पटना (गणतंत्र भारत के लिए राजेश कांत) : रमजान का महीना चल रहा है जगह–जगह इफ्तार की दावत भी चल रही है। राजनीति के मंच पर इन इफ्तार दावतों का अपना गणित होता है। माहिर खिलाड़ी यहां से निकले संकेतों को पढ़ते और समझते हैं और उसी के हिसाब से अपनी अगली चाल को तय करते हैं। देश के गृहमंत्री अमित शाह कल पटना पहुंचने वाले हैं और आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की इफ्तार दावत में शामिल होकर अपने सहयोगी दल बीजेपी को तगड़े राजनीतिक संदेश दिए हैं।
बिहार की राजधानी पटना में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इफ्तार दावत का आयोजन किया। इस इफ्तार में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन और विधानसभा के सभापति अवधेश नारायण सिंह शामिल हुए। तेजस्वी की इफ्तार दावत में नीतीश बाबू के शामिल होने से पटना के राजनीतिक गलियारे में राजनीतिक खुसपुसाहट होना लाजिमी है। इसका एक राजनीतिक संदेश भी है और उसकी वजह भी है।
क्या है राजनीतिक संदेश ?
नीतीश कुमार बिहार में तीसरे नंबर के राजनीतिक दल जनता दल (यूनाइटेड) के नेता है। बीजेपी ने भले ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाया हो लेकिन पिछले दिनों लगातार बीजेपी की तरफ से नीतीश कुमार की राजनीतिक कार्यशैली को लेकर टीका-टिप्पणियां की गईं। नीनीथ कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं उन्हें पता है कि कौन सा स्ट्रोक कब खेलना है और मास्टर स्ट्रोक कब लगाना है।
गृहमंत्री अमित शाह शनिवार को पटना पहुंच रहे हैं और नीतीश कुमार के लिए अपनी नाराजगी को जाहिर करने का इससे बेहतर कोई दूसरा मौका शायद नहीं था। नीतीश कुमार ने अपनी तरफ से बीजेपी को साफ संदेश दे दिया है कि राजनीति में उन्होंने अपने विकल्प खुले रखे हैं और बीजेपी उन्हें कतई हल्के में लेने की कोशिश न करे।
नीतीश कुमार तेजस्वी की इफ्तार दावत में शामिल होकर आरजेडी से अपनी तल्खी को भी दूर करना चाहते हैं। कल को बीजेपी से राजनीतिक दूरी होने की स्थिति में वे दूसरे विकल्प को तलाशने की कोशिश कर सकते हैं।
बीजेपी ने संकेत को कितना समझा ?
इस दावत में उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन भी शामिल हुए। माना जाता है कि नीतीश कुमार के विकल्प के रूप में बीजेपी शाहनवाज़ हुसैन को ही सामने रखना चाहती है। सूत्रों के अनुसार, शाहनवाज का इस दावत में शामिल होना पार्टी आलाकमान के निर्देशों के अनुरूप ही है। वे राजनीतिक इफ्तार के गणित को समझने और ये संदेश देने के लिए ही इसमें शामिल हुए कि ताकि ऊपरी तौर पर सरकार में सब ठीकठाक है, ये संदेश दिया जा सके।
अमित शाह को पटना में दो कार्यक्रमों में शामिल होना है और इस दौरान राज्य का राजनीतिक माहौल बहुत गरम रहने वाला है।
नीतीश कुमार ने बीजेपी के सामने सौम्य़ तरीके से बहुत कड़ा संदेश दे दिया है। उन्होंने इस बहाने बीजेपी आलाकमान को समझा दिया है कि वो अपनी हद और सीमा को पहचान ले और ऐसा कोई काम न करे जिससे उन्हें किसी दूसरे रास्ते को चुनना पड़े।
क्या है आरजेडी का गणित ?
आरजेडी हमेशा से मानती रही है कि राजनीति में उनके लिए दुशमन नंबर एक पार्टी बीजेपी है और उसे सत्ता से दूर रखने के लिए वो किसी भी राजनीतिक प्रयोग के लिए तैयार है। तेजस्वी की ये इफ्तारी दावत इस कड़ी में बहुत महत्वपूर्ण है। इस इफ्तार में एलजेपी के चिराग पासवान और वीआईपी के मुकेश सहनी को भी निमंत्रित किया गया। कोशिश बिहार में बीजेपी के सामने एक मजबूत राजनीतिक मोर्चा खड़ा करने की है और अगर ये मुहिम सफल हो गई तो आने वाले समय में राज्य में बीजेपी को एक कड़ी राजनीतिक चुनौती से दो -चार होना पड़ेगा और इसकी गूंज राज्य के साथ देश की राजनीति में सुनाई देगी।
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