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चंद्रयान के बाद अब ‘मिशन आदित्य’…इंसान भी जल्द जाएगा स्पेस में….

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद अब भारत की नजरें सूर्य और शुक्र की ओर हैं। इनके राज जानने के साथ ही वह मंगल पर भी यान उतारना चाहता है और स्पेस में अंतरिक्ष यात्री भेजने के मिशन पर भी वह काम कर रहा है। चंद्रयान-3 का चांद की सतह पर उतरना इसरो की एक बड़ी कामयाबी है। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शाम छह बजकर चार मिनट पर उतरा। यहां तक अभी दुनिया का और कोई देश नहीं पहुंच पाया है। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन ही चांद पर उतर पाए थे।

रूस ने भी अभी कुछ दिन पहले चांद पर अपना मिशन भेजा था, लेकिन यह मिशन कामयाब नहीं रहा। रूस भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान उतारना चाहता था। उसके मिशन की कीमत 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा थी, जबकि चंद्रयान-3 पर सिर्फ 616 करोड़ रुपये का खर्च आया। गौरतलब है कि सरकार ने चंद्रयान और सूरज के राज जानने के मिशन के बजट में इस वित्त वर्ष में 32 प्रतिशत की कमी कर दी थी, लेकिन फिर भी इसरो के वैज्ञानिकों ने बहुत किफायत के साथ चंद्रयान-3 को चांद पर उतार दिया।

भारत ने इससे पहले चंद्रयान-2 को 2019 में चांद पर भेजा था, लेकिन तकनीकी कारणों से वह चांद पर सुरक्षित तरीके से नहीं उतर पाया था। जब इसका लैंडर चंद्रमा की सतह से करीब 21 किलोमीटर दूर था तो इसका संपर्क टूट गया था। इस बार इसरो इसकी सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर बहुत सतर्क था। उसका कहना था कि लैंडिंग के आखिरी 17 मिनट बहुत अहम होंगे। तब लैंडर की प्रणाली ही सब कुछ कंट्रोल करेगी। धरती से इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सकेगा। अब चंद्रयान का लैंडर प्रज्ञान, रोवर विक्रम से बाहर निकल चुका है और चांद का मुआयना कर रहा है। इसरो के साइंटिस्ट्स को उम्मीद है कि प्रज्ञान चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने में खासा मददगार साबित होगा। लैंडर भी अपने कैमरों की मदद से चांद से डेटा भेजेगा।

चंद्रयान के बाद मिशन आदित्य

बहरहाल, अब चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद भारत का फोकस सूरज के राज जानने पर रहेगा। यह बात चंद्रयान-3 की कामयाब लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भी कही। उनका यह भी कहना था कि भारत जल्द ही अंतरिक्ष में इंसान को भेजने और शुक्र के रहस्य जानने के मिशन को भी अंजाम देगा। सूरज  के राज जानने के लिए मिशन आदित्य लॉन्च किया जाएगा। भारत इस मिशन पर काफी समय से काम कर रहा है। अपने मिशन के तहत वह सूरज पर होने वाली हर गतिविधि की स्टडी करना चाहता है। उसका लक्ष्य सूरज पर होने वाली गतिविधियों के पृथ्वी पर पड़ने वाले असर की पड़ताल करना भी है। इस मकसद से लॉन्च किए जाने वाले सैटलाइट को अत्याधुनिक कैमरों से लॉन्च किया जाएगा। इसमें उच्च कोटि के सेंसर भी लगे होंगे।

चंद्रयान मिशन-3 के मामले में इसरो कोई चूक नहीं होने देना चाहता। मामला देश और इसरो की साख का जो था। लिहाजा उसके वैज्ञानिक दिन-रात इस मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए थे। चंद्रयान-3 को इस साल जुलाई की 14 तारीख को दिन में दो बजकर 25 मिनट पर लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-2 मिशन को भी 2019 में जुलाई के महीने में ही लॉन्च किया गया था, मगर यह मिशन कामयाब नहीं रहा। इसरो ने इस बार ऐसा न हो, इसके लिए लैंडर में अतिरिक्त सेंसर लगाए। हर प्रणाली का बैकअप तैयार रखा। मसलन, अगर इसका कोई उपकरण काम करना बंद कर दे तो उसका विकल्प रखा। लैंडर का पैर टूट जाए तो भी वह काम करता रहे, इसका इंतजाम किया।

भारत ने चंद्रमा के राज जानने के लिए 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था, लेकिन ईंधन की कमी के कारण यह मिशन 29 अगस्त 2009 को ही खत्म हो गया था। इसरो ने इस मिशन की अवधि दो साल रहने का अंदाजा लगाया था। इस मिशन से पहली बार दुनिया को चांद की सतह पर पानी होने के संकेत मिले थे। इसके बाद चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था। इसके ऑर्बिटर के साथ ही लैंडर और रोवर का विकास भारत ने अपने दम पर किया था। इसरो ने पहले इसके ऑर्बिटर को खुद बनाने और लैंडर और रोवर को रूस से लेने का मन बनाया था, लेकिन बाद में उसने यह जिम्मा भी खुद उठाने का फैसला किया, लेकिन इस मिशन के सफल न रहने के बाद इसरो ने इसके बारे में गहराई से पड़ताल की।

इसरो के पूर्व चेयरमैन और चंद्रयान-3 का काम देख रहे के. शिवन का कहना है कि हमने चंद्रयान-2 से मिले डेटा का गहनता से अध्ययन किया और समझा कि कहां गलती हुई और उसको दुरुस्त किया गया। उनका कहना है कि चंद्रयान-3 में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए तमाम जरूरी इंतजाम किए गए थे।  गौरतलब है इसरो अब तक कई सफल मिशन्स को अंजाम दे चुका है। उसने एक साथ 104 सैटलाइट्स को स्पेस में भेजकर कीर्तिमान बनाया था। इसरो अब अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ी ताकत है। चंद्रयान-3 की कामयाबी से भारत को दूसरे देशों से बड़े ऑर्डर मिलने के आसार हैं।

बहरहाल, चंद्रयान-3 चंद्रमा के वायुमंडल के साथ ही उसकी सतह का भी अध्ययन करेगा। इसके साथ ही वह चांद पर मौजूद खनिजों का भी पता लगाएगा। इसके लिए उसमें कई शक्तिशाली कैमरे भी लगाए गए हैं। इसमें ईंधन की कमी न हो, इसके लिए भी जरूरी उपाय किए गए हैं। चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनो के बराबर होता है। चंद्रयान-3 को वहां काम करने के लिए 14 दिन मिलेंगे। इसके बाद वहां रात दो जाएगी और तापमान शून्य से 200 डि.से. तक गिर जाएगा। इतनी ठंड में लैंडर और रोवर के उपकरणों के काम करने की संभावना नहीं है। इसलिए इस मिशन की अवधि 14 दिन मानी गई गई है।

 फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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