नई दिल्ली, 03 अगस्त (गणंतत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : अगर खरीद –बिक्री के बीच आपका पाला 2000 रुपए के नोट से पड़ रहा है तो सावधान हो जाइए। उसे ढंग से देखिए और हो सके तो उसे मत लीजिए। देश में इस समय बाजार में दोगुने से ज्यादा 2000 के नकली नोट चलन में हैं। इसका सीधा सा मतलब ये भी हुआ कि देश में नोटबंदी के बावजूद जाली मुद्रा का कारोबार खूब धड़ल्ले से चल रहा है।
एक सवाल के जवाब में लोकसभा में सरकार ने जो लिखित बयान दिया है उससे इस बात की जानकारी मिली है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया है कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच 2000 रुपए के नकली नोटों की संख्या में 107 गुना वृद्धि हुई है, य़ानी बाजार में दोगुने से भी ज्यादा नकली 2000 के नोट घूम रहे हैं।
पंकज चौधरी ने अपने जवाब में बताया कि 2016 में 2000 रुपए के 2272 जाली नोट पकड़े गए थे जबकि 2017 में 74898, 2018 में 54,776, 2019 में 90,566 और 2020 में 24,4834 जाली नोट जब्त किए गए हैं।
अगर इन आंकडों का विश्लेषण किया जाए तो स्पष्ट है कि, 2018 को छोड़ दें तो 2016 के बाद से 2000 के नकली नोटों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2019 और 2020 के बीच, 2000 रुपए मूल्यवर्ग के नकली नोटों की संख्या में 170 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
चिंताजनक बात ये हैं कि, हमारे देश की बैंकिंग प्रणाली में नकली नोटों का पता लगाने की संख्या में कमी आई है। राज्यमंत्री ने कहा कि, बैकिंग प्रणाली में पहचाने गए ऐसे नोटों की संख्या में वर्ष 2018 -19 से 2020-21 तक कमी देखी गई। 2021- 22 में इनकी संख्या 13604 थी जो प्रचलन में मौजूद 2000 रुपए के बैंक नोटों की कुल संख्या का 0.000635 प्रतिशत है।
राज्य मंत्री, पंकज चौधरी ने कहा कि, भारतीय मुद्रा के जाली नोटों (एफआईसीएन) का प्रसार रोकने के लिए सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का गठन किया और एफआईसीएन समन्वय समूह (एफसीओआरडी) का गठन किया है। इनका काम केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी और सूचना को साझा करना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एनआईए के भीतर आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा (टीएफएफसी) इकाई का भी गठन किया है ताकि आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा की गहनता से जांच की जा सके।
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