नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए जे.पी. सिंह):
नई दिल्ली: अगर कोई आपसे पूछे कि भिंडी किस रंग की होती है तो आपका जवाब होगा हरी। लेकिन अगर हम आपको बताएं कि हरे रंग की भिंडी के साथ-साथ अब लाल रंग की भिंडी भी बाजार में आ गई है तो शायद आपको यकीन न हो। लेकिन ये बिल्कुल सच है। लाल रंग की ये भिंडी, काशी लालिमा प्रजाति की है और खाने में बेहद स्वादिष्ट और स्वाद में लाजवाब है। साथ ही यह हरी भिंडी की तुलना में काफी पौष्टिक भी है। यह लाल भिंडी कई रोगों से लड़ने में भी कारगर साबित होती है। इतने गुणों वाली इस लाल भिंडी की खोज वाऱाणसी में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान यानि आईवीएआर ने की है। लाल भिंडी की काशी ललिमा प्रजाति को विकसित करने में आईआईबीआर के कृषि वैज्ञानिकों ने 23 साल मेहनत और शोध किया है तब जाकर इस भिंडी को विकसित किया गया है।
औषधि गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर
दरअसल काशी लालिमा का विकास छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के यहां उगाए जाने वाली लोकल लाल भिंडी की फसल से हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस काशी लालिमा प्रजाति की भिंडी को विकसित करने में सलेक्शन मेथड का इस्तेमाल किया है। संस्थान के अनुसार लाल भिंडी को विकसित करने के लिए साल 1995-96 से ही इस पर काम शुरू हो गया था। लेकिन अब जाकर इसमें सफलता मिली है। इस लाल प्रजाति की भिंडी में दूसरी हरे रंग की भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनइन की मात्रा ज्यादा होती है जिसकी वजह से यह लाल रंग की होती है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों की माने तो दूसरी प्रजाति की भिंडी के तुलना में इसमें कैल्शियम, आयरन और विटामिन ए की मात्रा ज्यादा होती है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। मगर इस भिंडी को सामान्य भिंडी की तरह उगाना भी आसान होता है। इसमें लागत भी सामान्य भिंडी की तरह ही आती है। इस लाल रंग की भिंडी को खाने से मनुष्य के शरीर में एंटी आक्सीडेंट क्रियाविधि बढ़ती है। इसकी वजह से कृषि वैज्ञानिक इसको खाने के साथ-साथ सलाद के रूप में इस्तेमाल करने की सलाह भी देते हैं।
मोटापा और शुगर बीमारी के लिए रामबाण
कई गुणों से भरपूर यह भिंडी बहुत ही लाभकारी है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए जिनमें फोलिक एसिड के कमी के चलते उनके बच्चों के मानसिक विकास में कमी आ जाती है। ऐसी महिलाओँ के लिए लाल भिंडी रामबाण है क्योंकि इस लाल भिंडी में फोलिक एसिड की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। इतना ही नहीं इस भिंडी में पाए जाने वाले गुणकारी तत्व लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों को भी नियंत्रित करने में सहायता करते हैं।
किसानों को मिलेगा लाल भिंडी से दोगुना लाभ
संस्थान के कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि यह भिंडी खाने में हरी भिंडी की तरह ही होती है और इतने गुणों वाली भिंडी को बेचकर किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि लाल भिंडी की पैदावार प्रति हेक्टेयर लगभग 130 कुंटल से लेकर 140 कुंटल तक प्राप्त की जा सकती है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक लाल भिंडी की इस किस्म की पैदावार बढ़ाने के लिए शोध भी कर रहे हैं। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित लाल रंग की काशी लालिमा प्रजाति की भिंडी की अगर किसान खेती करते हैं तो उनको सामान्य भिंडी की तुलना में डेढ़ से दोगुना ज्यादा मुनाफा होगा क्योंकि इस भिंडी की बुवाई से लेकर इसके प्रबंधन तक का लागत खर्च सामान्य भिंडी के समान ही आता है। मगर बाजार में इसके गुणों को देखते हुए इसका ज्यादा मूल्य मिलता है। इसलिए किसान इस भिंडी की खेती कर सामान्य भिंडी की तुलना में ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकते हैं। इसलिए इस भिंडी के बीज संस्थान किसानों को उपलब्ध करवा रहा है जिससे इसकी खेती कर किसान अधिक से अधिक लाभ कमा सकें।
अपने देश में हरी भिंडी की खेती ज्यादा होती है और लाल रंग की भिंडी पश्चिमी देशों में ज्यादातर देखने को मिलती है। भारत भी वहीं से उसका आयात किया जाता है। लाल भिंडी को लोग 100 रुपए से लेकर 500 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदते हैं। लेकिन अब काशी लालिमा प्रजाति की भिंडी विकसित हो जाने के बाद इसे अब दूसरों देशों से आयात नहीं करना पड़ेगा। देश में ही किसान इस लाल भिंडी का बंपर उत्पादन कर सकेंगे और अपने देश की मांग की पूर्ति के साथ-साथ इसे दूसरों देशों को निर्यात कर बंपर कमाई भी कर सकेंगे।