नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : भारत ने अग्नि -5 मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है। ये मिसाइल 5000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। भारत की स्ट्रेटेजिक कमांड फोर्स ने खुद ये परीक्षण किया और इस परीक्षण से पहले भारत ने इस मिसाइल के सात और परीक्षण किए थे। ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वीप से भारत ने ये परीक्षण किया। मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत ने एक बयान में कहा कि अब हमारे पास चीन की मिसाइलों का तोड़ आ चुका है लेकिन हम इसका इस्तेमाल पहले नहीं करेंगे।
चीनी मिसाइलों का माकूल तोड़
भारत ने ये मिसाइल चीन के डॉगफेंग मिसाइलों के जवाब में तैयार की है। चीन ने सोवियत संघ की मदद से 1950 के दशक से डॉंगफेंग मिसाइलों के विकास का काम शुरू किया था। इस क्रम में आधुनिकतम डॉंगफेंग-41 है जिसकी मारक क्षमता 12 से 15 हजार किलोमीटर के दायरे तक फैली हुई है। ये एक अंतर महाद्वीपीय मिसाइल है। डीएफ-41 मिसाइल 10 परमाणु बम ले जा सकती है जिनका वजन 100 से 200 किलोटन से एक मेगाटन तक हो सकता है। चीन की डोंगफेंग मिसाइल, अपनी मारक रेंज को देखते हुए भारत ही नहीं अमेरिका तक तबाही मचाने में सक्षम है। इसके अलावा हाल ही में चीन ने अंतरिक्ष से धऱती पर हाइपरसोनिक मिसाइल दाग कर पूरी दुनिया को दहशत में डाल दिया था।
अग्नि – 5 क्यों है बेमिसाल
भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर अग्नि -5 मिसाइल की रेंज 5 हजार किलोमीटर बताई है लेकिन चीन का दावा है कि इसकी रेंज 8 हजार किलोमीटर के दायरे तक है। इस लिहाज से ये पूरे एशिया और यूरोप के 70 फीसदी हिस्से को निशाना बनाने में सक्षम है। अग्नि-5 अपने साथ 1500 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार ले जा सकती है और ये सतह से सतह पर मार करने वाली सबसे घातक मिसाइल है। इसका वजन करीब 50 हजार किलोग्राम है। मिसाइल 1.75 मीटर लंबी है। इसका व्यास 2 मीटर है। यह अपने साथ 1.5 टन वॉरहेड ले जाने में समर्थ है। अग्नि-5 को डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने मिलकर तैयार किया है।
अग्नि -5 का निशाना अचूक है। भारतीय इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि – 5 अपनी सबसे तेज गति से 8.16 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलती है जो ध्वनि की गति से 24 गुना तेज है। इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है। आईसीबीएम की श्रेणी में किसी मिसाइल को तभी शामिल किया जाता है जब वो कुछ पैमानों को पूरा करती हो। खासतौर पर ये देखा जाता है कि मिसाइल की रेंज या दायरा इतना है कि नहीं कि वो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक के फासले को तय कर पाए। अग्नि-5 इस पैमाने पर खरी उतरती है। अग्नि-5 मिसाइल की एक और खूबी ये है कि इसमें रखरखाव की जरूरत काफी कम है और इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना भी आसान है।
अग्नि -5 बनेगी महविनाशक
भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान यानी डीआरडीओ अग्नि को महाविनाशक बनाने की तैयारी में जुटा है। अग्नि के अलग-अलग वैरियंट बनाने वाला डीआरडीओ मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (एमआईआरवी)’ भी तैयार कर रहा है। एमआईआरवी पेलोड में एक मिसाइल में चार से छह न्यूक्लियर वॉरहेड ले जा सकेंगे। इन्हें अलग-अलग टारगेट को हिट करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। इस तरह से भारत उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो जाएगा जिनके पास इस तरह की मारक क्षमता है।
चीन-पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया
अग्नि -5 के सफल परीक्षण से चीन के साथ पाकिस्तान ने भी काफी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इससे क्षेत्रीय शांति और शक्ति संतुलन पर असर पड़ेगा और हथियारों का प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
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