नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क) : रफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले फ्रांसीसी पोर्टल मीडिया पार्ट ने एक नई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी देसॉ ने कॉन्ट्रैक्ट को सुरक्षित करने के लिए लगभग 65 करोड़ रुपए का भुगतान किया और इससे जुड़े डॉक्यूमेंट्स होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने इसकी जांच नहीं की। मीडिया पार्ट के इस रहस्योद्घाटन के बाद रफेल मामले में मोदी सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती है।
मीडिया पार्ट ने रविवार, सात नवंबर को कथित नकली इनवॉइस प्रकाशित किया और दावा किया कि इसकी मदद से देसॉ एविएशन ने एक बिचौलिए, सुशेन गुप्ता को कम से कम 7.5 मिलियन यूरो (लगभग 65 करोड़ रुपए ) का भुगतान किया ताकि उसे 36 राफेल फाइटर प्लेन बेचने के लिए भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपयों की डील हासिल हो सके।
सबूत के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने जांच नहीं की
पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, इन दस्तावेजों के होने के बावजूद, भारतीय एजेसियों ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया और जांच शुरू नहीं की। मीडियापार्ट की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास अक्टूबर 2018 से सबूत हैं कि देसॉ ने राफेल जेट के कॉन्ट्रैक्ट को सुरक्षित करने के लिए सुशेन गुप्ता को रिश्वत दी थी।
मीडिया पार्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सबूत गोपनीय डॉक्यूमेंट्स में मौजूद है और ये दो एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति से जुड़े घोटाले के मामले में सामने आए हैं।
आपको बता दें कि, सुशेन गुप्ता को इससे पहले अगस्ता वेस्टलैंड डील में ही कथित रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सुशेन गुप्ता पर अगस्ता वेस्टलैंड से मॉरीशस स्थित इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज में रजिस्टर्ड एक शेल कंपनी के माध्यम से रिश्वत लेने का आरोप है। मॉरीशस के अधिकारियों ने जांच की सुविधा के लिए कंपनी से संबंधित दस्तावेज सीबीआई और ईडी को भेजने पर सहमति व्यक्त की है।
मोदी सरकार के साथ-साथ, अदालती क्लीन चिट पर सवाल
रफेल विमानों की महंगी खरीद को लेकर पहले काफी हंगामा हो चुका है। पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इन विमानों की खरीद में घूसखोरी का आरोप लगाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। अदालती सुनवाई के बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस मामले में सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होने के बाद राज्यसभा सदस्य बना दिए गए।
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