जयपुर (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : राजस्थान के शहरों एवं कस्बों में अब केवल एक ही गाय या भैंस पालने की अनुमति होगी। राज्य सरकार के गौपालन विभाग ने गाय और भैंस पालने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। ऐसे 213 शहरी और कस्बाई क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है जहां नए दिशानिर्देशों को लागू किया जाएगा।
नए दिशानिर्देशों में गाय और भैंस को रखने के लिए भी कम से कम 100 वर्गगज का खाली भूखण्ड आवश्यक होगा। स्थानीय निकाय से लाइसेंस लेकर ही गाय और भैंस पालने की अनुमति होगी। गाय और भैंस का गोबर (मल) आबादी से कम से कम दस किलोमीटर दूर फेंकना होगा ।
पशुपालकों को पाबन्द किया गया है कि उनके आसपास रहने वाले लोगों को गोबर और मूत्र से परेशानी नहीं होनी चाहिए। पशुपालक गाय और भैंस का दूध, दही, मक्खन आदि नहीं बेच सकेगा । स्वयं के उपयोग के लिए ही पशु रखेंगे । सार्वजनिक स्थानों पर चारा नहीं बेचा जा सकेगा।
गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया का कहना है कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ जानवरों की सार-संभार सहित विभिन्न विषयों को ध्यान में रखकर ही नए नियम बनाए गए हैं।
दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रत्येक गाय अथवा भैंस के कान में एक टैग बांधना होगा जिस पर मालिक का नाम, मोबाइल नम्बर और पता लिखना आवश्यक होगा। पशु आवारा घूमता हुआ मिला तो मालिक को जुर्माने के रूप में 10 हजार रुपए तक भरना होगा। प्रत्येक दस दिन में गाय अथवा भैंस का गोबर स्थानीय निकाय की सीमा से बाहर ले जाएगा।
लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने पर पशुपालक के खिलाफ कार्रवाई होगी। रास्ते अथवा खुले स्थान पर पशु को बांधा नहीं जा सकेगा। लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन होने पर एक महीने के नोटिस पर लाइसेंस रद्द होगा और उसके बाद वे जानवर नहीं पाल सकेंगे। नियमों के अनुसार गाय अथवा भैंस बांधने के स्थान पर पशुघर के रूप में एक हजार रुपए चुकाकर लाइसेंस लेना होगा।
जानवर के आवारा घूमते हुए पकड़े जाने पर मालिक पर 600 रुपए जुर्माने के रूप में वसूले जाएंगे। मनाही के बावूद सार्वजनिक स्थानों पर चारा बेचने वालों पर 500 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। पशुघर में खड्डा खोदकर प्रतिदिन का गोबर एकत्रित करना होगा और फिर आबादी से दस किलोमीटर दूर जाकर फेंकना होगा । गंदगी पाए जाने पर पांच हजार रुपए जुर्माना देना होगा
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