लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का मामला एक सोची समझी साजिश का हिस्सा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाई गई एसआईटी ने अपनी शुरुवाती जांच में ये निष्कर्ष निकाला है। एसआईटी ने अदालत को बताया है कि लखीमपुर खीरी में हिंसा एक गहरी साजिश का नतीजा थी।
हादसा नहीं साजिश
लखीमपुर खीरी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखे पत्र में एसआईटी ने कहा है कि, अब तक की गई जांच और मिले सबूतों से ये प्रमाणित हुआ है कि अभियुक्त द्वारा उक्त आपराधिक कृत्य को लापरवाही एवं उपेक्षा से नहीं बल्कि जानबूझ कर पूर्व से सुनियोजित योजना के अनुसार जान से मारने की नीयत से किया गया है जिससे पांच लोगों की मृत्यु हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए। एसआईटी ने इस मामले में आशीष मिश्र सहित सभी अभियुक्तों पर भारतीय दंड संहिता की नई और गंभीर धाराएं लगाने का सुझाव दिया है।
इन धाराओं में, लापरवाही से गाड़ी चलाने की वजह से चोट लगना, धारा 307 (इरादतन हत्या का मामला), धारा 326 (हत्या के इरादे से हथियार या उपकरण से चोट पहुंचाने) और आर्म्स एक्ट जैसी धाराएं शामिल हैं।
आपको बता दें कि, पिछली तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर ज़िले के तिकुनिया क़स्बे में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे किसानों पर बीजेपी सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा से जुड़े लोगों ने गाड़ियां चढ़ा दी थीं।
इस घटना में चार किसानों की कारों से कुचलने से मौत हुई थी। एक पत्रकार की भी कार से कुचलने से मौत हुई थी जबकि मौक़े पर मौजूद भीड़ ने कारों में सवार तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। कुल आठ लोग इस हिंसा में मारे गए थे। इस मामले में अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्र और 12 अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया गया है।
तूल पकड़ने पर मामले की जांच के लिए यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की देखरेख में एक कमेटी गठित कर दी थी लेकिन कमेटी की जांच और पुलिस की सुस्त कार्रवाई से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रिटाटर्ड जज की निगरानी मे एक कमेटी गठित करके मामले की जांच का आदेश दिया था।
इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे की संलिप्तता सामने आने के कारण विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अजय मिश्र टेनी को मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग की लेकिन अजय मिश्रा अभी भी मंत्री पद पर बरकरार हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश के कई सरकारी आयोजनो में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंच पर भी देखा गया। एसआईटी की इस रिपोर्ट के बाद सरकार पर अजय मिश्रा टेनी को मंत्री पद से हटाने के लिए दबाव बढ़ जाएगा।
विपक्ष हमलावर
एसआईटी के रिपोर्ट के शुरुवाती निष्कर्षों के बाद लखीमपुर में हुई हिंसा को लेकर विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमलावर हो गए हैं। विपक्षी दलों ने बीजेपी और उसके केंद्रीय नेतृत्व को आड़े हाथों लिया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए ट्विटर पर लिखा है कि, मोदी जी, फिर से माफ़ी मांगने का टाइम आ गया। लेकिन पहले अभियुक्त के पिता को मंत्री पद से हटाओ। सच सामने है !
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट करते हुए सवाल उठाया कि, न्यायालय की फटकार व सत्याग्रह के चलते अब पुलिस का भी कहना है कि गृह राज्य मंत्री के बेटे ने साजिश करके किसानों को कुचला था। जांच होनी चाहिए कि इस साजिश में गृह राज्य मंत्री की क्या भूमिका थी ? लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, किसान विरोधी मानसिकता के चलते आपने तो उन्हें पद से भी नहीं हटाया है।
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी एसआईटी जांच के शुरुवाती निष्कर्षों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि, सारा देश जानता है कि इस कांड के पीछे कौन था और कौन है लेकिन सरकार ने उसे जानबूझ कर अनदेखा किया। सच सामने है और फैसला लेना होगा।
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