नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र):
सरकार ने सोशल मीडिया के बारे में जो अपनी नई गाइडलाइन जारी की है उसके तहत न्यूज पोर्टल्स को जल्द ही अपने संपादकीय प्रमुख, स्वामित्त्व, पता और नामित अधिकारी और अन्य संबंधित जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को उपलब्ध करानी होगी। सरकार ने ऑनलाइन न्यूज मीडिया परिदृश्य के बारे में एक खाका तैयार किया है। नए दिशानिर्देशों के तहत डिजिटल न्यूज आउटलेट को केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड और भारतीय प्रेस परिषद पत्रकारिता संहिता के नियमों का पालन करना होगा जो व्यापक तौर पर टीवी और प्रिंट मीडिया के कंटेंट पर निगरानी रखती है। इसी तरह से डिजिटल मीडिया पर निगरानी के लिए सरकार एक समिति बनाएगी।
क्या हैं नए दिशा निर्देश ?
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइंडलाइंस ) नियम 2021 के नाम से लाए गए ये दिशानिर्देश देश में तकनीक नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुए सबसे बड़े बदलाव हैं। ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे। इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं। ये नियम ऑनलाइन न्यूज़ और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर भी लागू होंगे।
मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि, डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारीय नियमावली तथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियामकीय अधिनियम की कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच समान अवसर उपलब्ध हो सकें।
नियमों के तहत स्वनियमन के अलग-अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली भी स्थापित की गई है। इसमें पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा। दूसरा स्तर, प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा। नियमों के अनुसार हर प्रकाशक को भारत के अंदर ही एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा जो शिकायतों के निवारण के लिए जिम्मेदार होगा और उसे शिकायत मिलने के 15 दिनों के अंदर उसका निवारण करना होगा।
नियमों के मुताबिक प्रकाशकों के एक या एकाधिक स्वनियामक निकाय हो सकते हैं। ऐसे निकाय के अगुवा उच्चतम/उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश या कोई प्रख्यात हस्ती होंगे और उसमें छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
ऐसे निकाय को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा। बयान के अनुसार ये निकाय प्रकाशकों द्वारा आचार संहिता के अनुपालन तथा शिकायत निवारण पर नजर रखेगा।
इसके अलावा, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय कोड ऑफ प्रैक्टिसेज समेत स्वनियामक निकायों के लिए चार्ट बनाकर जारी करेगा। वो शिकायतों पर सुनवाई के वास्ते अंतर-विभागीय समिति स्थापित करेगा।
सोशल मीडिया पर क्या होगा वर्जित ?
नए नियमों के तहत 10 तरह के कंटेंट को सोशल मीडिया के लिए वर्जित बना दिया गया है। इसमें, देश के एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता, भड़काऊ, जांच में बाधक, लोक व्यवस्था में बाधक और मित्र देशों के साथ संबंधों पर असर डालने वाले कंटेंट शामिल हैं। इसी तरह से, वो सामग्री जिसमें अश्लीलता हो, लोगों की प्राइवेसी का उल्लंघन होता हो लिंग या नस्ल के आधार पर अपमान होता हो और हवाला या जुए के धंधे को बढ़ावा मिलता हो, उसे भी वर्जित किया गया है। यही नहीं, अदालत या किसी सरकारी संस्था से आदेश मिलने के 36 घंटे के भीतर सोशल मीडिया कंपनी को वर्जित सामग्री को हटाना होगा। सोशल मीडिया कंपनी को शिकायतों और वर्जित सामग्री पर कार्रवाई के बारे में मासिक लेखाजोखा बताना होगा। सोशल मीडिया पर फैले किसी आपत्तिजनक पोस्ट के मूल स्रोत्र के बारे में भी कंपनी को जानकारी देनी होगी। इन नियमों का अनुपालन नहीं करने पर तीन से सात साल तक की जेल के अलावा दो से 10 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
ओटीटी सेवाओँ का नियमन
नेटफिल्क्स, अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्मों से कहा गया है कि, वे अपने कार्यक्रमों के दर्शक वर्ग को उम्र के आधार पर बांटते हुए पांच श्रेणियों में बांट दें ताकि एडल्ट कार्यक्रमों को बच्चों की पहुंच से दूर रखा जा सके।
डिजिटल संस्थाओँ के बारे में ठोस जानकारी का अभाव
सूचना एवं प्रसारण सचिव अमित खरे ने बताया है कि, मौजूदा समय में सरकार के पास इस क्षेत्र में सक्रिय संस्थाओं के बारे में स्पष्ट तस्वीर नहीं है। उनकी संख्या और उनके पते के बारे में भी कोई ठोस जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर आप उनकी वेबसाइट पर जाते हैं तो आपको उनके ऑफिस के पते और एडिटर इन चीफ आदि से जुड़ी बुनियादी जानकारियां भी नहीं मिलेंगी।
मिली जानकारी के मुताबिक, मंत्रालय जल्द ही एक फॉर्म जारी करने जा रहा है जिसे सभी डिजिटल न्यूज आउटलेट को एक महीने के भीतर भरकर जमा कराना होगा। अमित खरे ने बताया कि अगर सरकार के पास न्यूज वेबसाइट की पूरी जानकारी होती भी तो भी दिशानिर्देशों की थोड़ी बहुत जरूरत तो होती ही क्योंकि वेबसाइटों से उन्हीं स्थापित कोड का पालन करने की उम्मीद है जिसका प्रिंट और टीवी मीडिया पहले से ही पालन करते आ रहे हैं।
न्यूज पोर्टलों के लिए सरकारी निगरानी तंत्र स्थापित करने की जरूरत के बारे मे पूछने पर खरे ने कहा कि, प्रेस काउंसिल प्रिंट मीडिया की देखरेख करती है। डिजिटल मीडिया के लिए पहले ऐसी कोई संस्था नहीं थी। अगर भविष्य में कोई होगी तो इस तरह की समिति की कोई जरूरत नहीं होगी।
फोटो सौजन्य सोशल मीडिया