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इन गर्मियों में क्या ओजोन ने बिगाड़ी थी दिल्ली की सेहत…?

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय)  : कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के अलावा अब ओजोन (Ozone) गैस भी भारत के पर्यावरण और यहां के लोगों की सेहत (Health) के लिए खतरा बन रही है। देश के 10 महानगरों में जमीनी स्तर पर इसकी मौजूदगी काफी ज्यादा पाई गई है।

CSE  का अध्ययन

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की स्टडी के मुताबिक, गर्मियों में इस बार दिल्ली-एनसीआर में इसका लेवल देश के और शहरों से कहीं ज्यादा था। यहां इस दौरान 176 दिनों तक इसका स्तर तय मानक से ज्यादा था तो और शहरों में 138 दिन। इस स्टडी में दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और पुणे के साथ ग्रेटर अहमदाबाद, ग्रेटर हैदराबाद, ग्रेटर जयपुर और ग्रेटर लखनऊ में ओजोन स्तर का विश्लेषण किया गया।

दिल्ली-एनसीआर का बुरा हाल

ओजोन सेहत के लिए काफी खतरनाक गैस है। इसके कारण अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज  का खतरा बढ़ जाता है। यह मौत का कारण भी बन सकता है। स्टडी बयान करती है कि जहां दिल्ली-एनसीआर में 176 दिनों तक ओजोन लेवल ज्यादा था, वहीं जयपुर में 126 दिन, हैदराबाद में 86 तो कोलकाता में ऐसे दिनों की संख्या 63 दर्ज की गई। दिल्ली को देश और दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिल्ली की हवा को बेहद खराब करार दिया था। अब एनसीआर के और शहरों में भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

वाहनों की बढ़ती संख्या भी जिम्मेदार

स्टडी में कहा गया है कि ग्राउंड लेवल ओजोन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि यह किसी भी स्रोत से सीधे तौर पर उत्सर्जित नहीं होती है। यह वाहनों, पावर प्लांट्स, कारखानों और अन्य स्रोतों द्वारा उत्सर्जित नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) के बीच एक जटिल प्रतिक्रिया से बनती है, जो सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करती है। यह वाष्पशील कार्बनिक यौगिक पौधों जैसे प्राकृतिक स्रोतों से भी आ सकते हैं। स्टडी में कहा गया है कि सरकार और वैज्ञानिकों को इस बात पर विचार करना होगा कि ओजोन के स्तर को कैसे कम किया जाए। अब अन्य ग्रीन हाउस गैसों के साथ ही इस पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

रात में भी मौजूद ओजोन

स्टडी के दौरान पाया गया कि कई महानगरों में रात के समय भी हवा में ओजोन की मौजूदगी थी, जबकि आमतौर पर रात के समय इसका स्तर नगण्य हो जाना चाहिए। स्टडी में शामिल सभी 10 महानगरों में सूर्यास्त के बाद भी इसका स्तर उच्च बना हुआ था। गौरतलब है कि रात के समय ओजोन का स्तर तब देखा जाता है जब किसी भी निगरानी स्टेशन पर रात 10 बजे से सुबह दो बजे के बीच प्रति घंटे ओजोन का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक होता है।

रिपोर्ट से पता चला है कि मुंबई में 171 रातें ऐसी थीं, जब ओजोन का स्तर सामान्य से ज्यादा था। दिल्ली-एनसीआर में ऐसी 161 और पुणे में 131 रातें दर्ज की गईं। हैदराबाद में 94 रातें, अहमदाबाद में 68, लखनऊ में 26, चेन्नई में 24, बेंगलुरु में 22 और कोलकाता में सबसे कम 17 रातें ऐसी थीं जब ग्राउंड लेवल ओजोन का स्तर चिंताजनक था। कुल मिलाकर अब ओजोन परत में छेद के साथ ही ग्राउंड लेवल ओजोन भी चिंता का कारण बन रही है।

फोटो सौजन्य़- सोशल मीडिया

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