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मंकीपॉक्स का नया वैरियंट भारत में, क्यों जरूरी है एहतियात….?

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) :  देश में मंकीपॉक्स संक्रमण के ताजा मामले की पुष्टि हो गई है। यह केस वायरस के वेस्ट अफ्रीकी क्लेड-2 रूप का है। यह भारत में पहले भी फैल चुका है। ताजा केस  मिलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से सतर्क रहने और इसके प्रसार को रोकने के लिए चौकस रहने को कहा है। मंत्रालय के मुताबिक, एक भारतीय युवक ने हाल में ही मंकीपॉक्स प्रभावित एक देश की यात्रा की थी। भारत वापसी पर उसे संदिग्ध पाए जाने के बाद इस बाबत निर्धारित एक अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया है। उसके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। जांच में उसके संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, लेकिन मंकीपॉक्स का यह रूप ताजा हेल्थ इमरजेंसी वाले क्लेड-1 का नहीं है। युवक के संपर्क में आए लोगों का पता लगाया जा रहा है।

सभी एयरपोर्ट्स को किया अलर्ट

केंद्र ने राज्यों को अलर्ट करने के साथ ही सभी एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों पर चौकसी बरतने का निर्देश दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने सोमवार को राज्यों को भेजे एक पत्र में कहा है कि वह मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों को पहचानने के इंतजाम करने के साथ ही इसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी व्यवस्था करें और इस बाबत लोगों को जागरूक करने के भी इंतजाम किए जाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसी साल 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित करते हुए सभी देशों से चौकस रहने को कहा था। इस समय क्लेड-1 फैल रहा है।

पहुंच चुका है पड़ोस में 

गौरतलब है दुनिया के कई देशों में फैलने के बाद मंकीपॉक्स पिछले महीने पाकिस्तान पहुंच गया था। वहां खैबर पख्तूनवा में तब इसके तीन केस सामने आए थे। भारत में इसका पहला केस 2022 में दर्ज किया गया था और तब से यहां इसके 30 मामले (क्लेड-2 के) सामने आ चुके हैं। देश में इस साल मार्च के बाद इसका कोई नया केस सामने नहीं आया था।

116 देशों में मंकीपॉक्स 

WHO ने दूसरी बार मंकीपॉक्स के फैलाव को हेल्थ इमरजेंसी करार दिया है। पहली बार, इसे तब हेल्थ इमरजेंसी करार दिया गया था, जब कांगो और आसपास के देशों में यह फैला था। WHO का कहना है कि 2022 से 2023 तक इस वायरस के कारण 116 देशों में करीब एक लाख लोग संक्रमित हुए और 208 लोगों की जान गई। अभी इसके एक नए क्लेड-1 के कारण संक्रमण फैल रहा है। इस साल दुनिया में इसके अब तक करीब 17 हजार केस सामने आ चुके हैं और इसके कारण 540 लोगों की जान जा चुकी है।

कैसे फैलता है 

इस वायरस का पता पहली बार लैब में रखे बंदरों में 1958 में चला था। यह जानवरों से इंसान में फैला है। इंसानों में यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, खासकर शारीरिक संबंधों के कारण। इसके संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द के साथ ही शरीर पर दाने या फफोले निकल जाते हैं। इसका लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। अगर समय से और सही इलाज नहीं किया जाए तो रोगी की जान भी जा सकती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं में इसका संक्रमण घातक भी साबित हो सकता है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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