नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए एजेंसियां) : सुप्रीम कोर्ट के सामने एक विचित्र मामला आया। मामला मुआवजे से जुड़ा था। मांग को लेकर दी गई दलील को सुनकर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की याचिकाकर्ता पर ही भारी जुर्माना ठोंक दिया।
मामला गूगल इंडिया से मुआवजे की मांग का था। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई जिसने गूगल इंडिया के खिलाफ अर्जी दाखिल कर 75 लाख रुपए मुआवजा मांगा था। याची ने कहा था कि यूट्यूब पर न्यूडिटी कंटेंट वाले विज्ञापन हैं जिससे उसका ध्यान भंग हुआ और वह एमपी पुलिस की परीक्षा में फेल हो गया। सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद-19 (2) के तहत इस तरह के विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की गई।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर विज्ञापन पसंद नहीं आता है तो आप उसे नजरअंजाद करें और न देखें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपकी याचिका ऐसी है जिस कारण आपको अदालत का समय जाया करने के लिए हर्जाना देना होगा और याची पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया ताकि बाकी लोगों के लिए ये नजीर हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका से अदालत का समय बर्बाद होता है।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त तेवर
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुच्छेद-19 (2) के संदर्भ में अब तक दाखिल किसी भी याचिका में ये सबसे कमजोर याचिका है। अदालत ने सवाल किया कि क्या आपको इसके लिए मुआवजा चाहिए कि आप नेट देखने के कारण एग्जाम में फेल हो गए? कंटेट में सेक्सुअल सामग्री थी और इस कारण आपका ध्यान भंग हो गया और कोर्ट आ गए कि आपको मुआवजा चाहिए?
हर्जाना भरो नहीं है तो रिकवरी होगी
शीर्ष आदालत के सख्त तेवर देखते हुए याची ने अदालत को बताया कि उसके माता-पिता मजदूर हैं और उसे माफ कर दिया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, फिर आपने पब्लिसिटी के लिए ऐसा किया और आपको लगता है कि आपको माफ कर दिया जाना चाहिए। आपको माफी नहीं मिलेगी। हालांकि कोर्ट ने हर्जाने की राशि को घटाकर 25 हजार रुपए कर दिया। जब सुप्रीम कोर्ट को ये बताया गया कि याची के पास रोजगार नहीं है वो हर्जाना कहां से भरेगा तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिकवर करो लेकिन हर्जाना भरना होगा।
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