नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : जलवायु परिवर्तन पर ग्लास्गो शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के देशों के सामने भारत की स्थिति और दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को 2070 तक हासिल कर पाएगा। प्रधानमंत्री ने इस दौरान दुनिया के विकसित देशों से आग्रह किया कि जलवायु परिवर्तन को लेकर उन्होंने पेरिस घोषणापत्र में जो प्रतिबद्धताएं जाहिर की थीं, उसे पूरा करें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मेलन में जितना समय बोलने के लिए आवंटित किया गया था वे उससे ज्यादा बोले लेकिन उन्होंने बहुत ही मजबूती से भारत समेत दुनिया के तमाम विकासशील देशों की चिंताओं को जाहिर किया। उन्होंने कहा कि भारत 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को नेट जीरो करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा। हालांकि इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले देशों से अपेक्षा की गई थी कि वे 2050 तक इस लक्ष्य को हासिल करें। इसके बावजूद, सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री के इस संकल्प को बड़ी घोषणा माना जा रहा है क्योंकि भारत ने पहली बार नेट ज़ीरो के लक्ष्य को लेकर कोई निश्चित बात की है। नेट ज़ीरो का मतलब है कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को पूरी तरह से ख़त्म कर देना जिससे कि धरती के वायुमंडल को गर्म करने वाली ग्रीनहाउस गैसों में इस वजह से और वृद्धि नहीं हो सके।
भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है, पहले नंबर पर चीन है, फिर अमेरिका, भारत तीसरे नंबर पर आता है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि, भारत में दुनिया की 17 फीसदी आबादी है लेकिन जहां तक कार्बन उत्सर्जन का सवाल है भारत से 5 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने खुद के लिए लक्ष्य रखा है कि वो 2030 तक कम से कम 50 फीसदी ऊर्जा जरूरतों को नवीकृत उर्जा संसाधनों से पूरा करेगा। आपको बता दें भारत अभी भी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए 70 प्रतिशत कोयले पर निर्भर करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, अपनी जनसंख्या के हिसाब से भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दुनिया के अमीर देशों के मुक़ाबले काफ़ी कम है। 2019 में भारत ने प्रति व्यक्ति 1.9 टन उत्सर्जन किया, वहीं इसी वर्ष अमेरिका के लिए ये आंकड़ा 15.5 टन और रूस के लिए 12.5 टन था। चीन ने वर्ष 2060 तक नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने का एलान कर रखा है जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ इसे 2050 तक हासिल कर लेना चाहते हैं।
जलवायु परिवर्तन पर मोदी का पंचामृत’ मंत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के 120 देशों के नेताओं के सामने जलवायु परिवर्तन के मसले को लोगो की जीवन शैली से जोड़ा और कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए दुनिया को एक नई दृष्टि और नई सोच की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर पांच ऐसे बिंदुओं की स्पष्ट किया जो जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में कारगर साबित हो सकते हैं। इसे उन्होंने पंचामृत नाम दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, मैं भारत की ओर से, इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं और पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं।
पहला, भारत, 2030 तक अपनी जीवाश्म रहित ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा।
दूसरा, भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा ज़रूरतें, रीन्यूएबल एनर्जी से पूरी करेगा।
तीसरा, भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा।
चौथा, 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा।
पांचवां, 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।
विकसित देश अपनी प्रतिबद्धताएं निभाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जलवायु परिवर्तन के प्रश्न पर विकसित देशों को आडे हाथों लिया। उन्होंने याद दिलाया की पेरिस में 2015 में जो संकल्प लिए गए थे उनके तहत उन देशों को कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए विकासशील देशों को प्रतिवर्ष 100 बिलियन डॉलर की मदद दी जानी थी। ये मदद 2020 से शुरू होनी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि, विकसित देश अपना वादा पूरा करें।
आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने खुद को इस प्रतिबद्धता से बाहर कर लिया था लेकिन जो बाइडन ने वापस इस संकल्प के साथ जुड़ने का फैसला किया।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया