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यूपी की एक और परीक्षा पर विवाद, अब सवाल यूपीएसआई भर्ती पर…

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लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क) : एक महीने से ज्यादा समय हो गया उत्तर प्रदेश में दारोगा भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी लखनऊ में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि दरोगा भर्ती परीक्षा में धांधली हुई है और इसकी जांच कराई जाए। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में तमाम गड़बड़ियों को देखते हुए एफआईआर दर्ज करने के लिए लखनऊ की सीजेएम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 16 जून को सुनवाई का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला और क्या चाहते हैं अभ्यर्थी ?

यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर यानी दरोगा के 9,534 पदों के लिए पिछले साल मार्च में वेकेंसी निकाली गई थी। 12 नवंबर से 2 दिसंबर तक राज्य के विभिन्न केंद्रों में ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा में करीब 12 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था और 7.61 लाख लोगों ने परीक्षा दी। इसलिए परीक्षा को कई शिफ्टों में आयोजित करना पड़ा।

परीक्षा के दौरान ही ऐसे कई मामले सामने आने लगे जब कुछ छात्र अनुचित तरीके से परीक्षा देते हुए पकड़े गए। ऐसे अनुचित तरीकों से परीक्षा देने या फिर किसी अन्य व्यक्ति की जगह बैठकर परीक्षा देने वाले अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और ऐसे मामलों में अब तक दर्जनों एफआईआर हो चुकी हैं।

14 अप्रैल 2022 को परीक्षा के पहले चरण के परिणाम जारी हुए जिसमें कुल 36,170 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। लेकिन जब इन अभ्यर्थियों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया तो परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर हुई धांधली का पर्दाफाश होना शुरू हुआ।

पुलिस ने लखनऊ के जानकीपुरम में एक परीक्षा केंद्र पर चार ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जो सेंटर के बाहर बैठकर ब्लूटूथ के जरिए भीतर बैठे कुछ छात्रों को नकल करा रहे थे। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा पास कराने के लिए 8 से 10 लाख रुपए लिए गए थे और जिन लोगों ने ये पैसे दिए उनमें से कई पहले चरण की परीक्षा में पास भी हुए हैं। इस परीक्षा में ऐसे कई सॉल्वर गैंग भी पकड़े गए हैं जो दूसरे की जगह परीक्षा दे रहे थे।

बात तब और बिगड़ गई जब धरपकड़ के दौर के बीच ही उन छात्रों को डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट के लिए भी बुलाया जाने लगा जो परीक्षा में पास हुए हैं। छात्रों को सबसे ज्यादा आपत्ति इसी बात से है कि जब सरकार को खुद मालूम है कि धांधली हुई है तो वो परीक्षा को रद्द क्यों नहीं करती।

सीतापुर से आने वाली एक अभ्यर्थी ने आरोप लगाया कि, परीक्षा के पहले दिन से ही धांधली के मामले सामने आ रहे थे लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। हमारी सिर्फ यही मांग है कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट पर रोक लगाई जाए। इस पूरी धांधली की उच्चस्तरीय जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जाए और इस जांच में पुलिस भर्ती बोर्ड का एक भी सदस्य शामिल न हो।

आयोजक ही संदेह के घेरे में

जानकारी के अनुसार, इस परीक्षा को कराने की जिम्मेदारी एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को दी गई थी जो पहले से ही कई राज्यों में इस तरह की धांधली कर चुकी है। राज्य सरकार ने एनएसआईईटी नाम की उस एजेंसी को ऑनलाइन परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी थी जो मध्य प्रदेश समेत देश के 6 राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस कंपनी पर साढ़े तीन करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। इसके बावजूद यूपी में इसी एजेंसी को दरोगा भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी दे दी गई। ये निर्णय कैसे लिया गया ये अपने आप में बड़ा सवाल है।

छात्रों और युवाओं की समस्याओं को लेकर आंदोलन करने वाले संगठन युवा हल्ला बोल के प्रशांत कमल कहते है कि, पिछले करीब एक साल के भीतर बीस से ज्यादा ऐसी परीक्षाएं हुई हैं जिनमें पेपर लीक की समस्या आई है और अन्य धांधलियों की वजह से ये परीक्षाएं अधर में लटकी हैं। इनमें से ज्यादातर परीक्षाओं का संबंध उत्तर प्रदेश से है। उनका आरोप है कि, यूपी में एक तो वैसे ही वेकेंसी नहीं निकल रही हैं और जो निकल भी रही हैं, वे भ्रष्टाचार और कोर्ट-कचेहरी के चक्कर में उलझकर रह जा रही हैं। ये हाल न सिर्फ दारोगा भर्ती परीक्षा का है बल्कि एसएसएससी और अन्य भर्ती बोर्डों का भी है। यहां तक कि लोक सेवा आयोग तक की कई परीक्षाएं संदेह के घेरे में हैं। छात्रों के बीच यहां एक कहावत प्रचलित है कि परीक्षा पास करने के लिए चार चरणों से गुजरना पड़ता है- प्री, मेन्स, इंटरव्यू और कोर्ट।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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