नई दिल्ली, 8 अगस्त (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) देश की शीर्ष वैज्ञानिक संस्था- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की कमान करीब 80 साल बाद पहली बार किसी महिला को सौंपी गई है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले ये नारी शक्ति का बड़ा सम्मान है, जो उसे अपनी काबिलियत से हासिल हुआ है। लिथियम आयन बैटरियों की तकनीक में महारत रखने वाली डॉ. नल्लाथंबी कलाईसेल्वी को सरकार ने परिषद का 26वां महानिदेशक नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति दो साल के लिए की गई है। वह डॉ. शेखर मांडे का स्थान लेंगी और सीएसआईआर की 37 लैब्स का कामकाज देखेंगी। इस परिषद के पहले महानिदेशक जानेमाने वैज्ञानिक डॉ. शांतिस्वरूप भटनागर थे। उन्होंने 1942 से 1954 तक देश की इस प्रमुख वैज्ञानिक संस्था का संभाला।
डॉ. नल्लाथंबी मूल रूप से तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के एक छोटे से कस्बे अंबासमुद्रम की रहने वाली हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई तमिल माध्यम के एक स्कूल से हुए थी। एक छोटे से कस्बे से अब तक उन्होंने लंबा और कामयाब सफर तय किया है। उन्होंने 25 वर्ष तक इलेक्ट्रोकेमिकल पावर सिस्टम पर रिसर्च की और कई नई खोजें कीं। उनके इन्हीं कामों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उन्हें अब एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। अपने नए सफर में उन्हें एक ऐसे वैज्ञानिक संस्थान की अगुवाई करनी है जो विभिन्न क्षेत्रों में शोध का काम करता है। उन्हें अपनी सभी 37 प्रयोगशालाओं के साथ तालमेल बिठाते हुए नए अनुसंधानों का रास्ता साफ करना है।
सीएसआईआर की स्थापना 1942 में की गई थी। इसका मकसद देश में वैज्ञानिक अनुसंधान का माहौल तैयार करना और युवा पीढ़ी में इसके लिए रुझान पैदा करना था। इसी का नतीजा है कि आज ये संस्थान हल्के यात्री हवाई जहाज के विकास से लेकर समुद्र विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि, दवाओं और रसायन इंजीनियरिंग जैसे कई क्षेत्रों में रिसर्च कर रहा है।
कोविड काल में इसने कोरोना से निपटने के लिए कई तकनीकों का विकास किया। इससे फिलहाल करीब 3500 वैज्ञानिक और चार हजार से ज्यादा तकनीकी कर्मचारी जुड़े हुए हैं। इसके 1132 शोध को अब तक पेटेंट हासिल हो चुका है।
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