2016 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने उन्हें सेब उत्पादन के लिए सम्मानित किया।

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