न्यूज़ डेस्क (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली : देश में पिछले कुछ दिनों से लगातार कोरोना संक्रमण के रोजाना ताजे मामले 70 हजार के आसपास बने हुए है। अर्थव्यवस्था और आजीविका पर संकट को देखते हुए ज्यादतर राज्यों में अनल़ॉक की प्रकिया भी चल रही है। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने चेताया है कि कोरोना को लेकर जरा सी लापरवाही बहुत भारी पड़ सकती है। दूसरी लहर में देश ने जो कुछ झेला और देखा है उसे देखते हुए तीसरी लहर को लेकर भी आशंकाएं बनी हुई हैं। वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना फिलहाल कहीं भी जाने वाला नहीं है और इसके अलग-अलग वैरियंट लोगों के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं।
वैक्सीन को लेकर कई तरह के विवाद चल रहे हैं। कहीं सवाल उपलब्धता का है तो कहीं उसके दामों और गुणवत्ता का है। तमाम किंतु-परंतु के बीच सबसे बड़ा सवाल लोगों की जान को सुरक्षित रखने का है। इस बीच मेडिकल जर्नल लांसेट ने भारत को इस बीमारी से उबरने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। लांसेट का ये भी मानना है कि भारत में गांव-गांव तक फैल चुकी इस बीमारी की दूसरी वेव बहुत भयावह थी और इसने देश में स्वास्थ्य इमरजेंसी जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। लांसेट में प्रकाशित इन सुझावों को स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम ने तैयार किया जिसमें भारत के विख्यात सर्जन डॉ. देवी शेट्टी भी शामिल हैं।
गणतंत्र भारत ने लांसेट के दिए सुझावों का अध्ययन किया और उन्हें श्रेणीबद्ध किया है।
स्वास्थ्य सेवाओं का विकेंद्रीकरण
लांसेट ने पहला सुझाव दिया है, जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के विकेंद्रीकरण का। सुझाव के अनुसार, जिला-स्तर पर ऐसे कार्यसमूह बनाने चाहिए जो स्थानीय स्तर पर हालात को देखने हुए कदम उठाने के लिए अधिकृत हों। उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम और स्वायत्त बनाने की जरूरत है ताकि वे अपने अधीन स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवस्था को दुरुस्त कर सकें।
पारदर्शी नीति
दूसरा सुझाव कोरोना को लेकर पारदर्शी नीति बनाने को लेकर है। जर्नल के अनुसार, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन, जरूरी दवाइयां, हॉस्पिटल केयर जैसी सभी जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक पारदर्शी नेशनल प्राइसिंग पॉलिसी होनी चाहिए। अस्पताल खर्च किसी को अपनी जेब से ना भरना पड़े और सभी खर्चे हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम में कवर होने चाहिए।
साक्ष्य के साथ जागरूकता
लैंसेट के अनुसार, कोरोना प्रबंधन के बारे में साक्ष्य-आधारित जानकारी को और ज्यादा प्रसारित और लागू करना होगा। होम केयर और इलाज, प्राथमिक देखभाल और जिला अस्पतालों में देखभाल के लिए गाइडलाइन को स्थानीय भाषा में देने का सुझाव दिया गया है। लांसेट ने सुझाव दिया है कि लोगों को कोरोना बाद की बीमारियों जैसे ब्लैक फंगस संक्रमण के बारे में भी जागरूक करना होगा। केंद्र सरकार योग जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धति के सही इस्तेमाल के बारे में भी गाइडलाइन जारी कर सकती है।
निजी क्षेत्र का सहयोग और वैक्सीन नीति
लांसेट के सुझावों के अनुसार, कोरोना से निपटने के लिए निजी क्षेत्र समेत स्वास्थ्य सेवा से जुड़े सभी क्षेक्षों में उपलब्ध कार्यबल का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही ये ध्यान रखे जाने की जरूरत है कि उनके पास संसाधनों की कमी ना हो। लांसेट ने ये भी सुझाव दिया है कि कोरोना वैक्सीन खरीदने और उसके वितरण के लिए एक केद्रीकृत व्यवस्था होनी चाहिए। राज्य सरकारों को ये तय करने का आधिकार होना चाहिए कि उपलब्ध वैक्सीन डोज के सही इस्तेमाल के लिए वो किस आयु समूह को प्राथमिकता देना चाहती है।
सामाजिक भागीदारी और आंकड़ों की सही जानकारी
कोरोना प्रबंधन में जन भागीदारी एक महत्वपूर्ण पक्ष है। लांसेट के सुझाव के अनुसार, कोरोना से निपटने और उबरने में समाज की भागीदारी एक जरूरी पक्ष है। सरकार को इस दिशा में कदम उठाने होंगे इस मामले में जनता और स्थानीय स्तर पर मौजूद संगठनों के सहयोग को प्रोत्साहित करना होगा। इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण सुझाव कोरोना के आंकड़ों से जुड़ा है। लांसेट के अनुसार, सरकार के डेटा कलेक्शन और मॉडलिंग में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि आने वाले हफ्तों में केसलोड के अनुमान के हिसाब से स्थानीय प्रशासन खुद को तैयार कर सके।
खाते में नकद सहायता
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, लगातार सरकार से आग्रह करते रहे हैं कि कोरोना के मौजूदा संकट को देखते हुए गरीबों के खाते में सीधे पैसे भेजे जाने चाहिए। लेकिन अब लांसेट ने भी सरकार को सुझाव दिया है कि आजीविका छिन जाने की वजह से स्वास्थ्य को होने वाले खतरे को करने के लिए असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के खाते में सीधे पैसे भेजे जाने चाहिए। साथ ही ये भी सुझाव दिया गया कि लॉकडाउन के चलते संगठित क्षेत्र भी अगर लोगों को नौकरी से हटाते हैं तो उन्हें इसके बारे में पहले से सूचना दी जाए और अचानक किसी का रोजगार ना छीना जाए।
फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया