देवबंद (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : जमीयत उलेमा ए हिंद- मदनी गुट के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि, आज मुसलमान अपने ही मुल्क में अजनबी बन कर रह गए हैं और उनका चलना तक मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि हम हर जुल्म सह लेंगे लेकिन वतन पर आंच नहीं आने देंगे।
देवबंद में जमीयत के दो दिनों के जलसे का आगाज़ शनिवार को हुआ। इस जलसे में सैकड़ों इस्लामिक विद्वान हिस्सा ले रहे हैं। जलसे में देश के मौजूदा हालात और ज्ञानवापी समेत विभिन्न धार्मिक स्थलों को लेकर बढ़ रहे विवाद, कॉमन सिविल कोड और मुस्लिमों की शिक्षा आदि पर विशेष चर्चा हो रही है।
मौलाना मदनी ने अपने भाषण में सामाजिक एकता पर जोर दिया लेकिन साथ ही मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर जारी विवाद पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि देश के अंदर नफरत के पुजारी बढ़ गए हैं।
अपने भाषण के दौरान कई मौके ऐसे आए जब मौलाना मदनी भावुक नजर आए। उन्होंने अपने भाषण के दौरान एक शेर पढ़ा, जो घर को कर गए खाली वो मेहमां याद आते हैं। शेर पढ़ते के बाद मौलाना मदनी ने रुंधे गले से कहा कि सब ऐसे मुश्किल हालात में हैं कि इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि, जमीयत उलेमा का ये फैसला है कि हम दुखों को सह लेंगे, लेकिन अपने मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे। जमीयत का ये फैसला कमजोरी की वजह से नहीं, बल्कि हमारी ताकत की वजह से है।
मीडिया पर सवाल
जमीयत उलेमा ए हिंद के नेशनल सेक्रेटरी मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने इस मौके पर मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने इस्लामोफोबिया बढ़ाने में मीडिया की भूमिका को दागदार बताते हुए कहा कि, देश का मुख्य मीडिया लोगों को उकसाने और भड़काने का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। देश के मुस्लिम नागरिकों, पुराने जमाने के मुस्लिम शासकों और इस्लामी सभ्यता व संस्कृति के खिलाफ निराधार आरोपों को जोरों से फैलाया जा रहा है और सत्ता में बैठे लोग उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के बजाय उन्हें आजाद छोड़ कर और उनका पक्ष लेकर उनके हौसले बढ़ा रहे है।
मौलाना फारूकी ने कहा कि, आज हमारा देश धार्मिक बैर भाव और नफरत की आग में जल रहा है। चाहे वो किसी का पहनावा हो, खान-पान हो, आस्था हो, किसी का त्योहार हो, बोली हो या रोजगार, देशवासियों को एक दूसरे के खिलाफ़ उकसाने और खड़ा करने के दुष्प्रयास हो रहे हैं।
सद्भावना संसद का आयोजन
मौलाना फारूकी ने बताया कि, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द दुर्भावना फैलाने वाले व्यक्तियों और समूहों के दुष्प्रभाव का निवारण करने के लिए देश भर में 10,000 से अधिक स्थानों पर सद्भावना संसद आयोजित करेगा जिसमें सभी धर्मों के प्रभावशाली लोगों को आमंत्रित किया जाएगा।
आम जनता को निमंत्रण नहीं
दो दिनों तक चलने वाले जमीयत के इस जलसे में देश के 25 राज्यों के करीब 2000 मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। जलसे में आम जनता को निमंत्रण नहीं दिया गया है। खास बात ये है कि इस जलसे में पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री सिद्दिकी उल्लाह चौधरी और दारुल उलूम के मोहतमिम अबुल कासमी नौमानी भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यहां सुरक्षा के तगड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
फोटो सौजन्य –सोशल मीडिया