नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : भारत में संविधान, संवैधानिक संस्थाएं, इतिहास पुरुषों और इतिहास पर सवाल उठाने का जैसे सिलसिला चल पड़ा है। इस समय देश में ऐसे हालात बन गए हैं कि एक खास वर्ग और विचारधारा का समर्थन करने वाला कुछ भी बक सकता है और वो भी डंके की चोट पर। मीडिया को भी ऐसे लोगों की दरकार बनी रहती है ताकि उनके मूर्खतापूर्ण बयान कुछ समय तक मीडिया में माहौल को गरमाए रखें। कुछ समय पहले एक बीजेपी नेता ने कहा था देश को आजादी 99 साल के लिए लीज़ पर मिली है। इस सिलसिले में अब नया बयान कंगना रनौत का है। कंगना ने 1947 में देश को मिली आजादी को भीख बताया और कहा कि असली आजादी तो देश को 2014 में मिली। इशारा नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने वाले साल की तरफ था।
कंगना रनौत ने एक टीवी चैनल पर बातचीत में कहा कि देश को 1947 में जो आजादी मिली वो आजादी नहीं बल्कि भीख थी। कंगना उससे भी आगे काफी कुछ कह गई उससे उनकी भाषा में सियासी रुझान तो दिखा ही साथ ही उनके ज्ञान और मानसिक समझ की सीमाएं भी दिखाई दीं। उन्होंने कहा कि देश को असली आजादी तो साल 2014 में हासिल हुई।
कंगना रनौत की समझ और ज्ञान को जो लोग जानते-समझते हैं उनके अनुसार, इस बयान को बहुत तवज्जो देने की जरूरत नहीं है। वे मानते हैं कि कंगना अब एक अभिनेत्री कम बीजेपी के लिए एक टूल ज्यादा हैं। उनके मुंह से किसी सेंसबल बात की उम्मीद करना ही बेमानी है।
वरुण गाधी ने मोर्चा खोला
कंगना के बयान पर बवाल होना था सो हुआ। सबसे पहले मुखर विरोध सामने आया बीजेपी में ही हाशिए पर पड़े सांसद वरुण गाधी का। वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा कि, कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूँ या फिर देशद्रोह?
कांग्रेस ने मोर्चा संभाला
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. उदित राज ने ट्वीट कर कहा कि, मोदी सरकार ने मानसिक बीमार कंगना रनौत को पद्मश्री देकर संविधान, जनतंत्र और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। पद्मश्री छीनकर इस पागल को गिरफ़्तार किया जाए। उन्होंने आगे लिखा कि, भाजपा प्रचारक पदमश्री कंगना रनौत ने कहा कि आजादी 2014 मे मिली। आरएसएस ने 11 दिसम्बर 1948 को संविधान व डॉ. अंबेडकर का पुतला जलाया था। ये दलित, आदिवासी, पिछड़े एवं महिलाओं की आजादी को मानते ही नही।
सोशल मीडिया पर थू-थू
कंगना रनौत के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जम कर थू-थू हुई। लोगों ने कहा कि कंगना हजारों कुर्बानियों को भीख बता रही हैं। कई लोगों ने यूपीए शासन काल के दौरान उन्हें दिए गए नेशनल अवॉर्ड को उनके द्वारा स्वीकार किए जाने पर भी सवाल खड़े किए। एक यूजर ने कहा कि अगर आजादी भीख थी तो आपने वो नेशनल अवॉर्ड क्यों लिया। एक यूजर ने उन्हें झांसे की रानी का भी खिताब दिया। वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा कि कंगना खुद लकड़ी के घोड़े पर सवार होकर प्लास्टिक की तलवार लेकर वीरांगना बनती हैं। प्रसिद्ध पत्रकार नवीन कुमार ने कंगना रनौत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने ट्वीट में कहा कि, ये केवल पागलपन और देशद्रोह नहीं है। आइडिया ऑफ इंडिया से नफरत है। लोकतंत्र और संविधान से गद्दारी है। मानवता और बंधुत्व के सिद्धांतो को कुचल कर अपने आपको देश से ऊपर समझ बैठने की इस पतित सोच ने हर उस उस भारतीय के हृदय को रौंदा है जिसकी नस्लें 1947 से गा रही हैं विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया