मालाप्परम (केरल) 16 अगस्त ( गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क) : शायद आपने सिद्दीक कप्पन का नाम सुना हो। वे पेशे से पत्रकार हैं और मलयाली न्यूज़ पोर्टल अझिमुखम.कॉम के लिए दिल्ली से काम करते हैं। वे इस समय उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में बंद हैं। उन्हें यूपी सरकार ने 5 अक्टूबर 2020 गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के वक्त कप्पन हाथरथ कांड की रिपोर्टिंग के लिए जा रहे थे। उन पर यूएपीए जैसे संगीन अपराध से जुड़े कानून की धाराओं को लगाया गया है। यूपी पुलिस का दावा है कि कप्पन के साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्य भी सफर कर रहे थे। हालांकि कप्पन ने पुलिस के दावों को गलत बताया और स्पष्ट किया कि उनका पीएफआई से कोई ताल्लुक नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कप्पन की जमानत अर्जी खारिज करते हुए एक विचित्र सा तर्क दिया था कि, हाथरस में पत्रकारों का कोई काम नहीं था और कप्पन के साथ जो सह-अभियुक्त थे, वे मीडिया से जुड़े नहीं थे। कप्पन की पत्नी रेहाना इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।
लेकिन ये बातें तो पुरानी हैं और लगातार चली आ रही हैं। आज हम जिक्र करने जा रहे हैं सिद्दीक कप्पन के बेटी मेहनाज़ कप्पन के उस भाषण का जिसे उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने स्कूल में दिया। भाषण बहुत खास है और उसमें बोली गई बातें बहुत गहरी हैं। कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने मेहनाज़ के भाषण को बहुत विस्तार और प्रमुखता से प्रकाशित किया है।
मेहनाज की उम्र सिर्फ नौ साल की है और वो केरल के मल्लापरम जिले के वेनगारा में जीएलपी स्कूल मे कक्षा चार में पढ़ती है। मेहनाज़ को भाषण देना पसंद है और उसने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने स्कूल में भाषण दिया। भाषण की शुरुवात में अपना परिचय देते हुए मेहनाज़ ने बहुत गर्व से कहा कि, ‘ मैं सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन हूं। मेरे पिता एक पत्रकार हैं और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया है। एक नागरिक को जो सारे अधिकार मिलते हैं, उनसे मेरे पिता को वंचित कर दिया गया है। ‘
मेहनाज ने कहा कि, एक भारतीय होने पर मुझे गर्व है और मैं शान से कहती हूं कि भारत माता की जय। आज देश आजादी के 76 वर्ष में पहुंच गया है और ये आजादी हमें बहुत त्याग और शहादत के बाद मिली है।
मेहनाज़ ने अपने भाषण में भारत में नागरिक अधिकारों की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि, हमारे देश में धर्म, रंग और राजनीति के नाम पर नागरिकों को अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
मेहनाज ने अपने भाषण में महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और भगत सिंह को याद किया। उन्होंने कहा कि, ‘गांधी, नेहरू, भगत सिंह के त्याग के कारण हम आज आज़ादी का जश्न मना रहे हैं। इनके अलावा और कई लोगों ने भी आज़ादी के लिए जान की बाज़ी लगा दी। आज भारत में बोलने, अपनी पसंद से खाने-पीने और किसी भी मज़हब को अपनाने की आज़ादी है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आज़ादी है। जो भी इस देश से बाहर जाने के लिए कहते हैं, उनका विरोध करने का अधिकार सभी भारतीयों के पास है। जो आपसे असहमत हैं आप उन्हें चुप नहीं करा सकते।
मेहनाज़ ने कहा कि, हम भारतीयों की गरिमा किसी के सामने झुकनी नहीं चाहिए। लेकिन आज भी अशांति का वातावरण पैदा किया जा रहा है। धर्म, रंग और राजनीति के नाम पर हमले हो रहे हैं। हमें इसे रोकना है और एकजुट रहने की ज़रूरत है। हमें किसी भी तरह की अशांति को आने से पहले ही रोकना चाहिए। हमें मिलकर साथ रहना चाहिए और भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहिए। हमें बेहतर कल के लिए सपने देखना चाहिए।
मेहनाज़ ने अपने भाषण का अंत जय हिंद और जय भारत से किया।
टेलीग्राफ में छपी रिपोर्ट के अनुसार, मेहनाज़ वकील बनना चाहती हैं और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने को वे हर भारतीय का धर्म समझती हैं। उनका पसंदीदा विषय गणित है लेकिन वे भाषण का कोई मौका चूकना नहीं चाहतीं। वे खुद कहती हैं कि उन्हें भाषण देना बहुत पसंद है।
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