नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ): जल्दी ही अब खाने-पीने की पैक्ड चीजों पर उत्पाद में मौजूद चीनी, नमक और कार्बोहाइड्रेड के बारे में मोटे अक्षरों में जानकारी दिखाई देगी। अभी इस तरह की जानकारियां काफी छोटे अक्षरों में बमुश्किल पढ़ी जा सकने वाली स्थितियों में देखने को मिलती हैं। भारतीय़ खाद्य एवं संरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लेवल पर चीनी, नमक एवं कार्बोहाइड्रेड की मात्रा के बारे में मोटे अक्षरों में जानकारियों को लिखे जाने का निर्देश दिया है।
क्या है FSSAI का निर्देश?
FSSAI ने डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लेबल पर कुल चीनी, नमक और अवशोषित वसा संबंधी जानकारी मोटे अक्षरों में और अपेक्षाकृत बढ़े हुए फॉंट आकार में प्रदर्शित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। FSSAI के अध्यक्ष अपूर्व चंद्रा की अध्यक्षता में आयोजित प्राधिकरण की बैठक में पोषण संबंधी जानकारी लेबलिंग के संबंध में खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम 2020 में संशोधन को मंजूरी देने का निर्णय लिया गया। इस संशोधन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके द्वारा उपभोग किए जा रहे उत्पाद के पोषण मूल्य को बेहतर ढंग से समझने और विवेकपूर्ण निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना है।
क्या है मकसद ?
इस बारे में आम लोगों के फीडबैक लेने के लिए प्रस्ताव के मसौदे को पब्लिक डोमेन में भी डाला जाएगा। इस पहल का मकसद उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाने के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों (NCD) के प्रसार से निपटने और सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं कल्याण को बढ़ावा देने के प्रयासों में भी योगदान देना है।
समय-समय पर जारी दिशानिर्देश
FSSAI ने झूठे और भ्रामक दावों को रोकने के लिए समय-समय पर सलाह जारी करते हुए कई कदम उठाए हैं। इन कदमों में ‘हेल्थ ड्रिंक’ शब्द को हटाने के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट को भेजी गई सलाह भी शामिल है क्योंकि यह FSS ACT 2006 या उसके तहत बनाए गए नियमों/विनियमों के तहत कहीं भी परिभाषित या मानकीकृत नहीं है। इसके अलावा, सभी खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों (FOB) को फलों के रस के लेबल एवं विज्ञापनों से ‘शत-प्रतिशत फलों के रस’ से संबंधित किसी भी दावे, गेहूं का आटा/परिष्कृत गेहूं का आटा जैसे शब्द के उपयोग के साथ ORS का विज्ञापन एवं विपणन, बहु-स्रोत वाले खाने के वनस्पति तेल आदि के लिए पोषक तत्व संबंधी दावों को हटाना अनिवार्य करने का निर्देश दिया गया है।
क्यों जारी करना पड़ा निर्देश ?
FSSAI देश में खाने के सामानों के मानक निर्धारण के लिए जिम्मेदार संस्था है। बढ़ती उपभोक्ता जागरूकता के साथ बाजार में खाने पीने की चीजों को लेकर कई तरह के संशय भी बढ़े हैं। भ्रामक विज्ञापनों और मिलावट के चलते बहुत आसानी से उपभोक्ता को भ्रमित किया जा सकता है, और ऐसा हो भी रहा है। हालांकि पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत के उपभोक्ता बाजार में बहुत ज्यादा छल-कपट है जिसके कारण लोगों को तरह-तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को झेलना पड़ रहा है। FSSAI ने ये कदम ऐसे प्रयासों पर लगाम लगाने की दृष्टि से उठाया है।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया