लखनऊ ( गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र ) : उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य़ विभाग में तबादलों को लेकर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और अतिरिक्त मुख्य सचिव ( एसीएस) अमित मोहन प्रसाद के बीच तल्खी बढ़ गई है। उप मुख्य़मंत्री के पास स्वास्थ्य़ मंत्रालय भी है जबकि अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव का दायित्व भी संभाल रहे हैं।
ताजा विवाद तब सामने आया जब 4 जुलाई को लिखा गया उप मुख्यमंत्री का एक पत्र मीडिया में लीक हुआ जिसमें उन्होंने अमित मोहन प्रसाद से स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों का ब्यौरा मांगते हुए कहा था कि इन तबादलों में राज्य की तबादला नीति का पालन उचित तरीके से नहीं किया गया है। उन्होंने पत्र में पूछा है कि वे बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक के सिलसिले में हैदराबाद में थे और उनकी अनुपस्थिति में ये तबादले क्यों किए गए। ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में जो भी तबादले किए गए उन सबकी विस्तार से कारण सहित जानकारी तलब की है।
ब्रजेश पाठक ने अपने पत्र में कई विषयों पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने लिखा है कि जो बातें समाने आई हैं उनके हिसाब से राज्य की राजधानी लखनऊ तक में कई जगहों से विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला कर दिया गया है और उनकी जगह पर या तो कम अनुभवी डॉक्टरों की तैनाती हुई है या फिर वो जगह रिक्त रखी गई है। लखनऊ जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत है वहां ऐसा क्यों किया गय़ा ये समझ से परे है।
उप मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में ये जानकारी भी मांगी है जिन महत्वपूर्ण स्थानों से विशेषज्ञ डॉक्टरों के तबादले किए गए हैं वहां कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए क्या वैकल्पिक बंदोबस्त किया गया है।
उप मुख्यमंत्री के पत्र के जवाब में अमित मोहन प्रसाद ने स्पष्ट किया है कि स्वास्थ्य विभाग में जो भी तबादले किए गए हैं वे राज्य की तबादला नीति और 30 जून की समय सीमा को ध्यान मे रखते ङुए किए गए है और इसमें निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया गया है।
आपको बता दें कि, ब्रजेश पाठक ने योगी आदित्य नाथ सरकार के पहले कार्यकाल में कोविड महामारी के दौर में राज्य के स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए थे। उस समय वे राज्य सरकार में कानून मंत्री थे औरर अमित मोहन प्रसाद तब राज्य में कोविड महामारी के नियंत्रण प्रकोष्ठ के सर्वेसर्वा थे।
तबादला नीति को लेकर मंत्रियो मे क्यों है असंतोष
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ की सरकार ने राज्य की तबादला नीति के तहत कई तरह के नियम बनाए हैं। तबादलों के लिए समयसीमा भी तय की गई है। नई तबादला नीति को पारदर्शी बनाने के लिए एक जिले में तैनाती की अवधि की समयसीमा से लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं। तबादले के कारणो का जिक्र भी जरूरी कर दिया गया है। यहां तक कि पार्टी संगठन की तरफ से आने वाली सिफारिशो को भी तबादले के साथ औपचारिक रूप से नत्थी करने की हिदायद दी गई है। इन कारणों से कई मंत्रियों और अफसरों को अपने चहेतों को मनमाफिक जगह पर पोस्टिंग दिलाने में दिक्कत आ रही है।
कई विभागों में मंत्रियों को उनके मनमाफिक सचिव नहीं दिए गए है। ऐसे विभागों में मंत्री और सचिव के बीच लगातार रस्साकशी चलती रहती है। मह्त्वपूर्ण मामलों में मुख्यमंत्री सचिवालय का पेंच अलग से है।
देखने की बात ये होगी, अपनी कार्यशैली से जनता के बीच अपनी खास जगह बना चुके उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और उनके अपने ही विभाग के शीर्ष नौकरशाह के बीच इस रस्साकशी में किसकी चलती है और कौन चुप्पी साध लेता है ?
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया