नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क ) : यूक्रेन के राजधानी कीव की सीमाओं पर रूसी सैनिक आ पहुंचे हैं। कीव पर कब्जे की लड़ाई कभी भी शुरू हो सकती है लेकिन इधर भारत में सोशल मीडिया पर इस लड़ाई के बहाने एक वर्चुवल वॉर यानी एक आभासी युद्ध पहले ही छिड़ चुका है। इस युद्ध के नायक है रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन। कही पुतिन शक्तिमान हैं, तो कहीं शहंशाह। भारतीय सोशल मीडिया पर पुतिन एक ऐसे नायक के रूप में उभर कर सामने आए हैं जिनकी मिसाल देकर कहा जा रहा है भारत भी ऐसे ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन में घुस जाए और उस पर कब्जा कर ले।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और फेसबुक पर करीब 10 लाख यूज़र यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद कई मसलों पर बिंदास तरीके से अपनी बात रख रख रहे हैं। बहुत से यूजर्स मान रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था आज वैसे ही नाकाम साबित हो रही हैं जैसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद लीग ऑफ नेशंस। कुछ यूजर्स का कहना है कि अब दुनिया रूस और चीन जैसी महाशक्तियों के इर्द-गिर्द घूमेगी। नाटो की स्थिति पर भी काठ की हांडी जैसी टिप्पणी की गई है।
आभासी युद्ध और मोदी
संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद में भारत ने भले ही यूक्रेन के मसले पर दुनिया के देशों से संयम बरतने का आग्रह किया हो लेकिन भारत में सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया जा रहा है कि वे पुतिन से सीख लें और पाकिस्तान और चीन से अपने हिसाब को बराबर कर लें।
बीजेपी के सांसद हरिओम पांडे ने ट्विटर पर लिखा है कि, पुतिन को सोवियत संघ चाहिए, चीन को वन चाइना तो हमें अखंड भारत क्यों नहीं।
तमिलनाडु के पत्रकार आनंद टी प्रसाद ने भी दिलचस्प टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है कि, पीओके पर कब्जे के लिए अब हमारे पास एक टैंपलेट है।
फेसबुक पर एक यूजर की टिप्णणी बड़ी दिलचस्प है। उसने पूछा है कि प्रधानमंत्री जी, कब आपका खून खौलेगा।
टीवी शोज़ पर गर्मागरम बहस
यूक्रेन संकट के बाद भारतीय टेलीविजन समाचार चैनलों की स्क्रीन भी अचानक अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर चर्चा में मशगूल हो गई है। सेना के कई सेवानिवृत्त अधिकारी से लेकर पूर्व राजनयिक तक सभी ऐसी बहसों का हिस्सा हैं।
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने एक टीवी शो पर बहस में कहा कि, इस युद्ध से दुनिया एक नई तरह की विश्व व्यवस्था की तरफ बढ़ेगी। चीन की हरकतों पर नजर रखने की जरूरत है। कल को वो ताइवान में ऐसी हरकत कर सकता है।
इसी तरह एक वक्ता ने शंका जाहिर की कि, अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन अपने इरादे हमेशा से जाहिर करता रहा है। रूस ने दिखा दिया है कि विश्व संस्थाएं आज किसी काम की नहीं रहीं और ताकत के जरिए कोई भी देश अपने मंसूबों को पूरा कर सकता है। भारत को भी सतर्क रहने की जरूरत है।
एक बहस में एबेंसडर विष्णु प्रकाश ने कहा कि, दुनिया के देशों के आपसी संबंधों का आधार अनुशासन और नैतिकता रहा है। दुनिया में उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी गईं और जीती गईं लेकिन यूक्रेन के मामले में जिस तरह से वैश्विक संगठन और बड़ी ताकतें लाचार नजर आ रही हैं वो आने वाली दुनिया के लिए बहुत ही खतरनाक संदेश है।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया