नई दिल्ली, ( गणतंत्र भारत के लिए विशाल ) : ग्लोबल हंगर रिपोर्ट पर भारत सरकार की तीखी प्रतिक्रिया के बीच ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने एक एजवाइजरी जारी करके भारत सरकार के आरोपो को खारिज कर दिया है। एडवाइजरी में स्पष्ट किया गया है कि भारत सरकार ने खाद्य एवं कृषि संगठन के जिस टेलीफोन पोल का हवाला देते हुए इंडेक्स पर सवाल उठाए हैं दरअसल हंगर इंडेक्स में उसका इतेमाल ही नहीं किया गया है।
एडवाइजरी में सपष्ट किया गया है कि, इस रिपोर्ट को तैयार करने में 4 मानकों को आधार बनाय़ा गया है। पहला, अल्पपोषण, दूसरा, चाइल्ड स्टंटिंग, तीसरा, चाइल्ड वेस्टिंग और चौथा, पांच साल तक के बच्चों की मत्युदर से संबंधित आंकड़े। इन सभी आधारों को भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही रखा गया है।
इस रिपोर्ट को कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हुंगर हिल्फे नाम की संस्थाओं ने खाद्य एवं कृषि संगठन, यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक और समग्र राष्ट्रीय पोषण सर्वे से हासिल किए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार किया है। इस बीच, वेल्ट हुंगर हिल्फे की पॉलिसी एडवाइजर मीरियम वीमर्स ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया है कि, ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में खाद्य एवं कृषि संगठन के टेलिफोन आधारित ओपिनियन इंडिकेटर, जिसमें गैलप पोल भी शामिल है, का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ‘
कैसे बनती है रिपोर्ट ?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट जारी करने से पहले उसकी समीक्षा बाहरी विशेषज्ञ करते हैं। इसे तैयार करने का तरीका पुराना और जांचा-परखा है। इसमें सदाजीवी विकास के मानकों को आधार बनाया जाता है जिसके प्रति अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय़ ने पहले ही अपनी रजामंदी दी हुई होती है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के लिए आंकड़ो को एकत्र करने के मामले में आखिरी बदलाव 2015 में किया गया था हालांकि जिन संगठनों के आंकड़ों के आधार पर इंडेक्स तैयार
होता है वे अपने तरीकों में समय और जरूरत के हिसाब से मामूली फेरबदल करते रहते हैं।
भारत सरकार को क्या थी आपत्ति ?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की साल 2021 की रिपोर्ट में भारत को 101 वें स्थान पर रखा गया है। पिछले वर्ष भारत की रैंकिंग 94 थी। भारत सरकार ने इस रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए डेटा संग्रहण के तौरतरीकों पर सवाल उठाए थे। भारत सरकार का आरोप था कि अल्पपोषण के मानक के लिए खाद्य और कृषि संगठन के डेटा का इस्तेमाल किया गया, जिसमें टेलिफोन पोल भी शामिल था। साथ ही भारत सरकार ने इस रिपोर्ट में कई कल्याणकारी योजनाओं के
असर की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया है।
फोटो सौजन्य़- सोशल मीडिया